हिमाचल प्रदेश

himachal pradesh

ETV Bharat / state

हिमाचल का एक ऐसा मंदिर, खुद श्री राम भगवान ने बनाई जिसकी मूर्तियां

Himachal Raghunath Temple: अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह आयोजित है. हिमाचल प्रदेश में श्री राम का एक ऐसा ही मंदिर है स्थित है. जो के कुल्लू के आराध्य देव भगवान रघुनाथ से जाना जाता है. जानें आखिर क्या है भगवान रघुनाथ का श्री राम से संबंध? कैसे कुल्लू पहुंची अयोध्या से भगवान की मूर्तियां?

Himachal Raghunath Temple
Himachal Raghunath Temple

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jan 21, 2024, 2:44 PM IST

कुल्लू:देशभर में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह को एक उत्सव के रूप में मनाया जा रहा है. 22 जनवरी यानी कल अयोध्या नगरी में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी. ऐसे में देशभर के मंदिर में श्री राम का भजन-कीर्तन किया जा रहा है. राम मंदिर में भक्तों द्वारा प्रभात फेरी निकाली जा रही है. कहीं पर रामचरित मानस का पाठ किया जा रहा तो कहीं पर सुंदरकांड का पाठ किया जा रहा है. इसी तरह हिमाचल प्रदेश में भी राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा उत्सव को लेकर लोगों में खासा उत्साह देखा जा सकता है. प्रदेशभर के मंदिरों में भक्तों द्वारा श्री राम का गुणगान किया जा रहा है.

हिमाचल में श्री राम मंदिर: देवभूमि हिमाचल में श्री राम कई लोगों के आराध्य देव माने जाते हैं. प्रदेश के कई मंदिरों का सीधा संबंध राम जन्म भूमि अयोध्या से है. एक ऐसा ही मंदिर हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में स्थित है. यह मंदिर कुल्लू जिले के आराध्य देव भगवान रघुनाथ के नाम से प्रसिद्ध है, जिसका सीधा संबंध श्री राम और अयोध्या से जुड़ा हुआ है. कुल्लू के रघुनाथपुर में भगवान रघुनाथ का मंदिर स्थित है.

मंदिर का श्री राम से संबंध:पौराणिक मान्यताओं के अनुसार रघुनाथ जी की मूर्ति को अयोध्या से लाया गया है. कहा जाता है कि भगवान रघुनाथ की मूर्ति को स्वयं श्री राम ने बनाया है. भगवान रघुनाथ की मूर्ति को अयोध्या के त्रेता नाथ मंदिर से लाया गया है. भगवान रघुनाथ को श्री राम का ही एक रूप माना जाता है. भगवान रघुनाथ कुल्लू के प्रमुख देवता हैं.

रघुनाथ मंदिर की कहानी: 17वीं सदी में कुल्लू के राजा जगत सिंह के शासन काल (1637 से 1662 ईस्वी) के दौरान हनुमान और माता सीता संग रघुनाथ जी की मूर्ति को कुल्लू लाया गया था. कहा जाता है कि राजा जगत सिंह के शासनकाल में मणिकर्ण घाटी के टिप्परी गांव में एक गरीब ब्राह्मण दुर्गा दत्त रहता था. उस समय किसी के द्वारा राजा जगत सिंह को गरीब ब्राह्मण के पास मोती होने की गलत सूचना दी गई. जब राजा ने ब्राह्मण से मोती मांगे तो ब्राह्मण के पास कोई मोती नहीं थे. जिसके चलते ब्राह्मण ने राजा के डर से अपने परिवार संग आत्मदाह कर लिया. जिसके बाद से राजा जगत सिंह को एक गंभीर बीमारी ने जकड़ लिया.

अयोध्या से कुल्लू कैसे आए रघुनाथ? जिसके बाद पयोहारी बाबा किशन दास ने राजा जगत सिंह को सलाह दी कि वह अयोध्या के त्रेता नाथ मंदिर से रघुनाथ, माता सीता और हनुमान की मूर्ति को कुल्लू में स्थापित करें और राजा अपना राजपाट भगवान रघुनाथ को सौंप दें तभी उनको ब्रह्म हत्या के दोष से मुक्ति मिल पाएगी. जिसके बाद राजा जगत सिंह द्वारा अयोध्या से मूर्ति लाने के लिए बाबा किशन दास के भक्त दामोदर दास को भेजा. जब दामोदर दास अयोध्या के त्रेता नाथ मंदिर से भगवान रघुनाथ, माता सीता और हनुमान की मूर्तियां लेकर लौटे तो राजा ने पूरे विधि विधान से इन मूर्तियों को रघुनाथ मंदिर में स्थापित किया और सारा कामकाज भगवान रघुनाथ को सौंप दिया. तब से लेकर आज तक राज परिवार भगवान रघुनाथ के छड़ी बरदार बनकर उनकी सेवा कर रहे हैं.

कुल्लू का दशहरा:कुल्लू जिले में हर साल अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव मनाया जाता है. जिसमें देश-विदेश से लोग शामिल होते हैं. ये दशहरा उत्सव 7 दिन तक चलता है और भगवान रघुनाथ की रथ यात्रा से दशहरा महोत्सव की शुरुआत होती है. इस रथ यात्रा में जिले भर से सैकड़ों देवी-देवता शामिल होते हैं. भगवान रघुनाथ की रथ यात्रा की समाप्ति के साथ ही दशहरा उत्सव का भी समापन होता है.

भगवान रघुनाथ की मूर्ति से जुड़ी मान्यता: बता दें कि भगवान रघुनाथ की मूर्ति कुल्लू में अयोध्या के त्रेता नाथ मंदिर से 1660 ईस्वी में लाई गई थी. मान्यता है कि इस मूर्ति के आने के बाद कुल्लू के राजा को बीमारी से मुक्ति मिली थी. ऐसे में हर साल यहां पर अंतरराष्ट्रीय दशहरा उत्सव का भी आयोजन किया जाता है. जिसमें जिला कुल्लू के विभिन्न इलाकों से देवी-देवता इस दशहरा उत्सव में शिरकत करते हैं. वहीं, मान्यता है कि भगवान रघुनाथ की यह मूर्ति अश्वमेध यज्ञ के दौरान त्रेता युग में भगवान श्री राम के हाथ से तैयार की गई थी. जिसका राजस्व रिकॉर्ड आज भी अयोध्या में दर्ज है.

भगवान रघुनाथ के छड़ीबरदार महेश्वर सिंह ने बताया कि यह सब भेंट को लेकर वह अब अयोध्या के लिए रवाना हो गए हैं. भगवान रघुनाथ का अयोध्या से गहरा नाता है और अयोध्या के राजस्व रिकॉर्ड में भी यह सब दर्ज किया गया है. देश भर में भगवान श्री रामलला प्राण प्रतिष्ठा को लेकर उत्सव का माहौल बना हुआ है. वहीं, 22 जनवरी को भगवान रघुनाथ के मंदिर में भी विशेष रूप से सुंदरकांड का पाठ किया जाएगा.

ये भी पढे़ं:अयोध्या की तरह हिमाचल में भी राम मंदिर, जहां विराजते हैं भगवान रघुनाथ, जानें इनसे जुड़ी मान्यता

ABOUT THE AUTHOR

...view details