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Rajasthan: विदेशी धन से चल रहे कोचिंग संस्थानों में सफलता की दर महज तीन फीसदी, 97 फीसदी बैरंग लौट रहे: निजी स्कूल संचालक - PRIVATE SCHOOL OPERATORS

निजी स्कूल संचालकों की बैठक संगठन 'निशा' के तत्वावधान में हुई. इसमें कोचिंग संस्थानों पर भी कानूनी रूप से लगाम लगाने की मांग की गई.

Private School Operators
निजी स्कूल संचालकों की बैठक (Photo ETV Bharat Kota)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Oct 28, 2024, 4:10 PM IST

Updated : Oct 28, 2024, 5:02 PM IST

कोटा: निजी स्कूल संचालकों के संगठन की प्रदेशस्तरीय बैठक 'सार्थक संगत' कोटा में हुई. इसमें प्रदेश की प्राइवेट स्कूलों की यूनियन्स ने भाग लिया और एक स्वर में कोचिंग संस्थानों के खिलाफ मुखर हुए. इसमें वक्ताओं ने सरकार से कहा कि दसवीं कक्षा से नीचे के बच्चों को कोचिंग संस्थाओं में प्रवेश पर सरकार रोक लगाए, ताकि बच्चों का स्कूलों में सर्वांगीण विकास हो सके. उन्होंने यह भी आरोप लगाया​ कि ये संस्थाएं विदेशी धन से चल रही हैं, यहां सफलता का प्रतिशत मात्र तीन फीसदी है.

नेशनल इंडिपेंडेंस स्कूल एलायंस 'निशा' के राजस्थान प्रभारी डॉ. दिलीप मोदी ने बताया कि कोचिंग संस्थान नियमों के विरुद्ध जाकर काम कर रहे हैं. बच्चों को गुमराह किया जा रहा है और कोचिंग में पढ़ने वाले बच्चों में से केवल तीन फीसदी का सिलेक्शन यहां से होता है, जबकि 97 फीसदी बच्चे बैरंग लौट जाते हैं. सरकार ने दसवीं तक बच्चों को कोचिंग नहीं पढ़ाने के निर्देश दिए हैं, लेकिन अभी भी कोचिंग संस्थान नियम विरुद्ध प्रवेश ले रहे हैं.

निजी स्कूल संचालकों की बैठक (Photo ETV Bharat Kota)

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उन्होंने कहा कि वे इन कोचिंगों के खिलाफ नहीं है, लेकिन स्कूलों में बच्चों का 360 डिग्री डेवलपमेंट होता है. शिक्षा विभाग के कई नियम कायदे जितने स्कूलों में लागू हैं. उतने इन कोचिंग संस्थानों में नहीं है. मोदी ने आरोप लगाया कि ये फॉरेन फंडिंग के सहारे बच्चों का एडमिशन ले रहे हैं.

केन्द्र सरकार पर भी साधा निशाना: मोदी ने केंद्र सरकार पर भी निशाना साधा और कहा कि सरकार को इनसे 18 फीसदी जीएसटी मिल रहा है. टैक्स से आय हो रही है, इसलिए सरकार इन पर चुप्पी साधे बैठी है. 'निशा' के राजस्थान प्रभारी डॉ. मोदी ने कहा, हम यह नहीं कह रहे कि कोचिंग संस्थानों को बंद कर दिया जाए, लेकिन कक्षा 6 से 10वीं तक के बच्चों को समय पर स्कूल आना चाहिए. उसके बाद उन्हें कोचिंग जाए तो कोई दिक्कत नहीं है, जबकि कोचिंग संस्थान कक्षा 6 से ही बच्चों को मेडिकल और इंजीनियरिंग का सपना दिखाने लग जाते हैं, जबकि 30 हजार से ज्यादा कॅरियर ऑप्शन मौजूद है. हर बच्चा कम फीस वाली इंजीनियर और मेडिकल की सीट्स पर एडमिशन नहीं ले सकता है.

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स्कूलों पर कई कानून, कोंचिंग पर कुछ नहीं:प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के अध्यक्ष महेश गुप्ता ने कहा कि स्कूलों पर सैकड़ों तरह के कानून लागू हैं, जबकि कोचिंग संस्थानों पर ऐसा कुछ नहीं हो रहा है. डमी विद्यार्थी संस्कृति को कोचिंग का खुला संरक्षण है, यह बंद होना चाहिए. सरकार को भी इस पर एक्शन लेना चाहिए. कोचिंग संस्थानों पर केंद्र सरकार पंजीयन और जारी की गई गाइडलाइंस का कानून बनाकर लागू करें.

Last Updated : Oct 28, 2024, 5:02 PM IST

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