धर्मशाला: हिमाचल प्रदेश सरकार 2024-25 वित्त वर्ष का बजट आने वाला है. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू दूसरी बार बजट को विधानसभा के पटल पर बजट रखेंगे. ऐसे में आपदा का दंश झेल चुके हिमाचल के लोगों को इस बजट से काफी उम्मीदें हैं, लेकिन पहले से ही वित्तीय संकट से जूझ रही हिमाचल की सुक्खू सरकार के लिए लोगों की अपेक्षाओं पर उतरना आसान नहीं होगा.
आर्थिक संकट से जूझ रहा प्रदेश: हिमाचल प्रदेश में अभी कांग्रेस की सरकार है. वर्तमान में प्रदेश की वित्तीय स्थिति अच्छी नहीं चल रही है. पिछले साल हिमाचल प्रदेश ने प्राकृतिक आपदा झेली थी. इस आपदा में प्रदेश में हजारों करोड़ों की संपत्ति भेंट चढ़ गई. वहीं, मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का आरोप है कि केंद्र सरकार से हिमाचल को आपदा की घड़ी में कोई भी वित्तीय लाभ को नहीं मिला. बीते दिनों जिला कांगड़ा के ज्वालामुखी में 'सरकार गांव के द्वार कार्यक्रम में सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा था कि हिमाचल प्रदेश के आने वाले बजट में सभी वर्गों का ध्यान रखा जाएगा. जहां-जहां वित्त का लेकर कड़े फैसले करने होंगे, वह किए जाएंगे.
बीते साल वित्तीय प्रबंधन अच्छा रहा:हिमाचल प्रदेश वित्त विभाग के आंकड़ों को देखे तो 2023-24 में कुल अनुमानित खर्च 53,412.73 करोड़ और अनुमानित आय 55,236.58 करोड़ है. इन आंकड़ों से लगता है कि बीते साल वित्तीय प्रबंधन अच्छा रहा, लेकिन इस दौरान सरकार द्वारा जनता से किए गए वादे धरातल पर उतरते नहीं दिखे. वर्तमान सरकार बार-बार आपदा की दुहाई देकर वित्तीय स्थिति सही नहीं होने का दावा कर रही है. राज्य में पेंशनर्स, कर्मचारी के मेडिकल बिल, एरियर इत्यादि प्रदेश सरकार द्वारा अभी तक देय हैं.
कांग्रेस की गांरटी पूरी होने की उम्मीद: हिमाचल की बजट को लेकर युवाओं का कहना है कि प्रदेश स्तर पर स्किल डेवलपमेंट शुरू किया जाए. रिमोट क्षेत्र में रहने वाले छात्रों को संस्थान तो मिल गए है, लेकिन वहां पर शिक्षकों एवं स्टाफ की कमी है. इसी के साथ कृषि में प्रयोग होने वाले यंत्रों की कीमत में कुछ और कमी की जाए, महिलाओं को 1500 रुपये अभी तक सिर्फ एक जिला लाहौल स्पीति में मिले है. इसे पूरे प्रदेश में सभी महिलाओं को दिया जाए. युवाओं का कहना है कि रोजगार के अवसर बहुत कम हैं. विभिन्न विभागों में पद बहुत कम अनुपात में स्थाई तौर पर निकलते हैं, जिससे युवा ओवर एज हो जाता है. क्योंकि वह अस्थाई रूप से काम करता रहता है और फिर कुछ समय बाद बेरोजगार की श्रेणी में आ जाता है. इस लिए प्रदेश सरकार को इस प्रकार से रोजगार के नियम बनाने चाहिए. ताकि युवा और उनके परिवार अपने आप को समाज में सुरक्षित समझे.