शिमला: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने राज्य में सार्वजनिक इमारतों व औद्योगिक इकाइयों को 14 से 20 मंजिलों के निर्माण की इजाजत पर स्थिति स्पष्ट करने के लिए स्टेट टाउन प्लानर को अदालत में तलब किया है. इस मामले में हाईकोर्ट ने होटलों और विशेष वाणिज्यिक परियोजनाओं को अधिकतम 14 मंजिला भवनों के निर्माण की अनुमति देने से जुड़ी अधिसूचना पर फिलहाल रोक लगा रखी है. टीसीपी विभाग ने 18 नवंबर को इस बारे में हिमाचल प्रदेश नगर एवं ग्राम नियोजन (तेरहवां संशोधन) नियम, 2024 को अधिसूचित किया था. हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने जनहित से जुड़ी याचिका पर सुनवाई के बाद उपरोक्त आदेश जारी किए हैं. खंडपीठ ने अब मामले की सुनवाई 12 दिसंबर को निर्धारित की है.
कहां बनाई जा सकती हैं कितनी मंजिलें?
टीसीपी विभाग द्वारा जारी नए नियमों के अनुसार पर्यटन इकाइयों सहित अन्य वाणिज्यिक इमारतों और संवर्धित फर्श क्षेत्र अनुपात (एफएआर) प्रावधानों के तहत, 4,001 वर्ग मीटर और 10,000 वर्ग मीटर के बीच के भूखंडों पर 13 मंजिलें और 10,000 वर्ग मीटर से अधिक के भूखंडों पर 14 मंजिलें बनाई जा सकती हैं. इसी के साथ केंद्रीय व्यापारिक जिलों और फोर लेन, राष्ट्रीय और राज्य राजमार्गों सहित पारगमन-उन्मुख विकास गलियारों के लिए एफएआर प्रावधानों के मामले में 4,001 वर्ग मीटर से 10,000 वर्ग मीटर के भूखंडों पर 18 जबकि 10,001 वर्ग मीटर से अधिक के भूखंडों पर 20 मंजिल तक की इमारतें बनाई जा सकती हैं. सरकार द्वारा बनाई गई इमारतों सहित इन ऊंची इमारतों के निर्माण की अनुमति कई शर्तों के साथ आती है. उदाहरण के लिए जैसे मैदानी इलाकों में 15 डिग्री से कम और पहाड़ी इलाकों में 20 डिग्री से कम ढलान वाली जमीन पर ही निर्माण किया जा सकता है.
पहाड़ों पर बेतहाशा निर्माण
उल्लेखनीय है कि सोलन जिले के कुमारहट्टी में बन रही बहुमंजिला इमारतों को लेकर दायर जनहित याचिका को विस्तार देते हुए हाईकोर्ट ने पूरे प्रदेश को टीसीपी के अधीन करने के आदेश जारी किए थे, ताकि पहाड़ियों को काट कर निर्माण कार्य को नियंत्रित किया जा सके. कोर्ट को सुनवाई के दौरान बताया गया था कि प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में अंधाधुंध भवन निर्माण किया जा रहा है. कोई कायदा कानून लागू न होने के कारण भू मालिक बिना किसी डर से बेतहाशा निर्माण कार्य कर रहे हैं. इसके लिए न तो पहाड़ों की ढलान को देखा जाता है और न ही इमारतों की ऊंचाई के साथ साथ कार्य की गुणवत्ता को.
भूकंप को लेकर हिमाचल अति संवेदनशील
सबसे भयावह पक्ष तो यह है कि प्लानिंग एरिया और स्पेशल एरिया से बाहर के क्षेत्रों में भवन निर्माण करने वालों को बेलगाम छोड़ दिया गया है. भौगोलिक दृष्टि से हिमालय की गोद में स्थित हिमाचल प्रदेश अपने नैसर्गिक सौंदर्य के लिए जाना जाता है. इसके साथ ही यह देश का ऐसा राज्य भी है जो भूकंप को लेकर अति संवेदनशील क्षेत्रों में शामिल है. यहां पर 97 फीसदी क्षेत्र भूस्खलन की जद में है. ऐसे में बेलगाम निर्माण प्रदेश के भयानक साबित हो सकता है. हाईकोर्ट में अब मामले की सुनवाई गुरुवार 12 दिसंबर को होगी.