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भांडीरवन में हुआ था राधा कृष्ण का विवाह, द्वापर युग के समय के वट वृक्ष की जड़ें बनाती हैं गठजोड़ा - Radha Krishna marriage

मथुरा से 40 किलोमीटर दूर मांट क्षेत्र में भांडीरवन के नाम (Radha Krishna marriage) से एक स्थान विख्यात है. यह स्थान राधा कृष्ण के प्रेम विवाह के नाम से जाना जाता है. विष्णु पुराण में भी इस स्थान का जिक्र किया गया है.

भांडीरवन में हुआ था राधा कृष्ण का विवाह
भांडीरवन में हुआ था राधा कृष्ण का विवाह (फोटो क्रेडिट : Etv Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jun 15, 2024, 4:10 PM IST

जानकारी देते मंदिर के पुजारी सोनू पंडित (वीडियो क्रेडिट : ETV bharat)

मथुरा : मध्य प्रदेश के कथा वाचक प्रदीप मिश्रा ने राधा रानी पर विवादित टिप्पणी की थी. जिसको लेकर साधु संत ब्रजवासी प्रदीप मिश्रा का चौतरफा विरोध कर रहे हैं. राधा कृष्ण के अटूट प्रेम की कहानी और स्वयं ब्रह्मा जी ने बाल अवस्था में राधा कृष्ण का विवाह कराया था. इसका सबूत आज भी देखने को मिलता है.

राधा कृष्ण की लीलाओं के कई प्रमाण आज भी देखने को मिलते हैं. जनपद मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर मांट क्षेत्र में भांडीरवन के नाम से एक स्थान विख्यात है. यह स्थान राधा कृष्ण के प्रेम विवाह के नाम से जाना जाता है. विष्णु पुराण में भी इस स्थान का जिक्र किया गया है.

भांडीरवन राधा कृष्ण का विवाह स्थल :मान्यता है किभांडीरवन में प्राचीन काल का वटवृक्ष द्वापर युग का चला आ रहा है. मान्यता है कि इस वृक्ष के नीचे स्वयं ब्रह्मा जी ने भगवान कृष्ण और राधा जी की शादी बाल अवस्था में संपन्न कराई थी. ब्रह्मा जी द्वारा राधा और कृष्ण की शादी का जिक्र विष्णु पुराण में देखने को मिलता है. इस वट वृक्ष की जड़ें 10 किलोमीटर के दायरे में फैली हुई हैं.

भांडीरवन आते हैं श्रद्धालु :भगवान श्री कृष्ण और राधा जी के प्रेम की कथाएं कई शास्त्र पुराणों में लिखी हुई हैं. विवाह के संबंध में मात्र विष्णु पुराण में जिक्र किया गया है. इस स्थान को देखने के लिए हर रोज सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु दर्शन करने के लिए यहां आते हैं. यहां नवविवाहित जोड़े भगवान का आशीर्वाद लेते हैं.



एक ही वटवृक्ष में से राधा कृष्ण निकले :यहां मौजूद वट वृक्ष दो रंग का बना हुआ है. मान्यता है कि एक सांवला कृष्ण की रूपी है और दूसरा हिस्सा गोरा राधा रूपी है. शादी में जिस तरह वर वधु को गठजोड़ा पहनाया जाता है, उसी तरह वृक्ष पर जड़ों से गठजोड़ा बना हुआ है. इस वृक्ष के नीचे हर रोज कृष्ण ग्वाल वालों के साथ भोजन करते थे. मान्यता है कि भांडीरवन में वट वृक्ष के नीचे हर रोज कृष्ण अपने ग्वाल वालों के साथ बैठकर भोजन करते थे. साथ ही भगवान कृष्ण लीलाएं किया करते थे.



5 करोड़ की लागत से विकास कार्य :राज्य सरकार की ओर से तीर्थ विकास परिषद द्वारा भांडीरवन में 5 करोड़ की लागत से विकास कार्य कराया गया है. दूरदराज से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए छांव में बैठने की व्यवस्था और सौंदर्यीकरण कराया गया है.


मंदिर के पुजारी सोनू पंडित ने बताया कि यह द्वापर युग का वट वृक्ष है. स्वयं ब्रह्मा जी ने राधा रानी और कृष्ण भगवान की शादी बाल अवस्था में कराई थी. यह वृक्ष उसी समय का है. जिस तरह शादी के समय चार खंभे लगाए जाते हैं, वैसे ही कुदरती 4 पेड़ लगे हुए हैं. आंचल गांठ, गठजोड़ा बनाते हैं उसी तरह पेड़ की जड़ें गठजोड़ा बना रही हैं. वह भी कुदरती है. राधा कृष्ण एक दूसरे के हाथ मिला रहे हैं. यह वृक्ष करीब पांच हजार वर्ष पुराना है.


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