कुल्लू: सर्दियों में बर्फबारी के सीजन में हजारों की संख्या में लोग पहाड़ों का रुख करते हैं. इन पहाड़ों पर कई अनजान खतरे भी होते हैं जिनसे हम अनजान होते हैं. सर्दियों में कुछ खतरे पहली नजर में मामूली लगते हैं लेकिन इन्हें नजर अंदाज करना खतरे से खाली नहीं है. पहाड़ों पर बर्फबारी, एवलांच, लैंड स्लाइड के खतरे तो सभी जानते हैं, लेकिन बहुत ही कम लोगों को ब्लैक आइस नाम के खतरे के बारे पता होगा. ये परेशानी सर्दियों में मुश्किल का सबब बन सकती है.
क्या होती है ब्लैक आइस ?
सर्दियों के मौसम में सड़क पर जमी बर्फ की पतली सी परत को ब्लैक आइस या काली बर्फ कहा जाता है. ये बर्फ की पतली और पारदर्शी परत होती है. सर्दियां आते ही ऊंचाई वाले इलाकों में तापमान माइनस से नीचे चला जाता है. कई इलाकों में नदी-नालों का पानी भी जमना शुरू हो जाता है. हिमाचल प्रदेश के लाहौल स्पीति, किन्नौर, मनाली जैसे इलाकों की बात करें तो यहां पर शाम होते ही पारा माइनस में चला जाता है. ऐसे में यहां की सड़कों पर ब्लैक आइस का खतरा भी बढ़ जाता है. ब्लैक आइस सड़कों पर दौड़ रहे वाहनों और पैदल यात्रियों के लिए भी खतरनाक साबित होती है. ब्लैक आइस को लेकर लाहौल स्पीति प्रशासन ने घाटी में पर्यटकों और स्थानीय लोगों के लिए चेतावनी भी जारी कर दी है, ताकि लोग सड़क दुर्घटना से बच सकें.
कैसे बनती है ब्लैक आइस ?
जिला लाहौल स्पीति की बात करें तो यहां पर पारा रात के समय माइनस -15 डिग्री तक गिर रहा है, जिसके चलते आसमान से गिर रहा कोहरा सड़क पर बर्फ की तरह जम जाता है. जमे कोहरे के नीचे सड़क की काली सतह एकदम साफ नजर आती है. सर्दियों में सड़क पर कोहरा, ओस या बारिश का पानी जम जाता है जिसे ब्लैक आइस कहा जाता है और ये एकदम पारदर्शी होती है. जिसके कारण वाहन चालकों को इसका अंदाजा ही नहीं लग पाता. सर्दियों में तापमान जीरो से नीचे जाने के साथ ही सड़कों पर ब्लैस आइस जमना शुरू होती है जो वाहन चालकों के साथ-साथ पैदल चलने वालों के लिए भी मुश्किल का सबब बनती है.
खतरनाक होती है ब्लैक आइस
ब्लैक आइस जमने पर सड़कें बहुत फिसलन भरी हो जाती हैं और सड़क हादसों का अंदेशा बढ़ जाता है. वाहन चालकों को भी लगता हैं कि सड़क बिल्कुल साफ है, क्योंकि जमी हुई पारदर्शी ब्लैक आइस लोगों को नजर नहीं आती और इससे सड़क हादसों की संभावना बढ़ जाती है.ब्लैक आइस के चलते सड़कों पर फिसलन बढ़ जाती है. इस फिसलन भरी सड़क पर वाहन अक्सर फिसल कर दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं. जिससे जान-माल की हानि होती है. अकेलो लाहौल घाटी की बात करें तो नवंबर महीने में ही ब्लैक आइस के चलते दर्जनभर सड़क दुर्घटनाएं हो चुकी हैं. गनीमत यह रही कि इस सड़क दुर्घटना में किसी की जान नहीं गई. वाहन चालकों को सड़क पर जमी ब्लैक आइस का पता नहीं चला और वाहन उस पर फिसल कर पलट गए. लाहौल स्पीति प्रशासन ने भी इस बारे एडवाइजरी जारी की गई है कि वाहन चालक सुबह और शाम के समय घाटी की सड़कों पर सफर न करें.
