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प्रयागराज महाकुंभ; जानिए पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी से भगवान कार्तिकेय और मुरुगन स्वामी का नाता - PRAYAGRAJ MAHA KUMBH 2025

Prayagraj Maha Kumbh 2025 : सनातन धर्म की रक्षा और प्रचार प्रसार के लिए अखाड़ों का गठन किया गया है. वर्तमान में 13 अखाड़े हैं.

जनवरी में लगेगा महाकुंभ.
जनवरी में लगेगा महाकुंभ. (Video Credit : ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 29, 2024, 1:05 PM IST

प्रयागराज : वर्तमान समय में 13 अखाड़े हैं. इसमें पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी भी प्रमुख अखाड़ों में से एक है. इस अखाड़े की स्थापना 726 ईसवीं में की गई थी. अखाड़े के इष्टदेव भगवान शंकर के पुत्र कार्तिकेय हैं. जिन्हें दक्षिण भारत के लोग मुरुगन स्वामी के नाम से पुकारते हैं. कार्तिकेय भगवान देवताओं की सेना के सेनापति भी हैं. इस अखाड़े की स्थापना 726 ईसवीं में गुजरात के मांडवी में की गई थी. इस अखाड़े में दिगंबर साधु महंत व महामंडलेश्वर होते हैं. अखाड़े का मुख्यालय प्रयागराज में है. अखाड़े प्रमुख शाखाएं उज्जैन त्रयंबकेश्वर हरिद्वार और उदयपुर में हैं. अखाड़े के बारे में ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट...

पंचायती अखाड़ों के बारे में ईटीवी भारत की खास खबर. (Video Credit : ETV Bharat)

देश में सनातन धर्म की रक्षा के लिए आदि शंकराचार्य ने चार दिशाओं के अनुसार चार शंकराचार्य और उनकी सेना के रूप में अखाड़ों की स्थापना की थी. जिसके बाद इन्हीं अखाड़ों की संख्या बढ़ते हुए 13 तक पहुंच गई है. इन सभी अखाड़ों के गठन का मकसद सनातन धर्म की रक्षा करने के साथ ही उसका प्रचार प्रसार करना था. भारतीय संस्कृति और परंपराओं के आधार पर बने अखाड़े समय के साथ आधुनिक भी हो रहे हैं, लेकिन उसके बाद भी पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी में सदियों पुरानी परंपराओं को कायम रखने का पूरा प्रयास किया जाता है. जिसके लिए यहां के कुछ साधु संत आज भी कुटिया में रहकर ही साधना करते हैं.


726 ईस्वी में गुजरात के मांडवी में हुई थी अखाड़े की स्थापना

सदियों पहले गुजरात के मांडवी जिले में पंचायती अखाड़ा निरंजनी की स्थापना की गई थी. जब निरंजनी अखाड़े के गठन किया गया था उस वक्त देश में सनातन धर्म पर कई प्रकार के हमले हो रहे थे. दूसरे धर्म के लोग अपना विस्तार कर रहे थे. उसी वजह से पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी का गठन किया गया था. जिससे सनातन धर्म की रक्षा करने के साथ ही उसका प्रचार करने में निरंजनी अखाड़ा उसी वक्त से सक्रिय भूमिका निभा रहा है. वर्तमान समय से इस अखाड़े से जुड़े संत महंत देश के साथ ही दूसरे देशों में भी सनातन धर्म और भारतीय संस्कृति का प्रचार प्रसार कर रहे हैं.

पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी से जुड़ी खास जानकारी. (Photo Credit; ETV Bharat)



अखाड़े के सभी संतों के गुरु सिर्फ कार्तिकेय भगवान

पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी के सचिव महंत रवींद्र पुरी ने बताया कि पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी में हजारों की संख्या संत महंत महामंडलेश्वर और मंडलेश्वर हैं. इस अखाड़े में सभी के गुरु सिर्फ कार्तिकेय भगवान हैं जिन्हें हम निरंजन के नाम से भी पुकारते हैं. यही कारण है कि इस अखाड़े का नाम भी निरंजनी पड़ा हुआ है. अखाड़े में लाखों की संख्या में नाग साधु और सन्यासी हैं, लेकिन सभी के गुरु सिर्फ कार्तिकेय भगवान निरंजन देव हैं और सभी को उनके नाम से ही दीक्षा दी जाती है. अखाड़े के हर संत के नाम के बाद गुरु की जगह निरंजन देव ही लिखा होता है. सरकारी दस्तावेजों में भी इस अखाड़े के संतों के नाम के आगे निरंजन देव ही लिखा रहता है. जिसके नाम के बाद गुरु के नाम की जगह निरंजन देव नहीं लिखा है वह इस अखाड़े के संत नहीं हो सकते हैं. भगवान कार्तिकेय देवताओं की सेना के सेनापति भी हैं.

पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी (Photo Credit; ETV Bharat)


पारंपरिक तरीके से बनी रसोई में चूल्हे में बनता हैं खाना

पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी के कोठारी कुलदीप गिरी ने बताया कि इस अखाड़े में आज भी कई ऐसे संत हैं जो प्राकृतिक तरीके से बनी इन कच्ची कुटिया में ही रहना पसंद करते हैं. इसके अलावा उनके अखाड़े में संतों का भोजन पारंपरिक तरीके से बनी रसोई में मिट्टी के चूल्हे पर लकड़ी और गाय के गोबर से बनी कंडी के जरिये बनाने की परंपरा आज भी कायम है. कई संत हैं जो ज्यादा जरूरी आधुनिक वस्तुओं का इस्तेमाल करते हैं, लेकिन बिना जरूरत की आधुनिक सुविधाओं से दूर रहकर जप तप करने में लीन रहते हैं.


अखाड़े में पंच परमेश्वर और सचिव की है मुख्य भूमिका

पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी में पंच परमेश्वर होते हैं. इसके अलावा आठ श्री महंत और 8 उप श्री महंत भी होते हैं. इन सबके अलावा अखाड़े में 4 सचिव होते हैं और वही सभी प्रकार के फैसले लेते हैं. अखाड़े में सबसे महत्वपूर्ण पद पंच परमेश्वर का है जिनकी मंजूरी से हर प्रकार फैसले लिए जाते हैं. कुंभ और अर्ध कुंभ मेले में अखाड़ों में योग्यता के आधार पर पदों चयन होता है. जिसके बाद चुने हुए सभी संतों महंतों को पदों की जिम्मेदारी दी जाती है.


अखाड़े में कैसे मिलती है सन्यास दीक्षा

पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी में शामिल होने के नियम प्राचीन समय में काफी सख्त थे, लेकिन बदलते समय के साथ इन नियमों में कुछ कुछ राहत दी गई है. अखाड़े के सचिव महंत रवींद्र पुरी के मुताबिक अखाड़े में स्थायी के साथ अस्थायी सन्यास दीक्षा दी जाती है. अस्थायी संन्यास दीक्षा उन लोगों को दी जाती है जो गृहस्थ परिवार से आते हैं. क्योंकि उन्हें सन्यास दीक्षा देने से पहले उनकी आधी चोटी काटकर उनको देखा जाता है कि उनके अंदर संन्यासी साधु की तरह जीवन जीने के गुण आ गए हैं कि नहीं. अगर किसी मन न लगे तो उसे पूर्ण रूप से संन्यास दीक्षा देने से पहले ही वापस घर भेज दिया जाता है. जिनके अंदर साधु संन्यासी की तरह जीवन जीने के लक्षण आ जाते हैं और जब वह अखाड़े के सारे नियम कायदों का संयमित रूप से अखाड़े में रहकर पालन करने लगते हैं तो उनको कुंभ मेले के दौरान पूर्ण सन्यास दीक्षा दी जाती है. जनवरी 2025 में लगने वाले महाकुंभ में भी दीक्षा दी जाएगी.


निरंजनी अखाड़े के साथ आनंद अखाड़ा भी करता है शाही स्नान

पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी के सचिव महंत रवींद्र पुरी ने बताया कि प्रयागराज महाकुंभ में सबसे आगे पंचायती अखाड़ा श्री महानिर्वाणी अटल अखाड़े के साथ सबसे आगे शाही राजसी स्नान करने जाता है. उसके बाद पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी आनंद अखाड़े के साथ शाही स्नान करने जाता है. इसी क्रम में जूना अखाड़ा आवाहन और अग्नि अखाड़े के साथ शाही राजसी स्नान करने जाता है. जिसके बाद उदासीन और वैष्णव अखाड़े स्नान करने जाएंगे. महाकुंभ के मुख्य स्नान पर्व पर अखाड़े के साधुओं शिव समान नागाओं के साथ सभी 33 करोड़ देवी देवता गंगा यमुना सरस्वती की पावन त्रिवेणी में स्नान करने के लिए आते हैं. इसी वजह से संगम का जल अमृत समान हो जाता है और उसमें पुण्य की डुबकी लगाने से सभी प्रकार के दुख कष्टों से मुक्ति मिलने के साथ ही सुख समृद्धि और सौभाग्य की प्राप्ति होती है.

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