ETV Bharat / state

5वीं व 8वीं कक्षा में अब फेल होंगे विद्यार्थी! शिक्षक संगठनों ने निर्णय का किया स्वागत, अभिभावकों ने दिया ये सुझाव - NO DETENTION POLICY

कक्षा 5वीं और 8वीं की परक्षा को लेकर लिए गए निर्णय का शिक्षक और शिक्षक संगठनों ने स्वागत किया है.

NO DETENTION POLICY
5वीं व 8वीं कक्षा में अब फेल होंगे विद्यार्थी! (ETV BHARAT JAIPUR)
author img

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : 6 hours ago

जयपुर : कक्षा पांचवीं और आठवीं में फेल होने वाले छात्रों को अब प्रमोट नहीं किया जाएगा. हालांकि, मुख्य परीक्षाओं में फेल होने पर 2 महीने बाद उन्हें एक बार फिर एग्जाम देने का मौका जरूर मिलेगा. केंद्र सरकार ने निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार नियम 2009 में संशोधन करते हुए नो डिटेंशन पॉलिसी खत्म की है. जिसका कक्षा पांचवीं और आठवीं के छात्रों को पढ़ाने वाले शिक्षक और शिक्षक संगठनों ने स्वागत किया है. हालांकि, संयुक्त अभिभावक संघ ने प्राइवेट स्कूलों में आरटीई के तहत पढ़ रहे छात्रों के फेल होने के प्रकरणों की जांच की भी मांग की है, ताकि निशुल्क शिक्षा ले रहे छात्रों के साथ भेदभाव न हो.

भारत सरकार के स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा अधिनियम 2009 में संशोधन किया गया है. अब तक कक्षा 5वीं और 8वीं में छात्रों को फेल नहीं किया जाता था, लेकिन अब उन्हें डिटेन किया जा सकेगा. राजस्थान प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष विपिन प्रकाश शर्मा ने बताया कि मुख्य परीक्षा में फेल होने वाले छात्रों की 2 महीने बाद दोबारा परीक्षा होगी.

शिक्षक संगठनों ने निर्णय का किया स्वागत (ETV BHARAT JAIPUR)

इसे भी पढ़ें - 5वीं और 8वीं क्लास में अब फेल होंगे छात्र! सरकार ने खत्म की 'नो डिटेंशन पॉलिसी' - NO DETENTION POLICY

बोर्ड के रिजल्ट में आएगा सुधार : उसमें भी यदि छात्र असफल रहता है, तो उन्हें दोबारा उसी कक्षा पढ़नी होगी. हालांकि, उन्हें स्कूल से नहीं निकाला जाएगा. इससे शिक्षा के स्तर में सुधार आएगा, क्योंकि बच्चों और माता-पिता में ये सोच विकसित हो गई थी कि वो कभी फेल ही नहीं हो सकेंगे. इसकी वजह से आगामी बोर्ड परीक्षाओं में उनकी गुणवत्ता बिगड़ रही थी. ऐसे में केंद्र सरकार एक अच्छी पॉलिसी लेकर आई है, इससे बोर्ड के रिजल्ट में अच्छा सुधार हो पाएगा और बच्चों में पढ़ाई की ललक भी जागृत होगी.

पहले ही संशोधन होना चाहिए था : शिक्षक नेता अंजनी कुमार शर्मा ने बताया कि इस तरह के नियम में पहले ही संशोधन हो जाना चाहिए था. इस नियम से शैक्षिक गुणवत्ता बढ़ेगी, क्योंकि कमजोर विद्यार्थी जब अगली परीक्षा में पहुंच जाते थे, तो उन्हें संबंधित विषय में कमजोरी रह जाती थी. इससे आगे की परीक्षा में परेशानी होती थी और शिक्षकों को भी अन्य विद्यार्थियों के साथ उन्हें पढ़ाने में कठिनाई होती थी. ऐसे में सरकार की ओर से ये सराहनीय कदम उठाया गया है.

वहीं, ऐसे छात्रों को पढ़ाने वाले तृतीय श्रेणी शिक्षक डॉ. रनजीत मीणा ने कहा कि कक्षा 5वीं और 8वीं में पढ़ने वाले छात्र परीक्षाओं को गंभीरता से नहीं लेते थे. इसकी वजह से बच्चों का शैक्षणिक स्तर गिरता जा रहा था. अब नियम में संशोधन होने के बाद कक्षा 5वीं और 8वीं के छात्रों को असफल भी घोषित किया जा सकता है. ऐसे में छात्रों और अभिभावकों पर थोड़ा दबाव रहेगा कि परीक्षाओं को गंभीरता से लेना है और स्कूल में भी नियमित रखना है.

बराबर के दोषी हैं : हालांकि, संयुक्त अभिभावक संघ के प्रवक्ता अभिषेक जैन ने कहा कि कक्षा 5वीं और 8वीं में जो छात्र फेल हो रहा है तो उसमें कमी अकेले छात्र की नहीं स्कूल का शिक्षक और संचालक भी छात्रों के फेल होने में बराबर के दोषी हैं. ऐसे में शिक्षा विभाग को शिक्षकों और शिक्षा व्यवस्था की समीक्षा करनी चाहिए. साथ ही इस पर भी मंथन होना चाहिए कि आरटीई के तहत प्राइवेट स्कूलों में जो बच्चे पढ़ रहे हैं, ऐसे 25% बच्चे ही क्यों फेल होते हैं. 75% बच्चे क्यों फेल नहीं हो रहे? उन्होंने निशुल्क शिक्षा ले रहे छात्रों के साथ भेदभाव का आरोप लगाते हुए शिक्षा विभाग से इसकी भी जांच करने की मांग की.

