करनाल:सनातन धर्म में प्रत्येक व्रत व त्यौहार को बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जाता है. वहीं, अगर बात करें सावन का महीना चल रहा है. जो भगवान भोलेनाथ का प्रिय महीना होता है. इस महीने में हिंदुओं के कई प्रमुख व्रत व त्यौहार आते हैं. इस महीने में आने वाली एकादशी का विशेष महत्व होता है. सावन महीने के शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी को पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाता है. भगवान विष्णु 4 महीने के लिए निद्रा अवस्था में गए हुए हैं. ऐसे में इस एकादशी का विशेष महत्व माना जाता है.
कब है पुत्रदा एकादशी:पंडित विश्वनाथ ने जानकारी देते हुए बताया कि सावन महीने के शुक्ल पक्ष में आने वाली एकादशी को पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाता है. जिसका सभी एकादशी में से सबसे ज्यादा महत्व बताया गया है. शुक्ल पक्ष की एकादशी इस बार 16 अगस्त को मनाई जा रही है और इसका व्रत भी 16 अगस्त के दिन रखा जाएगा. पंडित ने बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार पुत्रदा एकादशी का आरंभ 15 अगस्त को सुबह 10:26 से शुरू हो रहा है. जबकि इसका समापन 16 अगस्त को सुबह 9:39 पर होगा. हिंदू धर्म में प्रत्येक व्रत व त्यौहार को उदय तिथि के साथ मनाया जाता है. इसलिए पुत्रदा एकादशी का व्रत 16 अगस्त के दिन रखा जाएगा. वहीं, इसका पारण अगले दिन 17 अगस्त को सुबह 5:51 से 8:05 तक किया जाएगा.
पुत्रदा एकादशी का शुभ योग:पंडित ने बताया कि इस बार पुत्र था एकादशी काफी लाभकारी मानी जा रही है और फल देने वाली है. क्योंकि इस बार पुत्रदा एकादशी पर कई शुभ योग बनते हुए दिखाई दे रहे हैं. पुत्रदा एकादशी के दिन प्रीति योग बन रहा है. जो दोपहर 1:12 से शुरू होगा और शाम तक रहेगा. वही सुबह 9:39 पर भद्रकाली योग बन रहा है. जो पुत्रदा एकादशी के लिए काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है. ऐसा माना जाता है कि जो भी भद्रा काल में भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करते हैं उन पर भगवान विष्णु ज्यादा प्रसन्न होते हैं.
पुत्रदा एकादशी का महत्व:पंडित विश्वनाथ ने बताया कि 1 साल में 24 एकादशी होती है. लेकिन 24 एकादशी में से पुत्रदा एकादशी का व्रत सबसे महत्वपूर्ण माना गया है. ऐसा माना जाता है कि जो भी इंसान पुत्रदा एकादशी का व्रत करता है. उसको अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है. इस एकादशी के दिन भगवान विष्णु नारायण और उसके साथ माता लक्ष्मी की पूजा अर्चना की जाती है. जिससे घर में सुख समृद्धि आती है. जिस महिलाओं को पुत्र की प्राप्ति नहीं होती है और उस महिला के लिए यह व्रत काफी महत्वपूर्ण होता है.
माना जाता है कि पुत्रदा एकादशी के दिन व्रत करने से पुत्र की प्राप्ति होती है. धार्मिक ग्रंथों में बताया गया है कि राजा महीजित महिष्मति कबूतर की प्राप्ति नहीं हुई थी और उसकी पत्नी के द्वारा यह व्रत रखा गया था. जिसके बाद उसको पुत्र की प्राप्ति हुई थी और तब से ही यह प्रथा चली आ रही है. इसलिए इसको पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाता है. पुत्रदा एकादशी का व्रत करने से इंसान की आर्थिक तंगी भी दूर होती है. पुत्रदा एकादशी का व्रत करने से कई जन्मों के पाप से मुक्ति मिलती है.