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खबर का असर: दिल्ली के प्राइवेट अस्पताल में बंधक बने नवजातों को पुलिस ने छुड़ाया, 13 लाख कराए माफ - Hospital Handed Over Newborns - HOSPITAL HANDED OVER NEWBORNS

ईटीवी भारत की पहल पर पिछले 3 महीने से परेशान मां-बाप को उनके जुड़वां बच्चे मिल गए हैं. अस्पताल की मनमानी की वजह से जिस घर में 14 साल बाद आई खुशियों पर ग्रहण लग गया था. पुलिस के सहयोग से मंगलवार रात जुड़वां बच्चे माता-पिता को मिल गए. जिसके बाद घर में काफी खुशी है.

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दिल्ली के प्राइवेट अस्पताल की मनमानी (File Photo)

By ETV Bharat Delhi Team

Published : Sep 11, 2024, 12:31 PM IST

Updated : Sep 11, 2024, 12:51 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली के एक निजी अस्पताल की मनमानी की वजह से एक परिवार पिछले तीन महीने से अपने नवजात बच्चे को घर नहीं ले जा पा रहा था. लेकिन ईटीवी की पहल पर परेशान मां-बाप को उनके जुड़वा बच्चे मिल गए है. इसके बाद माता-पिता काफी खुश दिखे और ईटीवी का शुक्रिया अदा किया.

दरअशल, ईटीवी ने मंगलवार को इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित की थी. जिसमें गुरुग्राम के एक बैंक के एटीएम में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करने वाले पंकज कुमार मिश्रा के घर 14 साल बाद खुशियां आई, लेकिन ईएसआई अस्पताल के डॉक्टरों ने मां की हालत को देखते हुए उसे दिल्ली के किसी ऐसे अस्पताल में जाने की सलाह दी, जहां जच्चा बच्चा दोनों की देखरेख हो सके. पंकज का कहना है कि दिल्ली के कई सरकारी अस्पतालों का चक्कर काटते रहे, लेकिन एक भी अस्पताल में उन्हें बेड नहीं मिला. थक हारकर उन्होंने मोती नगर के एक निजी अस्पताल में पत्नी को भर्ती कराया, लेकिन बिल 19 लाख पहुंच गया था.

बच्चे मिलने के बाद ईटीवी का जताया आभार: परिवार की मानें तो निजी अस्पताल ने उनके दोनों बच्चों को बंधक बना रखा और 13 लाख रुपए की डिमांड की है. पीड़ित ने इस मामले को लेकर मोती नगर पुलिस थाने में शिकायत भी दर्ज कराई है, लेकिन उसका आरोप है कि पुलिस ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की. अब इस संबंध में आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने भी शिकायत की कॉपी के साथ ट्वीट किया था. इसके अलावा डीसीपी विचित्रवीर को भी इस बारे में बताया गया, जिनकी पहल पर पुलिस ने मंगलवार रात दोनों बच्चों को माता-पिता को सौंप दिया. जानकारी के अनुसार अस्पताल का बिल 19 लाख रुपये हो गए थे, जिससे पुलिस ने माफ करवा दिया.बुधवार सुबह बच्चों के पिता पंकज कुमार मिश्रा ने ईटीवी भारत का आभार जताया और कहा कि बिना आपके प्रयास के यह काम संभव नहीं था. हम तो उम्मीद भी छोड़ चुके थे.

जुलाई में पत्नी ने जुड़वा बच्चों को जन्म दियाःपरिवार का दावा है किजुलाई में पत्नी ने जुड़वा बच्चे को जन्म दिया. जिसमें एक लड़का और एक लड़की है. जैसे तैसे उसने अस्पताल का बिल जम किया और पत्नी को डिस्चार्ज करवाया. लेकिन दोनों नवजातों की स्थिति को देखते हुए डॉक्टरों ने कुछ दिन और अस्पताल में रखने की सलाह दी. पंकज का कहना है कि जब अस्पताल का बिल लगभग 7 लाख रुपये के करीब पहुंच गया तब उन्होंने बच्चों को अस्पताल से डिस्चार्ज करने के लिए कहा ताकि वह किसी सरकारी अस्पताल में इलाज करा सके.

अस्पताल ने कर दी 13 लाख रुपये की डिमांड :उनका कहना है कि अस्पताल के मैनेजर ने उन्हें एनजीओ से मीटिंग कराई गई और उन्हें भरोसा दिलाया कि बच्चों के इलाज का सारा खर्च वो भरेगी. इसलिए वह चिंता ना करें और बच्चे को एडमिट रहने दे, लेकिन कुछ दिन के बाद ही अस्पताल प्रशासन ने यह कहते हुए 13 लाख रुपए की डिमांड कर दी कि अब एनजीओ भी इतने पैसे भरने को तैयार नहीं है. अब पंकज मिश्रा के 13 लाख रुपये की मांग सुनकर होश उड़ गए. वह अपने बच्चों के लिए अस्पताल का चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन उन्हें अस्पताल प्रशासन बच्चा नहीं दे रहा. 7 सितंबर को इस मामले को लेकर मोती नगर थाने में भी शिकायत दी गई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं. अब डीसीपी विचित्रवीर के हस्तक्षेप के बाद परिवार अपने बच्चों को पाकर काफी खुश है.

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Last Updated : Sep 11, 2024, 12:51 PM IST

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