जयपुर.आधुनिक जीवन शैली में लोग योग को सिर्फ बॉडी को शेप में रखने के लिए करते हैं, जबकि योग भारत की पुरातन जीवन पद्धति से जुड़ा है. योग को रामायण के कुछ प्रसंगों के साथ जोड़कर नौजवान छात्र-छात्राओं को समझाने का प्रयास करते हुए मंगलवार को 'तनाव प्रबंधन योग एवं आध्यात्म' पर जीवंत प्रस्तुति दी गई. राजस्थान विश्वविद्यालय के लाइफ लॉगलर्निंग डिपार्टमेंट की ओर से आयोजित इस कार्यक्रम में भगवान शिव की यौगिक मुद्राएं और रामचरितमानस के चुनिंदा प्रसंग को योग के माध्यम से दर्शाते हुए ध्यान मुद्राओं और योगासन का प्रदर्शन किया गया.
आज के युग में योग बना फैशन : इस दौरान विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. अल्पना कटेजा ने बताया कि अगर विकसित भारत का संकल्प साकार करना है तो युवाओं को एफिशिएंट और प्रोडक्टिव होना होगा. इसके लिए सेहतमंद होना जरूरी है. इस समय युवाओं में स्ट्रेस की वजह से राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान पर एक प्रश्न चिन्ह लगा हुआ है. युवा योग, स्पिरिचुअलिटी और मेडिटेशन से सेहतमंद हो सकते हैं, लेकिन योग को लेकर कई भ्रांतियां फैली हुई हैं. वो एक फैशन मात्र बनकर रह गया है. विदेशों से आए लोग भी योग को प्रैक्टिस कर रहे हैं.
वहीं, भारतीय संकल्पना से लोग बहुत दूर हैं और फैशन के रूप में कुछ आसन करने को योग मानते हैं. योग के 8 नियमों की पालना और मेडिटेशन से ही स्ट्रेस से दूर रहा जा सकता है. उन्होंने बताया कि यूनिवर्सिटी में योग एक सब्जेक्ट के तौर पर चलता है. इसके अलावा शिक्षक और विद्यार्थियों के लिए स्ट्रेस मैनेजमेंट के कुछ सेशन भी कराए जाते हैं. योग को भी उसमें शामिल किया जाता है और जल्द योग को लेकर कुछ नए सेल्फ फाइनेंस कोर्स इंट्रोड्यूस करने की प्लानिंग कर रहे हैं, जो नए सत्र में देखने को मिल सकते हैं.