जयपुर: राजस्थान की राजनीतिक गलियारों में उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा पिछले कुछ दिनों से लगातार सुर्खियों में बने हुए हैं. बेटे के रील से लेकर अब राष्ट्रीय जनता दल और कांग्रेस की एक प्रवक्ता की ओर से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर किए गए पोस्ट के बाद सियाली हलकों में चर्चाओं का बाजार गर्म है. हालांकि, इन दोनों पोस्ट में राजस्थान के उपमुख्यमंत्री पद का जिक्र था, लेकिन स्पष्ट तौर पर प्रेमचंद बैरवा का नाम नहीं था. इस पोस्ट को लेकर जारी चर्चाओं के बीच भाजपा की ओर से डिप्टी सीएम बैरवा के पक्ष में एक के बाद एक बयान सामने आए हैं.
सबसे पहले भाजपा प्रवक्ता लक्ष्मीकांत भारद्वाज ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर दलित मुख्यमंत्री को निशाने पर लिए जाने की बात कही, तो फिर कैबिनेट मंत्री किरोड़ीलाल मीणा ने भी पोस्ट करते हुए लिखा-'निरंतर जनसेवा कर रहे उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा के विषय में सफेद झूठ बोलकर अफवाह फैला रहे हैं. ऐसा करने वाले समाज और प्रदेश की राजनीति को दूषित कर रहे हैं. मैं ऐसी निंदित और कुत्सित राजनीति करने वालों की भर्त्सना करता हूं. ये भूताः विघ्नकर्तारस्ते नश्यन्तु शिवाज्ञया'. यहां तक कि भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष मदन राठौर ने भी डिप्टी सीएम का बचाव किया और कहा कि उनपर आरोप हल्की राजनीति है. उन्होंने कहा कि किसी का चरित्र हनन करना ठीक नहीं है.
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बेटे की रील से चालान तकः बीते दिनों उपमुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा के बेटे चिन्मय कुमार बैरवा की एक रील वायरल हुई थी, जिसमें पुलिस एस्कॉर्ट के बीच ओपन जीप में हाथ छोड़कर बिना सीट बेल्ट के ड्राइविंग कर रहे थे. इस मामले में उपमुख्यमंत्री विवादों से घिर गए, क्योंकि उनका नाबालिग बेटा पिता के परिवहन मंत्री रहते हुए ड्राइविंग के नियमों को तोड़ रहा था. इस मामले पर विवाद बढ़ने पर परिवहन विभाग ने चिन्मय बैरवा का 7 हजार रुपये का चालान काटा है, साथ ही कांग्रेस नेता पुष्पेंद्र भारद्वाज के बेटे कार्तिकेय भारद्वाज पर भी 7 हजार रुपये का जुर्माना लगाते हुए नोटिस जारी किया है. जयपुर RTO का अतिरिक्त कार्यभार देख रहे एआरटीओ प्रकाश टहलियानी ने बताया कि तेज रफ्तार में वाहन चलाने और सीट बेल्ट नहीं लगाने को लेकर डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा के बेटे चिन्मय बैरवा और कार्तिकेय भारद्वाज का 7-7 हजार का चालान किया गया.
सीएलजी सदस्य की नियुक्ति पर भी विवादःउपमुख्यमंत्री प्रेमचंद बैरवा एक और विवाद का हिस्सा बने. उनके खिलाफ महानगर मजिस्ट्रेट क्रम-11 में सरकारी लेटर पैड पर थाने में सीएलजी सदस्य नियुक्त करने की सूची जारी करने के मामले में परिवाद दायर किया गया था. हालांकि, बाद में बैरवा के खिलाफ दायर परिवाद को वापस लेने के आधार पर उसे खारिज कर दिया गया. सुनवाई के दौरान अदालत ने नए आपराधिक कानून के तहत परिवादी को मामले में परिवाद पेश करने की शक्ति नहीं होने की जानकारी दी. अदालत ने कहा कि नए आपराधिक कानून के तहत सम्बंधित लोक सेवक के खिलाफ उसका वरिष्ठ अधिकारी परिवाद दायर कर सकता है. ऐसे में परिवादी ने अपना परिवाद वापस लेने की अनुमति मांगी थी. जिस पर परिवाद को वापस लेने के आधार पर उसे खारिज कर दिया गया.
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गौरतलब है कि बलराम जाखड़ ने अपने परिवाद में डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा को आरोपित बताने हुए कहा था कि राजस्थान पुलिस नियम के नियम 55 में प्रावधान है कि सीएलजी सदस्यों की नियुक्ति पुलिस अधीक्षक की ओर से की जाएगी. वहीं, नियम 12 के तहत ऐसे किसी व्यक्ति को सीएलजी सदस्य के तौर पर नियुक्त नहीं किया जा सकता, जो कि राजनीतिक दल से जुडा हुआ हो. इसके बावजूद डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा ने गत 21 जून को अपने अपने लेटर पैड पर 15 सीएलजी सदस्यों को मनोनीत कर उसकी सूची मौजमाबाद थानाधिकारी को भेज दी, जबकि नियमानुसार यह शक्ति सिर्फ पुलिस अधीक्षक को प्राप्त है.
रेरा रजिस्ट्रार के पद पर सिफारिश का विवादः राजस्थान रिअल एस्टेट नियामक प्राधिकरण (रेरा) के रजिस्ट्रार पद को लेकर विवाद तब शुरू हुआ, जब डिप्टी सीएम प्रेमचंद बैरवा ने 23 अगस्त को मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर रिटायर्ड आरएएस रामचंद्र बैरवा को पे माइनस पेंशन के आधार पर रेरा रजिस्ट्रार बनाए जाने की सिफारिश की. रामचंद्र बैरवा 31 अगस्त 2023 को प्रशासनिक सेवा से सेवानिवृत्त हुए थे. मुख्यमंत्री कार्यालय ने 20 सितंबर को इस मामले में आवश्यक कार्रवाई करने का निर्देश दिया था. हालांकि, रेरा ने इस पर आपत्ति जताई कि रामचंद्र बैरवा ने तो रजिस्ट्रार पद के लिए आवेदन ही नहीं किया था. ऐसे में सवाल उठता है कि रजिस्ट्रार पद पर नियुक्ति के लिए जिन अधिकारियों ने आवेदन किया है, उनमें से किसे चुना जाए या सिफारिश के आधार पर रामचंद्र बैरवा को नियुक्त किया जाए ? डिप्टी सीएम की ओर से रामचंद्र बैरवा की सिफारिश के बाद स्थिति उलझ गई और यह मामला राजनीति और प्रशासनिक दबाव का विषय बन गया.