मेरठः आज हम आपको एक ऐसे महान खिलाड़ी से मिलाने जा रहे हैं, जो भारत में नहीं रहते हैं. लेकिन भारत इनके रोम-रोम में बसा है. हालांकि जब देश में रहे तो उतना सम्मान एक खिलाड़ी के तौर पर नहीं मिला. लेकिन सात समंदर पार रहकर देश के लिए जो किया, ऐसा अभी तक कोई दूसरा खिलाड़ी नहीं कर पाया.
जी हां हम बात कर रहे हैं ट्रिपल जंप में 70 के दशक में सारे रिकॉर्ड ध्वस्त करने वाले मोहिंदर सिंह गिल के बारे में. जिन्होंने विभिन्न प्रतियोगिताओं में 52 इंटरनेशनल मेडल और देश के नाम 19 रिकॉर्ड बनाकर भारत का मान बढ़ाया था. मेरठ आए मोहिंदर सिंह गिल ने ETV Bharat से खास बातचीत करते हुए भारत से जाकर विदेश बसने और खेलों के बारे में बताया.
सम्मान न मिलने पर इंदिरा गांधी से बयां किया था दर्दः 75 वर्षीय मोहिंदर सिंह गिल अतीत के पन्नों को पलटते हुए बताते हैं कि देश में जब उन्हें खेल में आगे बढ़ने का अवसर नहीं मिला तो अमेरिका में उन्हें जाना पड़ा. पढ़ाई के दौरान वह पांच बार अमेरिका के चैंपियन रहे. दुनिया के महानतम एथलीट बॉब बेमन का ट्रिपल जंप रिकॉर्ड तोड़ कर दुनिया में अपने आप को साबित किया था. किसी भी खिलाड़ी के लिए सम्मान मिलना गौरव की बात होती है. लेकिन देश में रहकर उन्हें अवसर न मिलने से वह इतने आहत थे कि उन्होंने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी तक भी अपना दर्द बयां किया था.
इवेंट में जाने के लिए किराया भी नहीं मिलता थाः मोहिंदर कहते हैं कि जो अब ट्रिपल जंप में इंडिया के खिलाड़ी अच्छा परफॉर्म क़र रहे हैं. पुराने वक़्त में इतनी सुविधा नहीं थीं. अब काफी सुविधाएं और पैसे मिल रहे हैं. ज़ब वह खेलते थे तो किराया भी नहीं मिलता था. उस वक़्त तो मिट्टी पर जंप करते थे. ज़ब वह खेलते थे तो कोई इंसेंटिव ही नहीं था. मोहिंदर सिंह गिल कहते हैं कि पश्चिमी देशों में युवा खेलों को पढ़ाई के साथ लेकर आगे बढ़ रहे हैं.
रेलवे की नौकरी बिना बताए छोड़ दिया थाः मोहिंदर बताते हैं कि रेलवे ने उन्हें नौकरी दी. चंदौसी में कमर्शियल इंस्पेक्टर के पद पर प्रशिक्षण के लिए उन्हें भेजा गया. लेकिन ट्रिपल जंप में पहचान बनाने का जूनून था. इसलिए बिना किसी को बताए चुपचाप पास के स्टेशन से दिल्ली के लिए ट्रेन पकड़ ली, जहां से वह कुरुक्षेत्र लौट आए. इस पर रेलवे के अधिकारियों ने नाराजगी जताई. इसके बाद टाटा स्टील से ऑफर नौकरी का था, वह स्वीकार किया. इसी बीच भारतीय विश्वविद्यालय टीम की ओर से टोक्यो में आयोजित विश्व विश्वविद्यालय खेलों में भाग लेने गये थे.
टोक्यो ओलम्पिक-1964 के दौरान उन्हें ओलम्पिक विलेज में रहे. उनको जंप लगाते देख अमेरिका से आए विश्व के शीर्ष एथलीट टॉमी स्मिथ और डेरिक बोजी ने उनका पता पूछने सहित सारी जानकारी ली थी. तब उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा था कि जानकारी क्यों मांगी जा रही है. मोहिंदर गिल की स्पोर्ट्स कम्पनी है, जो कि यूएस और कनाडा में काफी चर्चित है. उनका कहना है कि कंपनी से जो कमाई होती है, खिलाड़ियों के लिए उसमें से खर्च करते हैं. इससे उनके दिल को सुकून मिलता है.
मोहिंदर गिल की प्रमुख उपलब्धियांः 1978 एशियाई खेलों में 400 मीटर बाधा दौड़ में स्वर्ण पदक, 1978 एशियाई खेलों में 4x400 मीटर रिले में स्वर्ण पदक, 1979 में भारत के लिए पहले एथलीट बने जिन्होंने 400 मीटर बाधा दौड़ में 50 सेकंड की समय सीमा को तोड़ा, 1982 एशियाई खेलों में 400 मीटर बाधा दौड़ में रजत पदक, अर्जुन पुरस्कार (1979) से सम्मानित. 1971 के मई माह में मोहिंदर गिल ने फ्रेस्नो में वेस्ट कोस्ट रिले में 55 फीट और 1.25 इंच (या 16.79 मीटर) की ऊंचाई तक ट्रिपल-जंप किया था , जो उस समय अमेरिकी धरती पर दूसरी सबसे लंबी ट्रिपल जंप थी. मीट के उत्कृष्ट एथलीट का सम्मान पाया था. 1971 में कैल पॉली सीनियर के रूप में तब दुनिया में छठे स्थान पर रहे थे. मोहिंदर सिंह गिल ने पांच एनसीएए चैंपियनशिप जीती थीं. इतना ही नहीं कुछ रिकॉर्ड 40 साल बाद भी कायम थे.
अब कैलिफोर्निया में रह रहेः मोहिंदर सिंह की जन्मतिथि उनके सर्टिफिकेट के मुताबिक 12 अप्रैल 1947 है. उनके बुजुर्गों का गांव जमशेर था, जो जालंधर छावनी की सीमा में स्थित था. उनके परदादा ननकाना साहिब के पास झार अली के पास लायलपुर के चक 95/96 में बस गए थे. अब वर्तमान में कैलिफोर्निया की सिलिकॉन वैली में सैन फ्रांसिस्को से कुछ दूरी पर रहते हैं. बता दें कि मोहिंदर गिल ने अमेरिका के कैल पॉली में अध्ययन किया, जहां उन्होंने 1968 से 1971 तक ट्रिपल जंप में प्रतिस्पर्धा में हिस्सा लिया. अलग-अलग डिवीजनों के बीच कुल पांच एनसीएए चैंपियनशिप जीतीं और पांच संयुक्त एनसीएए रिकॉर्ड स्थापित करके इतिहास रचा था.
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