कोरबा: अपनी गलती को सुधारने का मौका जिंदगी में हर किसी को जरुर मिलता है. इसी सोच के साथ कोरबा के जिला जेल में अपने किए गए अपराधों का दंड भुगत रहे बंदियों को मशरूम उगाने की ट्रेनिंग दी जा रही है. जेल से छूटने के बाद कई कैदियों के पास कोई काम नहीं होता है. कैदी वापस अपराध के रास्ते पर चल पड़ते हैं. कई बार समाज कैदियों को वापस समाज में स्वीकार नहीं करता है. ऐसे में जब इन कैदियों के पास अपने गुजर बसर का हुनर होगा तो ये जिंदगी में नई पारी की शुरुआत कर सकेंगे. इसी कोशिश के साथ इन कैदियों को मशरुम उत्पादन की ट्रेनिंग जा रही है.
मशरुम उगाना सीख रहे हैं कोरबा जिला जेल के कैदी, सजा खत्म होने के बाद बनेंगे आत्मनिर्भर - Prisoners learning mushroom farming
कोरबा जिला जेल में कैदियों को मशरुम की खेती करने के गुर सिखाए जा रहे हैं. जेल प्रबंधन की कोशिश है कि जेल से आजाद होने के बाद कैदी आत्मनिर्भर बनें, खुद का अपना रोजगार शुरु करें. जेल प्रबंधन चाहता है कि यहां से छूटने के बाद कोई भी कैदी वापस अपराध के रास्ते पर नहीं लौटे.
By ETV Bharat Chhattisgarh Team
Published : Sep 1, 2024, 7:22 AM IST
|Updated : Sep 1, 2024, 2:07 PM IST
जेल से छूटने के बाद कैदी उगाएंगे मशरुम:एसबीआई के आरसेटी विंग के साथ मिलकर जिला जेल प्रबंधन ने प्रशिक्षण की शुरुआत की है. ट्रेनिंग के मौके पर खुद ट्रेनर जसवंत खूंटे जिला जेल पहुंचे थे. जसवंत ने बताया कि ''जेलर ने ही इसकी पहल की और उनके इस प्रस्ताव के बाद हमारी ओर से जेल में आकर प्रशिक्षण दिया जा रहा है. ट्रेनिंग का मकसद बंदी भाइयों को मशरूम उत्पादन जानकारी और तरीके सिखाना है. ट्रेनिंग में कैदी भाइयों को मशरूम उत्पादन से जुड़े सभी पहलुओं से वाकिफ कराया जा रहा है.''
पुरुष के साथ महिला बंदियों को भी प्रशिक्षण देने का प्लान:जिला जेल कोरबा के जेलर विजया सिंह ने बताया कि ''जेल में बंद बंदियों को हम व्यवसायिक प्रशिक्षण दे रहे हैं.
हम चाहते हैं कि जब वो जेल से छूटें तो खुद का काम शुरु कर सकें. फिलहाल हमने 30 बंदियों से इसकी शुरुआत की है. हमारी योजना है कि यहां मौजूद सभी 250 बंदियों को प्रशिक्षित किया जाए. इसके बाद दूसरे चरण में हम महिला बंदियों को भी फास्ट फूड से जुड़ा प्रशिक्षण देंगे. हमारी कोशिश है की जेल से छूटने के बाद बंदी फिर से अपराध के रास्तों पर ना जाएं, खुद का रोजगार शुरू करें.
कोरबा जिला जेल में बंद कैदियों को होगा फायदा: कैदियों को 7 से लेकर 10 दिनों की ट्रेनिंग दी जा रही है. ट्रेनिंग के बाद कैदी न सिर्फ आत्मनिर्भर बनेंगे बल्कि किसी पर आश्रित भी नहीं रहेंगे. मशरुम का उत्पादन फायदे का सौदा है. काम लागत में ज्यादा मुनाफा इस धंधे से अर्जित किया जाता है. बाजार में मशरुम की बढ़िया डिमांड है. प्रोटीन और विटामिन से भरपूर मशरुम खाने की सलाह आजकल लोगों को डॉक्टर भी दे रहे हैं. वेज होने के चलते ये मशरुम मांस मछली का बड़ा विकल्प भी है.