बीकानेर : राजस्थान के व्यापारियों ने सरकार द्वारा अन्य राज्यों से आयातित कच्चे माल पर कृषि मंडी शुल्क और कृषक कल्याण शुल्क लगाए जाने के फैसले का कड़ा विरोध किया है. इस फैसले के खिलाफ बुधवार को प्रदेशभर की दाल मिलें, मैदा मिलें और करीब दो दर्जन मंडियों में कामकाज बंद रहेगा.
व्यापारियों की मांग :राजस्थान दाल मिल महासंघ के प्रदेश महासचिव जय किशन अग्रवाल ने बताया कि प्रदेश में करीब 466 दाल प्रोसेसिंग इकाइयां कार्यरत हैं, जिनका उत्पादन पूरे वर्ष निर्बाध रूप से चलता है. उन्होंने कहा, "हम केवल प्रदेश की मंडियों और व्यापारियों पर निर्भर नहीं रह सकते. जब राज्य में कच्चे माल की उपलब्धता कम होती है, तो हमें अन्य राज्यों से कच्चा माल आयात करना पड़ता है. ऐसे में सरकार का यह शुल्क दोहरा भार डालता है."
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सेवा नहीं, फिर भी शुल्क क्यों ? :किशन अग्रवाल का कहना है कि अन्य राज्यों से आयातित कच्चे माल पर राज्य की इकाइयां कृषि विपणन विभाग द्वारा संचालित मंडी प्रांगण की कोई सेवा नहीं लेती हैं. इसके बावजूद मंडी शुल्क और कृषक कल्याण शुल्क लगाया जा रहा है. उन्होंने कहा, "जिन राज्यों से कच्चा माल मंगवाया जाता है, वहां पहले ही मंडी शुल्क चुकाया जाता है. ऐसे में राजस्थान में फिर से शुल्क लगाना अनुचित है."
व्यापारियों ने दावा किया कि दोहरे शुल्क की वजह से राजस्थान की इकाइयां अन्य राज्यों की इकाइयों के मुकाबले पिछड़ रही हैं. साथ ही राज्य में विभिन्न कृषि जिंसों पर अलग-अलग मंडी शुल्क दरें लागू हैं, जिसे न्यूनतम दर पर एक समान करने की मांग की गई है. सरकार पर इस फैसले को वापस लेने का दबाव बनाने के लिए बुधवार को प्रदेश की सभी दाल और मैदा मिलें सांकेतिक रूप से बंद रहेंगी. इसके अलावा बीकानेर समेत प्रदेश की करीब 24 मंडियों ने भी कामकाज बंद रखकर इस फैसले के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराया है. व्यापारियों ने सरकार से जल्द से जल्द इस अव्यवहारिक शुल्क को हटाने और सभी कृषि जिंसों पर एक समान शुल्क दर लागू करने की अपील की है.