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वैष्णो देवी की तर्ज पर मणिमहेश में भी हो श्राइन बोर्ड, सांसद सिकंदर कुमार ने सदन में रखी मांग

सांसद सिकंदर कुमार ने राज्यसभा में वैष्णो देवी, अमरनाथ की तरह मणिमहेश में भी श्राइन बोर्ड के गठन की मांग उठाई, पढ़ें पूरी खबर.

मणिमहेश श्राइन बोर्ड बनाने की मांग
मणिमहेश श्राइन बोर्ड बनाने की मांग (कॉन्सेप्ट फोटो)

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Dec 4, 2024, 7:49 PM IST

शिमला: संसद के ऊपरी सदन राज्यसभा में मंगलवार को जिला चंबा के मणिमहेश यात्रा का मामला गूंजा. राज्यसभा सांसद डॉ. सिकंदर कुमार ने मणिमहेश आने वाले यात्रियों की परेशानी के समाधान की मांग राज्यसभा में उठाई. इस दौरान उन्होंने वैष्णो देवी और अमरनाथ की तर्ज पर मणिमहेश में भी श्राइन बोर्ड के गठन की मांग उठाई, ताकि श्रद्धालुओं की परेशानी को काम किया जा सके.

राज्यसभा में डॉ. सिकंदर कुमार ने कहा 'मणिमहेश यात्रा एक बहुत ही पवित्र और कठिन यात्रा है, जो अगस्त महीने में शुरू होती है. यह यात्रा हिमाचल प्रदेश के जिला चंबा तहसील भरमौर में है. यह यात्रा यहां के स्थानीय लोगों के लिए रोजगार की दृष्टि से भी बहुत महत्वपूर्ण है. हर साल लाखों श्रद्धालु मणिमहेश के दर्शन करने के लिए आते हैं, लेकिन यहां की सुविधाओं की कमी एक बड़ी समस्या है. श्रद्धालुओं के लिए चिकित्सा, स्वास्थ्य, हेलीकॉप्टर, परिवहन, आवास, शौचालय, बिजली जैसी आवश्यक सुविधाओं की कमी है. इसके अलावा यहां ट्रैफिक जाम की समस्या भी बहुत बड़ी है. इसका समाधान नेशनल हाईवे- 154-A का विस्तार कर किया जा सकता है.'

श्री वैष्णो देवी की तर्ज पर श्राइन बोर्ड बनाने की मांग (सौजन्य: संसद टीवी)

सांसद सिकंदर कुमार ने कहा कि, 'मैं भारत सरकार से आग्रह करता हूं कि मणिमहेश यात्रा पर आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए यहां पर चिकित्सा, स्वास्थ्य, संचार, बिजली, हेलीकॉप्टर, परिवहन, आवास, शौचालय जैसी आवश्यक सुविधाओं का प्रबंध किया जाए. साथ ही वैष्णो देवी और अमरनाथ श्राइन बोर्ड की तरह ही यहां भी श्राइन बोर्ड की स्थापना की जाए'

बता दें कि मणिमहेश चंबा के भरमौर में ऊंची चोटी पर स्थित है. पैदल मार्ग के जरिए ही भक्त यहां तक पहुंच पाते हैं. मान्यता है कि भगवान शिव मणिमहेश के कैलाश शिखर पर रहते हैं. मणिमहेश यात्रा अगस्त या सितंबर के महीने में होती है. ये यात्रा जन्माष्टमी से राधा अष्टमी तक चलती है. माना जाता है कि 9वीं शताब्दी में जब चंबा के राजा साहिल वर्मन को भगवान शिव के दर्शन दिए थे. इसके बाद इस यात्रा की शुरुआत हुई थी.

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