देहरादूनःउत्तराखंड में राज्य कर्मचारियों ने प्रमोशन पर अनिच्छा जताई तो उन्हें महत्वपूर्ण पोस्टिंग से भी हाथ धोना पड़ेगा. इतना ही नहीं, इन तय नियमों का पालन करने में हीलाहवाली करने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई का भी सामना करना होगा. दरअसल कार्मिक विभाग की संशोधित नियमावली, प्रमोशन का परित्याग करने वालों पर भारी पड़ने जा रही है. इतना ही नहीं, विभागों में प्रभारी व्यवस्था पर भी इससे कमी आएगी.
उत्तराखंड में राज्य कर्मचारियों का प्रमोशन परित्याग विभागों के लिए बड़ी समस्या बन गया है. महत्वपूर्ण पोस्टिंग या दूसरी वजह से कर्मचारी प्रमोशन डीयू होने पर भी इसका परित्याग कर देते हैं. जिससे न केवल यह पद खाली रह जाते हैं बल्कि किसी दूसरे व्यक्ति का भी प्रमोशन इन पदों पर नहीं हो पाता. खास बात यह है कि ऐसी पद्धति से राज्य में कई पदों पर प्रभारी व्यवस्था को लागू करना पड़ता है. जो कि आम लोगों और राज्य हित के लिए बेहतर नहीं होता.
समझें पूरा मामला:उत्तराखंड राज्याधीन सेवाओं में पदोन्नति का परित्याग नियमावली 2024 ऐसी ही दिक्कतों को देखते हुए लागू की गई है. दरअसल प्रदेश में कई कर्मचारी महत्वपूर्ण पोस्टिंग में होने के कारण या किसी दूसरी वजह से प्रमोशन नहीं लेते थे. इसके कारण जिन पदों पर प्रमोशन होना होता है, वह पद खाली रह जाता है. इतना ही नहीं, पूर्व की व्यवस्था के अनुसार जिस पद पर उक्त अधिकारी ने प्रमोशन नहीं लिया होता उस पद को इस अधिकारी के लिए रिजर्व कर दिया जाता है. जिसके कारण ना तो वह अधिकारी या कर्मचारी प्रमोशन लेता है और ना ही उससे जूनियर अधिकारी या कर्मचारी को उक्त पद पर प्रमोशन मिल पाता है. यह स्थितियां न केवल प्रमोशन की प्रक्रिया को बाधित कर देती है, बल्कि प्रमोशन वाले पद को भी खाली रखती है. ऐसी स्थिति में कई बार विभागों को उक्त प्रमोशन वाले पद पर प्रभारी व्यक्ति को जिम्मेदारी देनी पड़ती है.
जानिए क्या है पुरानी नियमावली:पूर्व के नियमों के अनुसार कोई भी राज्य कर्मचारी या अधिकारी तीन बार प्रमोशन लेने से मना कर सकता था और उसके प्रमोशन लेने तक उसे पद को खाली रखा जाता था.