जयपुर : कक्षा पांचवीं और आठवीं में फेल होने वाले छात्रों को अब प्रमोट नहीं किया जाएगा. हालांकि, मुख्य परीक्षाओं में फेल होने पर 2 महीने बाद उन्हें एक बार फिर एग्जाम देने का मौका जरूर मिलेगा. केंद्र सरकार ने निःशुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार नियम 2009 में संशोधन करते हुए नो डिटेंशन पॉलिसी खत्म की है. जिसका कक्षा पांचवीं और आठवीं के छात्रों को पढ़ाने वाले शिक्षक और शिक्षक संगठनों ने स्वागत किया है. हालांकि, संयुक्त अभिभावक संघ ने प्राइवेट स्कूलों में आरटीई के तहत पढ़ रहे छात्रों के फेल होने के प्रकरणों की जांच की भी मांग की है, ताकि निशुल्क शिक्षा ले रहे छात्रों के साथ भेदभाव न हो.

भारत सरकार के स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग की ओर से जारी अधिसूचना के अनुसार निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा अधिनियम 2009 में संशोधन किया गया है. अब तक कक्षा 5वीं और 8वीं में छात्रों को फेल नहीं किया जाता था, लेकिन अब उन्हें डिटेन किया जा सकेगा. राजस्थान प्राथमिक एवं माध्यमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष विपिन प्रकाश शर्मा ने बताया कि मुख्य परीक्षा में फेल होने वाले छात्रों की 2 महीने बाद दोबारा परीक्षा होगी.

शिक्षक संगठनों ने निर्णय का किया स्वागत (ETV BHARAT JAIPUR)

इसे भी पढ़ें - 5वीं और 8वीं क्लास में अब फेल होंगे छात्र! सरकार ने खत्म की 'नो डिटेंशन पॉलिसी' - NO DETENTION POLICY

बोर्ड के रिजल्ट में आएगा सुधार : उसमें भी यदि छात्र असफल रहता है, तो उन्हें दोबारा उसी कक्षा पढ़नी होगी. हालांकि, उन्हें स्कूल से नहीं निकाला जाएगा. इससे शिक्षा के स्तर में सुधार आएगा, क्योंकि बच्चों और माता-पिता में ये सोच विकसित हो गई थी कि वो कभी फेल ही नहीं हो सकेंगे. इसकी वजह से आगामी बोर्ड परीक्षाओं में उनकी गुणवत्ता बिगड़ रही थी. ऐसे में केंद्र सरकार एक अच्छी पॉलिसी लेकर आई है, इससे बोर्ड के रिजल्ट में अच्छा सुधार हो पाएगा और बच्चों में पढ़ाई की ललक भी जागृत होगी.

पहले ही संशोधन होना चाहिए था : शिक्षक नेता अंजनी कुमार शर्मा ने बताया कि इस तरह के नियम में पहले ही संशोधन हो जाना चाहिए था. इस नियम से शैक्षिक गुणवत्ता बढ़ेगी, क्योंकि कमजोर विद्यार्थी जब अगली परीक्षा में पहुंच जाते थे, तो उन्हें संबंधित विषय में कमजोरी रह जाती थी. इससे आगे की परीक्षा में परेशानी होती थी और शिक्षकों को भी अन्य विद्यार्थियों के साथ उन्हें पढ़ाने में कठिनाई होती थी. ऐसे में सरकार की ओर से ये सराहनीय कदम उठाया गया है.

वहीं, ऐसे छात्रों को पढ़ाने वाले तृतीय श्रेणी शिक्षक डॉ. रनजीत मीणा ने कहा कि कक्षा 5वीं और 8वीं में पढ़ने वाले छात्र परीक्षाओं को गंभीरता से नहीं लेते थे. इसकी वजह से बच्चों का शैक्षणिक स्तर गिरता जा रहा था. अब नियम में संशोधन होने के बाद कक्षा 5वीं और 8वीं के छात्रों को असफल भी घोषित किया जा सकता है. ऐसे में छात्रों और अभिभावकों पर थोड़ा दबाव रहेगा कि परीक्षाओं को गंभीरता से लेना है और स्कूल में भी नियमित रखना है.

बराबर के दोषी हैं : हालांकि, संयुक्त अभिभावक संघ के प्रवक्ता अभिषेक जैन ने कहा कि कक्षा 5वीं और 8वीं में जो छात्र फेल हो रहा है तो उसमें कमी अकेले छात्र की नहीं स्कूल का शिक्षक और संचालक भी छात्रों के फेल होने में बराबर के दोषी हैं. ऐसे में शिक्षा विभाग को शिक्षकों और शिक्षा व्यवस्था की समीक्षा करनी चाहिए. साथ ही इस पर भी मंथन होना चाहिए कि आरटीई के तहत प्राइवेट स्कूलों में जो बच्चे पढ़ रहे हैं, ऐसे 25% बच्चे ही क्यों फेल होते हैं. 75% बच्चे क्यों फेल नहीं हो रहे? उन्होंने निशुल्क शिक्षा ले रहे छात्रों के साथ भेदभाव का आरोप लगाते हुए शिक्षा विभाग से इसकी भी जांच करने की मांग की.

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.