जयपुर : राजस्थान हाईकोर्ट ने बार काउंसिल ऑफ राजस्थान और अन्य बार एसोसिएशनों में महिला अधिवक्ताओं को 33 प्रतिशत आरक्षण नहीं देने के मामले में बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) को पक्षकार बनाने का आदेश दिया है. मुख्य न्यायाधीश एमएम श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति उमाशंकर व्यास की खंडपीठ ने यह आदेश अधिवक्ता हेमा तिवाड़ी की जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान दिए.
अदालत ने कहा कि हाईकोर्ट बार एसोसिएशन जयपुर, दी बार एसोसिएशन जयपुर और अन्य एसोसिएशनों को नोटिस भेजा गया था, लेकिन उनकी ओर से कोई जवाब या पेशी नहीं हुई. अदालत ने इस पर टिप्पणी की कि उनकी अनुपस्थिति को यह मानने का आधार है कि उन्हें महिला आरक्षण के प्रावधान पर कोई आपत्ति नहीं है.
बीसीआर की आपत्ति और कोर्ट का रुख :बार काउंसिल ऑफ राजस्थान (बीसीआर) की ओर से अधिवक्ता प्रतीक कासलीवाल ने याचिका पर प्रारंभिक आपत्तियां दर्ज करवाईं. उन्होंने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता स्वयं बार काउंसिल चुनाव लड़ने की इच्छा रखती हैं और इस कारण यह याचिका जनहित नहीं, बल्कि व्यक्तिगत हितों से प्रेरित हो सकती है. बीसीआर ने यह भी कहा कि महिला आरक्षण के लिए नियम बनाने का अधिकार केवल बार काउंसिल ऑफ इंडिया के पास है, जबकि याचिकाकर्ता ने बीसीआई को पक्षकार नहीं बनाया है. इस पर कोर्ट ने बीसीआई को पक्षकार बनाने का निर्देश देते हुए अगली सुनवाई 10 दिसंबर को तय की.