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हाईकोर्ट ने कोटा बार चुनाव नहीं कराने के खिलाफ दायर याचिका की खारिज - RAJASTHAN HIGH COURT

कोटा अभिभाषक संघ के चुनाव नहीं कराने को लेकर दायर याचिका कोर्ट ने खारिज कर दी है.

COURT DISMISSED THE PETITION,  NOT HOLDING KOTA BAR ELECTIONS
राजस्थान हाईकोर्ट. (ETV Bharat jaipur)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Nov 27, 2024, 6:35 PM IST

जयपुरःराजस्थान हाईकोर्ट ने कोटा अभिभाषक संघ के चुनाव आगामी 13 दिसंबर को नहीं कराने के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया है. अदालत ने कहा कि अभिभाषक संघ ने गत 29 जून को अपने संविधान में संशोधन कर कार्यकारिणी के कार्यकाल को एक साल से बढ़ाकर दो साल कर दिया था और इस संशोधन को याचिका में चुनौती नहीं दी गई है. जस्टिस अनूप ढंड की एकलपीठ ने यह आदेश कृपा शंकर व अन्य की ओर से दायर याचिका को खारिज करते हुए दिए.

याचिका में अदालत को बताया कि अभिभाषक संघ के संविधान के अनुसार संघ की कार्यकारिणी के वार्षिक चुनाव होंगे. वहीं, हाईकोर्ट ने 24 अगस्त, 2023 को आदेश जारी कर प्रदेश की हर बार एसोसिएशन के चुनाव दिसंबर माह के दूसरे शुक्रवार को करने के निर्देश दे रखे हैं. याचिका में बताया गया कि कोटा अभिभाषक संघ के वार्षिक चुनाव गत वर्ष दिसंबर माह में हुए थे. ऐसे में संघ के संविधान और अदालती आदेश की पालना में इस साल अन्य बार एसोसिएशनों की तरह कोटा अभिभाषक संघ को अपने चुनाव 13 दिसंबर को कराने थे. इसके बावजूद संघ ने गत 29 जून को आम बैठक में निर्णय लेना बताकर मौजूदा कार्यकारिणी का कार्यकाल बढ़ा लिया. यह कार्यकाल बढ़ाने का आधार वकीलों के कल्याण और कोर्ट बिल्डिंग के लिए भूमि आवंटन बताया गया.

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याचिका में कहा गया कि इस आम बैठक में ऐसा कोई निर्णय नहीं लिया गया था और कार्यकारिणी का कार्यकाल बढ़ाने का निर्णय संविधान के खिलाफ है. याचिकाकर्ता की ओर से बार कौंसिल ऑफ राजस्थान को पत्र लिखकर अभिभाषक संघ की मनमानी करने की शिकायत की गई, लेकिन कौंसिल ने उस पर कोई कार्रवाई नहीं की. ऐसे में कोटा अभिभाषक संघ को 13 दिसंबर को वार्षिक चुनाव कराने के निर्देश दिए जाए. इसके जवाब में अभिभाषक संघ के पदाधिकारियों और बीसीआर की ओर से अधिवक्ता संदीप पाठक और अधिवक्ता प्रतीक कासलीवाल ने अदालत को बताया कि संघ ने गत 29 जून को अपने संविधान में संशोधन किया है और इसे सहकारिता रजिस्ट्रार ने भी अप्रूव्ड कर दिया है. इसके तहत कार्यकाल को एक साल से बढ़ाकर दो साल किया गया है. ऐसे में वर्तमान कार्यकारिणी का कार्यकाल 9 दिसंबर, 2025 तक हो गया है. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अदालत ने याचिका को खारिज कर दिया है.

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