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चांदी के झूले पर विराजे ठाकुर जी, राधा गोविंद दे रहे दर्शन - Govind Dev Ji temple - GOVIND DEV JI TEMPLE

सावन के महीने में भगवान गोविंद देव की रियासत कालीन चांदी के झूले में राधा रानी के साथ विराजमान होकर दर्शन देते हैं. गुरुवार से मंदिर में रक्षाबंधन का उत्सव शुरू हो गया है. गोविंद देव जी मंदिर में झूला झांकी रक्षाबंधन तक सजी रहेगी.

RADHA GOVIND DEV JI TEMPLE
चांदी के झूले पर विराजे ठाकुर जी (PHOTO : Govind Dev JI Mandir)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Aug 2, 2024, 2:21 PM IST

जयपुर. शहर के आराध्य गोविंद देव जी मंदिर में गुरुवार से रक्षाबंधन का उत्सव शुरू हो गया है. खास बात है कि सावन के महीने में भगवान गोविंद देव की रियासत कालीन चांदी के झूले में राधा रानी के साथ विराजमान होकर दर्शन देते हैं. इस दौरान ठाकुर जी को झूला झुलाया जाता है. मंदिर के सेवा अधिकारी मानस गोस्वामी के मुताबिक ठाकुर जी रक्षाबंधन तक रोजाना इसी प्रकार झूले पर विराजमान होकर नित्य दर्शन देंगे. श्रावण कृष्ण एकादशी के बाद रक्षाबंधन उत्सव शुरू हो जाता है, इस दौरान झूले के आसन पर ठाकुर जी को विराजमान किया जाता है.

जयपुर के श्री गोविंद देव जी मंदिर में झूला झांकी रक्षाबंधन तक सजी रहेगी. ठाकुर जी की झांकी का झूला रियासतकालीन में बनाकर भेंट किया गया था. इस चांदी के झूले पर ठाकुर जी राधा रानी के साथ विराजमान होंगे. यह रियासतकालीन झूला बेहद भारी और कलात्मक है. सागवान की लकड़ी से बने इस झूले की लकड़ी पर चांदी की परत चढ़ाई गई है. झूले को कई हिस्सों में बांटा हुआ है. प्रभु के गर्भगृह में रखने से पहले सभी हिस्सों को जोड़ने के बाद इसे तैयार किया जाता है.

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सावन में ठाकुर जी पहनते हैं लहरिया : गोविंद देव जी मंदिर में सावन माह के दौरान ठाकुर जी को विशेष रूप से लहरिया की पोशाक धारण करवाई जाती है. लहरिया राजस्थान का पारंपरिक परिधान है, जिसे विशेष रूप से सावन के महीने में धारण किया जाता है. इस मौके पर ठाकुर जी को विशेष रूप से तैयार जयपुर के मिष्ठान की पहचान घेवर का भी भोग लगाया जाता है. इस दौरान भक्त भी लहरिया पहनकर सावन के इस उत्सव का ठाकुर जी के साथ आनंद लेते हैं.

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