प्रयागराज:महाकुंभ की तैयारियों के बीच श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़े के रमता पंच के संतों का संगम नगरी प्रयागराज में आगमन हो चुका है. रमता पंच के संतों के आगमन के साथ ही जूना अखाड़े ने महाकुंभ में अपनी तैयारियों का आगाज कर दिया है. गुरुवार को रमता पंच के संतों ने रामापुर के रोकड़िया हनुमान मंदिर में अपने इष्टदेव दत्तात्रेय भगवान की विधिवत् वैदिक मंत्रोच्चार के साथ पूजा के बाद अपने अस्त्र-शस्त्र को स्थापित किया.
नगर प्रवेश तक इसी जगह पर रमता पंच के संतों का डेरा रहने वाला है. नगर प्रवेश तक रमता पंच के संतों का जमावड़ा यहीं पर रहेगा. यहीं से रमता पंच के संत महाकुंभ के कार्यों की तैयारियों में जुट जाएंगे. 3 नवंबर को पूरे लाव लश्कर के साथ हाथी, घोड़े, बग्घी, रथों और पालकियों पर सवार होकर रमता पंच के साधू संत नगर प्रवेश करेंगे, महाकुंभ क्षेत्र में जूना अखाड़े के शिविर में धर्म ध्वजा की स्थापना से पहले कीडगंज स्थित मौजजगिरी जूना अखाड़े के आश्रस में सभी का ठहराव रहेगा. 18 दिसंबर को भव्य पेशवाई यानी छावनी प्रवेश के जरिए मेला क्षेत्र में जूना अखाड़े के शिविर में आगमन होगा.
महंत प्रेम गिरी महाराज ने दी जानकारी (video credit- Etv Bharat)
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श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़े की स्थापना 12वीं शताब्दी में हुई थी. इसका मुख्यालय काशी के हनुमान घाट पर है. जूना अखाड़े में कुल 4 मढ़िया हैं. जिनके नाम 4 मढ़ी, 13 मढ़ी, 14 मढ़ी और 16 मढ़ी हैं. इन्हीं 4 मढ़ियों के संतों के पदाधिकारियों से रमता पंच बना है. जहां पर भी जूना अखाड़े के संत पहुंचते हैं, वहां पर चारों मढ़ियों के अलग-अलग शिविर लगते हैं. इन्हीं चारों मढ़ियों के बीच में ही इष्टदेव रुद्रावतार दत्तात्रेय भगवान विराजमान होते हैं.
रमता पंच के संतों के हाथों में ही महाकुंभ के कार्यों की जिम्मेदारियां होती हैं. जिस भी जगह पर महाकुंभ अर्ध कुंभ का मेला लगता है, वहां सबसे पहले रमता पंच के संत पहुंचते हैं. रमता पंच के संत मेले की तैयारियों की व्यवस्थाओं को देखते हैं. रमता पंच के संतों का काम मूलतः अखाड़ों के प्रचार प्रसार और मठ मंदिरों की देखरेख की जिम्मेदारी होती है. अखाड़ों के संतों के बीच होने वाले किसी भी तरह की समस्या का निदान भी रमता पंच के संत ही करते हैं.
जूना अखाड़े संतों की संख्या के लिहाज से देश और दुनियां का सबसे बड़ा अखाड़ा है. जूना अखाड़े में 5 लाख से अधिक साधु-संत देश और दुनिया के अलग अलग हिस्सों से जुड़े हैं. जूना अखाड़े में सबसे ज्यादा करीब एक लाख से ज्यादा नागा संन्यासी हैं. जूना के आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरी हैं, जबकि संरक्षक हरि गिरी जी महाराज हैं. अखाड़े में मंहत, श्रीमहंत, मंडलेश्वर, महामंडलेश्वर, भंडारी, कोतवाल, थानापति, सचिव समेत अन्य कई पद रहते हैं. जूना अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरी करीब एक लाख से ज्यादा संन्यासियों को दीक्षा दे चुके हैं. जूना अखाड़े के संरक्षक हरि गिरी जी महाराज पिछले करीब 20 सालों से सभी तेरह अखाड़ों को मिलाकर बनाए गए अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री के पद पर आसीन हैं.
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