गोपालगंज:बिहार के गोपालगंज में राहुल कुमार युवा शिक्षक के रूप में बच्चों के जीवन में नई रोशनी फैला रहे हैं. पिछले कई वर्षों से बच्चों को न केवल निःशुल्क शिक्षा प्रदान कर रहे हैं, बल्कि उन्हें अच्छे संस्कार भी दे रहे हैं. इनके प्रयासों से बच्चों में नैतिक मूल्य, सामाजिक व्यवहार और अच्छे चरित्र का विकास हो रहा है.
संस्कारी योद्धा तैयार कर रहे राहुल:राहुल कुमार विजयीपुर प्रखंड के रामपुर गांव के रहने वाले हैं. समाज में फैली बुराइयों के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाले आज योद्धा तैयार कर रहे हैं, जो समाज को साफ-सुथरा और आपसी भाईचारा से चल सके. राहुल ने स्नातक तक पढ़ाई की है. पिता श्रीराम कृष्ण प्रसाद विदेश में कार पेंटर का काम करते है. दो भाइयो में सबसे बड़े राहुल आज बच्चों के भविष्य की चिंता कर रहे हैं.
बच्चों को संस्कार देना बेहद जरूरी:राहुल शहर के रामनाथ शर्मा मार्ग स्थित वार्ड नंबर 20 स्थिति गायत्री मंदिर परिसर में पिछले दो वर्षो से बच्चों को निःशुल्क शिक्षा के साथ साथ संस्कार दे रहे हैं. यह युवा शिक्षक बच्चों को पढ़ाई के साथ-साथ जीवन के मूल्यों का महत्व भी सिखाते हैं. वे बच्चों को ईमानदारी, सच्चाई, कर्तव्यनिष्ठा, सहयोग और सम्मान जैसे गुणों के बारे में बताते हैं.
समाज में आ सकता है बदलाव: इनके प्रयास से बच्चों में नैतिक मूल्यों का विकास, सामाजिक व्यवहार में सुधार, अच्छे चरित्र का निर्माण, आत्मविश्वास और नेतृत्व के गुणों का विकास हो रहा है. इन बच्चों ने कई प्रतियोगिताओं में भाग लेकर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन किया है और जिले का नाम रोशन किया है. राहुल कुमार ने कहा कि एक व्यक्ति के छोटे से प्रयास से भी समाज में बड़ा बदलाव लाया जा सकता है.
"यहां बाल संस्कारशाला है जो परम पूज्य गुरुदेवजी का एक अभियान था. यहां नि:शुल्क बच्चों को पढ़ाया जाता है. पिछले 2 साल से पढ़ाया जा रहा है. स्कूल में शिक्षा मिल जाती है लेकिन संस्कार यहां मिलता है जो बच्चों के लिए बहुत जरूरी है. यहां बच्चों को यह भी सिखाया जाता है कि देश को कैसे सुरक्षित रखना है."-राहुल कुमार, शिक्षक
पहले मजाक उड़ाते थे लोग:राहुल बताते हैं कि उन्होंने चार साल पूर्व पटना में रहकर पढ़ाई की थी. इसी बीच कंकड़बाग में आयोजित प्रांतीय युवा प्रकोष्ठ के कार्यक्रम में शामिल होने का मौका मिला था. इसके बाद प्रतिज्ञा ली कि मुझे भी समाज में व्याप्त गंदगी और बुराइयों को साफ करने में अपना कुछ समय देना चाहिए. तब से ही उन्होंने ने मन में सोच कर युवाओं और छात्र छात्राओं को समझाना शुरू किया. शुरुआत में कई लोग उनकी बातों को मजाक में उड़ा देते थे लेकिन उन्होंने अपना प्रयास नहीं छोड़ा.