नई दिल्ली: दिल्ली के एक निजी अस्पताल की मनमानी की वजह से एक परिवार पिछले तीन महीने से अपने नवजात बच्चे को घर नहीं ले जा पा रहा था. लेकिन ईटीवी की पहल पर परेशान मां-बाप को उनके जुड़वा बच्चे मिल गए है. इसके बाद माता-पिता काफी खुश दिखे और ईटीवी का शुक्रिया अदा किया.
दरअशल, ईटीवी ने मंगलवार को इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित की थी. जिसमें गुरुग्राम के एक बैंक के एटीएम में सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी करने वाले पंकज कुमार मिश्रा के घर 14 साल बाद खुशियां आई, लेकिन ईएसआई अस्पताल के डॉक्टरों ने मां की हालत को देखते हुए उसे दिल्ली के किसी ऐसे अस्पताल में जाने की सलाह दी, जहां जच्चा बच्चा दोनों की देखरेख हो सके. पंकज का कहना है कि दिल्ली के कई सरकारी अस्पतालों का चक्कर काटते रहे, लेकिन एक भी अस्पताल में उन्हें बेड नहीं मिला. थक हारकर उन्होंने मोती नगर के एक निजी अस्पताल में पत्नी को भर्ती कराया, लेकिन बिल 19 लाख पहुंच गया था.
बच्चे मिलने के बाद ईटीवी का जताया आभार: परिवार की मानें तो निजी अस्पताल ने उनके दोनों बच्चों को बंधक बना रखा और 13 लाख रुपए की डिमांड की है. पीड़ित ने इस मामले को लेकर मोती नगर पुलिस थाने में शिकायत भी दर्ज कराई है, लेकिन उसका आरोप है कि पुलिस ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की. अब इस संबंध में आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने भी शिकायत की कॉपी के साथ ट्वीट किया था. इसके अलावा डीसीपी विचित्रवीर को भी इस बारे में बताया गया, जिनकी पहल पर पुलिस ने मंगलवार रात दोनों बच्चों को माता-पिता को सौंप दिया. जानकारी के अनुसार अस्पताल का बिल 19 लाख रुपये हो गए थे, जिससे पुलिस ने माफ करवा दिया.बुधवार सुबह बच्चों के पिता पंकज कुमार मिश्रा ने ईटीवी भारत का आभार जताया और कहा कि बिना आपके प्रयास के यह काम संभव नहीं था. हम तो उम्मीद भी छोड़ चुके थे.