रांची:राजधानी रांची में महिलाओं को सुविधा प्रदान करने के लिए नगर निगम की ओर से पिंक बस सेवा की शुरुआत की गई थी. इस बस में सिर्फ महिलाएं ही सफर करती हैं. पुरुषों को इस बस में सफर करने की सख्त मनाही है. रांची में महिलाओं के साथ बढ़ रही छेड़खानी और छिनतई की घटनाओं को देखते हुए पिंक बस की शुरुआत की गई थी, ताकि महिलाएं सुरक्षित सफर कर सकें.
पिंक बस सेवा से हटा दी गई थीं महिला कंडक्टरः पिंक बस की शुरुआत करने के दौरान यह शर्त रखी गई थी कि इसमें काम करने वाले चालक और कंडक्टर महिलाएं होंगी, ताकि महिलाओं को यात्रा के दौरान सहजता महसूस हो सके, लेकिन पिछले कई वर्षों से चल रही पिंक बस सेवा में पुरुष कंडक्टर काम कर रहे हैं. जिससे कई बार महिलाओं को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. शुरुआत के दौर में पिंक बस में महिला कंडक्टर की तैनाती की गई थी, लेकिन कुछ दिनों के बाद सभी महिला कंडक्टरों को हटा दिया गया और पिंक बसों में भी पुरुष कंडक्टर नियुक्त कर दिए गए.
पिंक बस की पूर्व महिला कंडक्टर ने कहाः इस संबंध में पिंक बस में काम करने वाली पूर्व महिला कंडक्टर किरण कुमारी ने बताया कि बस में कंडक्टर का काम प्रत्येक सीट पर जाकर यात्रियों को टिकट देकर उनसे पैसे वसूलना होता है. पिंक बस में पुरुष कंडक्टर होने से कई बार और महिला यात्रियों के बीच विवाद भी देखने को मिलता है. पुरुष कंडक्टर की मौजूदगी में महिलाएं असहज महसूस करती हैं. पूर्व महिला कंडक्टर किरण कुमारी ने बताया कि कई ऐसी महिलाएं हैं जो पिंक बस में कंडक्टर के रूप में काम करने के लिए तैयार हैं, लेकिन निगम की तरफ से ऐसी उत्सुक महिलाओं को काम पर नहीं रखा जा रहा है.
महिला यात्रियों को होती है परेशानीः वहीं कई महिला यात्रियों ने बताया कि पिंक बस की शुरुवात बहुत अच्छी व्यवस्था है, लेकिन यदि पिंक बस में महिला कंडक्टर की तैनाती कर दी जाए तो महिला यात्रियों को काफी अच्छा लगेगा. कई यात्रियों ने बताया कि चालक यदि पुरुष भी हो तो समस्या नहीं होती हैं, क्योंकि चालक को एक जगह बैठकर बस चलाना होता है, लेकिन कंडक्टर को प्रत्येक सीट पर घूम-घूमकर यात्रियों से टिकट के पैसे वसूलना होता है. ऐसे में पिंक में पुरुष कंडक्टर होने से महिला यात्री असहज महसूस करती हैं.
रांची में विभिन्न रूटों पर पांच पिंक बसों का होता है परिचालनः बता दें कि राजधानी रांची में पांच पिंक बसों का परिचालन हो रहा है. वहीं एक भी पिंक बस का नियमित परिचालन नहीं हो पता है, क्योंकि कई बार पुरुष कंडक्टर भी महिला यात्रियों के बीच काम करने को तैयार नहीं होते.