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ट्रांसजेंडर को OBC में वर्गीकृत करने के परिपत्र को हाईकोर्ट में चुनौती, दो सप्ताह में मांगा जवाब - RESERVATION OF TRANSGENDERS

ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को क्षैतिज आरक्षण की बजाय ओबीसी में वर्गीकृत करने के राज्य सरकार के परिपत्र को हाईकोर्ट जोधपुर में चुनौती दी गई है.

Reservation of Transgenders
राजस्थान हाईकोर्ट जोधपुर (ETV Bharat Jodhpur)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jan 23, 2025, 6:32 PM IST

Updated : Jan 23, 2025, 7:21 PM IST

जोधपुर:ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को क्षैतिज आरक्षण की बजाय ओबीसी में वर्गीकृत करने के राज्य सरकार के परिपत्र को राजस्थान हाईकोर्ट में चुनौती दी गई है. मुख्य न्यायाधीश एमएम श्रीवास्तव एवं न्यायाधीश डॉ नुपूर भाटी की खंडपीठ ने परिपत्र को चुनौती देने वाली जनहित याचिका पर सरकार को नोटिस जारी करते हुए दो सप्ताह में जवाब मांगा है.

विवेक माथुर अधिवक्ता (ETV Bharat Jodhpur)

राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त महाधिवक्ता प्रवीण खंडेलवाल, वरिष्ठ न्यायाधीश एवं अतिरिक्त महाधिवक्ता राजेश पंवार, अतिरिक्त महाधिवक्ता बीएल भाटी ने नोटिस स्वीकार किए. याचिकाकर्ता गंगाकुमारी की ओर से अधिवक्ता धीरेन्द्रसिंह सोढ़ा और विवेक माथुर ने याचिका पेश की और ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को ओबीसी सूची में शामिल करने के बजाय उन्हें क्षैतिज आरक्षण दिये जाने की मांग की है.

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नालसा की भावना का उल्लंघन: उन्होंने राज्य के सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय द्वारा 12 जनवरी 2023 को जारी एक परिपत्र को चुनौती दी है. इस परिपत्र के अनुसार ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को क्षैतिज आरक्षण लाभ देने के बजाय उन्हें अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के सदस्य के रूप में वर्गीकृत किया गया है. याचिका में परिपत्र को प्रतिकूल और असंवैधानिक बताया गया है.

याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि 2014 में नालसा बनाम भारत संघ के फैसले में सर्वोच्च न्यायालय ने ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्ग के रूप में मान्यता देने का आह्वान किया था और कहा था कि ऐसे नागरिकों को शैक्षणिक संस्थानों और सार्वजनिक नियुक्तियों में आरक्षण का लाभ दिया जाना चाहिए, जबकि राजस्थान सरकार का 2023 का परिपत्र नालसा के फैसले की भावना का उल्लंघन करता है.

याचिका में कहा गया है ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को ओबीसी श्रेणी में रखने का परिपत्र का प्रावधान प्रतिकूल है, क्योंकि यह ट्रांसजेंडरों को विशेष आरक्षण का लाभ उठाने की अनुमति नहीं देता है, और इससे उन्हें ट्रांसजेंडर-विशिष्ट और ओबीसी-संबंधित दोनों लाभों से वंचित किया जा सकता है.

महत्वपूर्ण पहलुओं की अनदेखी:याचिका में कहा गया है परिपत्र महत्वपूर्ण पहलुओं की अनदेखी करता है, जिसमें ऐसे मामले भी शामिल हैं, जहां अनुसूचित जाति या ओबीसी परिवार में पैदा हुआ एक ट्रांसजेंडर व्यक्ति उनके लिए बने विशेष लाभों से वंचित हो जाएगा, जिससे असमानता बनी रहेगी. याचिकाकर्ता एक ट्रांसजेंडर महिला ने हाईकोर्ट से इस परिपत्र को रद्द करने और इसके बजाय राज्य को उन्हें क्षैतिज आरक्षण लाभ देने का आदेश देने का आग्रह किया है. इस मामले में अब हाईकोर्ट ने दो सप्ताह में जवाब-तलब किया है.

Last Updated : Jan 23, 2025, 7:21 PM IST

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