जयपुर. प्रदेश में बोर्ड की परीक्षाएं शुरू हो चुकी हैं, लेकिन अब इन परीक्षाओं में यदि किसी भी छात्र के लिखित परीक्षा में 50 फीसदी से कम अंक आए और छात्र को स्कूल से अच्छे सत्रांक भेजे गए तो ऐसा करने वाले शिक्षकों को नोटिस दिया जाएगा. इस नोटिस पर यदि शिक्षक की ओर से संतोषजनक जवाब नहीं मिला तो फिर उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. यह आदेश न सिर्फ सरकारी स्कूलों के शिक्षकों के लिए है, बल्कि प्राइवेट स्कूलों पर भी यही बात लागू होगी. राज्य के शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने तो प्राइवेट स्कूलों को ये तक चेतावनी दे दी कि यदि छात्रों को सत्रांक देकर ही पास कराना है तो क्यों न उनकी मान्यता रद्द कर दें.
शिक्षक हो जाएं सावधान : प्राइवेट स्कूल और सरकारी अध्यापकों की ओर से अपना रिजल्ट सुधारने के लिए परीक्षाओं में 20 में से 20 और न्यूनतम 15 अंक तो सत्रांक के भेज ही देते हैं और फिर इन्हीं सत्रांक के आधार पर छात्र लिखित परीक्षा में कम अंक लाकर भी पास हो जाते हैं. इस पर नकेल कसने के लिए शिक्षा विभाग ने एक आदेश जारी करते हुए इस तरह की धांधली पर रोक लगाने की कवायद की है. शिक्षा मंत्री मदन दिलावर ने बताया कि सत्रांक पूर्व की तरह ही होंगे, लेकिन फाइनल एग्जाम की लिखित परीक्षा में यदि छात्र के 50 प्रतिशत से कम अंक आएंगे तो फिर अध्यापकों से पूछा जाएगा कि ऐसा क्यों हुआ? इसका मतलब वो पढ़ा नहीं रहे हैं. सत्रांक तो 20 में से 20 दे दिए, फाइनल में 80 में से 16 अंक आएंगे तो भी पास हो जाएंगे. ऐसे में शिक्षकों से पूछा जाएगा कि स्कूल असेसमेंट तक तो बच्चा होनहार था, फिर फाइनल एग्जाम में कैसे पिछड़ गया. इसका मतलब स्कूल लेवल पर होने वाले असेसमेंट में ठीक ढंग से अंक नहीं दिए गए हैं.
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सरकारी ही नहीं, प्राइवेट स्कूलों पर भी नजर : आगे शिक्षा मंत्री ने स्पष्ट किया कि हजार बच्चों में एक बच्चा ऐसा हो सकता है, जिसके पूरे साल अच्छे अंक आने के बाद फाइनल में विपरीत परिस्थितियों के चलते अच्छे अंक न आए हो, लेकिन 999 के साथ ऐसा नहीं होगा. उन्होंने कहा कि किसी भी स्कूल में टीचर की ओर से सत्रांक 15 से कम देते हुए नहीं देखा गया है. मुख्य परीक्षा में 80 में से 10 से 15% अंक आते हैं. ये कदम इसलिए उठाया गया है, ताकि बच्चों के पढ़ाई की क्वालिटी सुधरे और अध्यापक उन्हें ढंग से पढ़ाए. उन्होंने कहा कि ये नियम सिर्फ सरकारी स्कूलों तक लागू नहीं रहेंगे, बल्कि प्राइवेट स्कूलों को भी नोटिस देकर पूछा जाएगा कि क्यों न उनकी मान्यता रद्द कर दी जाए.
विभागीय आदेश से शिक्षक संगठन नाराज :हालांकि, शिक्षक संगठनों को ये विभागीय आदेश रास नहीं आ रहा है. शिक्षक संगठन रेसला के प्रदेश महामंत्री डॉ. अशोक जाट ने इस आदेश को अव्यवहारिक बताते हुए कहा कि आज सरकारी विद्यालयों के जो बच्चे हैं, वो सत्रांक के अभाव में सीबीएसई स्कूल के विद्यार्थियों से पिछड़ेंगे और फिर महाविद्यालय में प्रवेश लेने में उन्हें समस्या आएगी. अब तक फर्स्ट टेस्ट, सेकंड टेस्ट, हाफ ईयरली और थर्ड टेस्ट के शैक्षणिक अंकों के आधार पर छात्रों को 10% अंक दिए जाते रहे हैं.
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तीन अंक उपस्थिति, दो अंक व्यवहार और पांच अंक प्रोजेक्ट कार्य के आधार पर दिए जाते हैं. इस तरह 20 अंकों का एक सत्रांक बनता है. यदि सरकारी विद्यालयों के बच्चों के सत्रांक कम आते हैं तो कहीं ना कहीं बच्चे का रिजल्ट खराब रहेगा, इससे वो विद्यालय छोड़ेगा, ड्रॉप आउट करेगा. उन्होंने कहा कि एक शिक्षक के पास क्लास में टॉपर स्टूडेंट भी होता है, और कम पढ़ने वाला छात्र भी होता है. इसलिए एक समान अंक आने की व्यवस्था तो हो नहीं सकती. ऐसे में शिक्षकों को कटघरे में खड़ा करना उचित नहीं.