नई दिल्ली:फोरम ऑफ एकेडेमिक्स फॉर सोशल जस्टिस (शिक्षक संगठन) के चेयरमैन डॉ. हंसराज सुमन व महासचिव प्रोफेसर केपी. सिंह ने दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह को पत्र लिखा है. पत्र में उन्होंने यह मांग की है कि 12 जुलाई को होने जा रही डीयू एकेडमिक काउंसिल की बैठक में प्रिंसिपल पदों पर आरक्षण व रोस्टर रजिस्टर तैयार कर भर्ती की प्रक्रिया शुरू कराएं.
डॉ. सुमन ने पत्र में प्रोफेसर पदों पर आरक्षण तथा इन पदों का बैकलॉग व शॉटफॉल पूरा करने तथा शैक्षिक व गैर-शैक्षिक पदों को डीओपीटी, यूजीसी गाइडलाइंस-2006 को लागू करने की भी मांग की. हंसराज सुमन ने बताया कि प्रोफेसर काले कमेटी के सुझाए गए नियमों के तहत इन सभी पदों को भरने संबंधी निर्देशों पर बैठक में चर्चा होनी चाहिए.
दरअसल, प्रोफेसर काले कमेटी ने वर्ष 2016 में अपनी रिपोर्ट दिल्ली विश्वविद्यालय को सौंप दी थी. रिपोर्ट जमा किए आठ साल हो गए, लेकिन उसे आज तक एकेडमिक काउंसिल में नहीं रखा गया. प्रोफेसर काले कमेटी की रिपोर्ट को एकेडमिक काउंसिल में न रखे जाने व इसे लागू ना करने से दलित, पिछड़े वर्गों के शिक्षकों में गहरा रोष व्याप्त है.
उनका कहना है कि इसे लागू न करके केंद्र सरकार के नियमों की उपेक्षा की जा रही है. फोरम के चेयरमैन डॉ. हंसराज सुमन ने कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह को लिखे पत्र में बताया है कि डीयू में नौ साल पहले शिक्षा मंत्रालय, एससी/एसटी कमीशन, यूजीसी व डीओपीटी के अधिकारियों की टीम 9 जुलाई, 2015 को दिल्ली विश्वविद्यालय में आरक्षण की समीक्षा करने, प्रोफेसर के पदों पर आरक्षण लागू कराने और प्रिंसिपल के पदों पर आरक्षण लागू कराने का आश्वासन देकर गई थी. उन्होंने बताया कि पिछले नौ साल से संसदीय समिति की रिपोर्ट पर कोई विचार नहीं किया गया, न ही विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा उस पर आगे की कार्यवाही की गई.
उन्होंने बताया कि डीयू में प्रिंसिपल पदों के विज्ञापन निकालकर नियुक्तियां हो रही हैं, लेकिन इन पदों पर वैधानिक नियमों के तहत आरक्षण नहीं दिया जा रहा है. संसदीय समिति जब दिल्ली विश्वविद्यालय में आई तो उसने पाया कि यहां प्रोफेसर के पदों पर और प्रिंसिपल के पदों पर आरक्षण नहीं दिया जा रहा है. साथ ही पोस्ट बेस रोस्टर को भी यूजीसी व डीओपीटी के निर्देशानुसार लागू नहीं किया जा रहा है. संसदीय समिति ने इस पर गहरी चिंता व्यक्त की थी. दिल्ली विश्वविद्यालय ने बाद में प्रोफेसर के पदों पर आरक्षण दे दिया, लेकिन प्रिंसिपल के पदों पर आज तक आरक्षण नहीं दिया. उनका कहना था कि विश्वविद्यालय के सभी कॉलेजों के प्रिंसिपल के पदों को क्लब करके रोस्टर रजिस्टर तैयार करना चाहिए था.