ब्लैक आइस से बचने के लिए क्या करें वाहन चालक ?
कुल्लू टैक्सी यूनियन ने भी इस बारे वाहन चालकों के लिए एडवाइजरी जारी करते हुए कहा कि, जहां ब्लैक आइस का खतरा अधिक है वहां पर वाहन चालक अपने टायरों में लोहे की चेन लगाए. ताकि सड़क पर जमी बर्फ की परत को तोड़ा जा सके और एक्सीडेंट के खतरे को कम किया जा सके. टैक्सी यूनियन के चेयरमैन कवींद्र ठाकुर ने बताया कि, 'हर साल वाहन चालकों को इस समस्या का सामना करना पड़ता है. ऐसे में वाहन चालक अपने साथ नमक भी रखें. अगर कहीं पर सड़क पर ज्यादा बर्फ जमी हुई हो तो उसे पार करने से पहले सड़क पर नमक फैला दें. इससे बर्फ तुरंत पिघल जाएगी और वाहन चालक आराम से सड़क से गुजर सकते हैं. ब्लैक आइस का खतरा अधिकतर उन जगहों पर होता है. जहां पर धूप बहुत कम पड़ती है. ऐसे में इन स्थानों से गुजरते समय वाहन चालक अपनी गति को धीमा रखें और सावधानी पूर्वक इन रास्तों को पार करें.'
पैदल चलने वालों के लिए ब्लैक आइस का खतरा
ब्लैक आइस का खतरा वाहन चालकों के साथ-साथ पैदल चलने वालों के लिए भी होता है. सड़क और रास्तों पर फिसलन बढ़ने के कारण हर साल कई लोगों को फिसलने के कारण चोट लगती है. कई बार ये चोट बहुत गंभीर भी होती है. कुल्लू के हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉक्टर संतुष्ट शर्मा का कहना है कि, "ब्लैक आइस के चलते ग्रामीण इलाकों के रास्तों में भी फिसलन बढ़ जाती है और हड्डियों से संबंधित समस्या भी हो जाती है. कोहरे से भरे रास्तों मे फिसलन के चलते कई बार पैरों की हड्डियां चटक जाती हैं. लोगों को इस बात का पता भी काफी देर से चलता है. ग्रामीण इलाकों में लोग पैदल चलते समय रास्तों पर भी सावधानी बरतें. ऐसे रास्तों मे पैदल चलते समय हाथ में डंडा लेकर चलें. अगर कोई फिसलता है तो वो हड्डी रोग विशेषज्ञ से अवश्य सलाह लें."
ब्लैक आइस को लेकर पुलिस की एडवाइजरी
लाहौल स्पीति पुलिस के अधीक्षक मयंक चौधरी ने बताया कि, 'लाहौल स्पीति पुलिस के जवान लाउडस्पीकर के माध्यम से भी वाहन चालकों को जागरुक कर रहे हैं. इसके अलावा सैलानियों के वाहनों को भी दोपहर के बाद ही घाटी की तरफ आने दिया जा रहा है और शाम होते ही उन्हें वापस भेज दिया जा रहा है. घाटी में कड़ाके की ठंड के चलते ब्लैक आइस का खतरा बढ़ जाता है. ऐसे में वाहन चालक सावधानीपूर्वक सफर करें.'
ब्लैक आइस के कारण सड़कें बंद
ब्लैक आइस के खतरे को देखते ही लाहौल स्पीति पुलिस ने ग्राम्फू से काजा सड़क मार्ग को बंद कर दिया है और अब जल्द ही बारालाचा, शिंकुला दर्रे को भी बंद करने की योजना बनाई जा रही है, ताकि वाहन चालकों को दिक्कत का सामना न करना पड़े. इसके साथ ही कुंजुम टॉप से वाहनों की आवाजाही 4 दिन पहले ही बंद कर दी गई थी. हर साल सर्दियों के मौसम में ब्लैक आइस कई स्थानीय लोगों के साथ-साथ पर्यटकों के लिए परेशानी का सबब बनती है. इसलिये अगर सर्दियों में पहाड़ों पर घूमने का प्लान है तो ब्लैक आइस से बचने का पूरा इंतजाम साथ लेकर चलिए.
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