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राजस्थान विधानसभा : राष्ट्रीय पर्यावरण पर दो दिवसीय युवा संसद का शुभारंभ, अध्यक्ष ने कही ये बड़ी बात - NATIONAL ENVIRONMENTAL DEBATE

राजस्थान विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी की पहल पर विधानसभा में राष्ट्रीय पर्यावरण पर दो दिवसीय युवा संसद का आयोजन किया गया.

Rajasthan Vidhansabha
राजस्थान विधानसभा (ETV Bharat Jaipur)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jan 24, 2025, 4:29 PM IST

जयपुर:देश का भविष्य और वर्तमान युवा को दृढ़ संकल्प के साथ पर्यावरण संरक्षण के लिये प्रतिबद्ध होकर कार्य करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी की पहल पर राजस्थान विधानसभा में शुक्रवार को राष्ट्रीय पर्यावरण पर दो दिवसीय युवा संसद आरंभ हुई. देवनानी ने देश के विभिन्न राज्यों के विभिन्न विश्वविद्यालयों से आये 200 से अधिक युवाओं के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित कर राष्ट्रीय पर्यावरण विषय पर आयोजित युवा संसद का शुभारंभ किया.

आम जन से आह्वान : विधानसभा अध्यक्ष देवनानी ने युवाओं का आह्वान किया कि सभी को मिल जुल कर एक स्वस्थ, सुरक्षित और हरित भविष्य की दिशा में कदम बढ़ाने होंगे. इसके लिए देश का भविष्य और वर्तमान युवा को दृढ़ संकल्प के साथ पर्यावरण संरक्षण के लिये प्रतिबद्ध होकर कार्य करने होंगे. उन्होने कहा कि पर्यावरण सुरक्षा के लिए प्रत्येक व्यक्ति को अपना दायित्व समझना होगा और सजग रहकर पर्यावरण के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को भी निभाना होगा. तकनीकी ज्ञान के साथ पृथ्वी पर उपलब्ध पानी की हर बूंद के उपयोग का प्रयास करना होगा. देवनानी ने युवाओं से कहा कि पर्यावरण संरक्षण पर राजस्थान विधान सभा के सदन में चर्चा के साथ क्रियान्विति के लिए ब्लूप्रिंट आवश्यक रूप से तैयार करें.

जल, प्रकृति और प्राकृतिक संसाधनों से हमें प्रेम करना होगा : विधानसभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी ने कहा कि जल, प्रकृति और प्राकृतिक संसाधन हैं तो मानव जीवन है. पर्यावरण सुरक्षित रहेगा तो मानव और धरती का अस्तिव बना रहेगा. देवनानी ने कहा कि औद्योगीकरण एवं वैज्ञानिक नवाचारों के साथ जल, प्रकृति और प्राकृतिक संसाधनों से हमें प्रेम करना होगा. इसी से हमारे स्वयं के साथ समाज व देश का सुव्यवस्थित विकास हो सकेगा. देवनानी ने आकाश-शांति, पृथ्वी-शांति, अंतरिक्ष-शांति और सभी जीव जगत की शांति के लिए प्रार्थना करते हुए कहा कि पर्यावरण विषय के इस युवा संसद का उद्देश्य पर्यावरण के प्रति चेतना बढ़ाना है, साथ ही प्राकृतिक संसाधनों एवं पारिस्थितिकी तंत्र के प्रति भी जागरूकता और संवेदनशीलता के साथ हमें अपनी मानवीय जिम्मेदारियों पर समझ बढ़ानी होगी.

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भारतीय संस्कृति में पर्यावरण संरक्षण के वैज्ञानिक दृष्टिकोण : देवनानी ने कहा कि पर्यावरण के प्रति भारतीय संस्कृति सदैव से ही वैज्ञानिक दृष्टिकोण रखती आई है. भारतीय दर्शन में संतुलन और सद्भाव की अवधारणा के साथ पशुओं के प्रति अहिंसा और करूणा का भाव है. उन्होनें कहा कि प्राचीनकाल से ही भारतीय संस्कृति में जल और पेडों के संरक्षण के अनेक उपाय बताए जाते रहे हैं. सिंधु घाटी सभ्यता नदी किनारे विकसित हुई, जिसने जल निकास व्यवस्था का सुंदर उदाहरण प्रस्तुत किया. राजस्थान में सार्वजनिक तालाब, खड़ीन, झालरा, कुंए, बावड़ी आदि अनेक जल संचयन की तकनीकी विधियां आज भी विद्यमान हैं, जिनसे मरुस्थल को भी जैव समृद्धता मिलती है.

राष्ट्र में चल रहे है पर्यावरण संरक्षण के अनेक अभियान, युवाओं से किया जुड़ने का आह्वान : देवनानी ने भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा सौर, पवन और जल ऊर्जा के विकल्पों को बढ़ावा देने के लिए देश में चलाए जा रहे जल सहेली, स्वच्छ भारत, एक पेड़ मां के नाम, टिकाऊ जल प्रबंधन जैसे अनेक अभियानों का जिक्र करते हुए कहा कि ऐसे प्रयासों से राष्ट्र सतत विकास के साथ पर्यावरण संरक्षण के प्रति प्रतिबद्ध है. उन्होंने युवाओं को इन कार्यक्रमों से दृढ़ संकल्प के साथ जुड़ कर पर्यावरण संरक्षण के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को निष्ठा एवं ईमनादारी के साथ निर्वहन करने के लिए कहा.

नेशनल इन्वायरमेंट यूथ पार्लियामेंट का आयोजन ऐतिहासिक : राष्ट्र मंडल संसदीय संघ की राजस्थान शाखा के सचिव श्री संदीप शर्मा ने कहा कि राजस्थान विधानसभा के सदन में नेशनल इन्वायरमेंट यूथ पार्लियामेंट का आयोजन ऐतिहासिक है. युवा शक्ति को लोकतंत्र से जोडने के लिये विधान सभा के पवित्र सदन में युवाओं को बैठने का गौरवशाली अवसर मिला है. युवा संसद का यह मंच पर्यावरण के प्रति हमारी जिम्मेदारी को समझने के साथ हमारे विचारों, प्रयासों और संकल्पों का साझा माध्यम भी बनेगा. राष्ट्र मंडल संसदीय संघ की राजस्थान शाखा द्वारा विधान सभा अध्यक्ष वासुदेव देवनानी के नेतृत्व में ऐसे नवप्रयोग किए जा रहे हैं. उन्होने कहा कि पर्यावरण संकट केवल एक देश का मुद्दा नहीं है, बल्कि संपूर्ण मानवता का साझा दायित्व है. समाज की रीढ़ युवा शक्ति को इसके लिये तत्परता से बदलाव और प्रतिबद्वता के साथ सतत भविष्य को सशक्त करने की जरूरत है.

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