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पति ने शादी के बाद पत्नी को वेश्यावृत्ति में धकेला, हाईकोर्ट ने जमानत देने से किया इंकार, कहा-दुर्लभ आरोप - HIGH COURT NEWS

हाईकोर्ट ने कहा, एक बलात्कारी न केवल शारीरिक चोट पहुंचाता है, बल्कि महिलाओं की गरिमा, सम्मान और प्रतिष्ठा पर अमिट दाग छोड़ जाता है.

इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jan 6, 2025, 10:42 PM IST

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पत्नी को दोस्तों और अन्य व्यक्तियों के साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए मजबूर करके वेश्यावृत्ति में धकेलने का आरोपी की जमानत याचिका खारिज कर दी है. न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने अलीगढ़ के क्वार्सी थाने के इस मामले में आरोपी पति सलमान पर लगे आरोपों को देखते हुए कहा कि ऐसा आरोप दुर्लभ है.

अभियोजन पक्ष का यह मामला पति और पत्नी के बीच वैवाहिक विवाद का साधारण मामला नहीं है. हाईकोर्ट ने कहा कि आरोप पीड़िता के सर्वोच्च सम्मान पर गंभीर आघात है और उसके आत्मसम्मान और गरिमा को ठेस पहुंचाता है. यह पीड़िता को अपमानित करता है. एक दर्दनाक अनुभव छोड़ता है. एक बलात्कारी न केवल शारीरिक चोट पहुंचाता है, बल्कि महिलाओं की सबसे प्रिय संपत्ति यानी गरिमा, सम्मान और प्रतिष्ठा पर अमिट दाग छोड़ जाता है.

मामले के तथ्यों के अनुसार पीड़िता की मां ने 17 जून 2024 को अपने दामाद के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराते हुए आरोप लगाया गया कि दोनों की शादी फरवरी 2024 में हुई थी. शादी के बाद उसे पता चला कि दामाद अवैध गतिविधियों में लिप्त है और उसने उसकी बेटी को उससे संपर्क नहीं करने दिया. काफी खोजबीन के बाद शिकायतकर्ता को उसकी बेटी मिल गई, जो रोने लगी और उसे पूरी कहानी बताई. बेटी ने बताया कि उसका पति उसे जबरन अन्य पुरुषों के साथ शारीरिक संबंध बनाने को मजबूर किया. आरोपी पति के खिलाफ आईपीसी की धारा 498-ए, 323, 328, 376-डी, 504, 506, 120-बी और दहेज निषेध अधिनियम की धारा 3/4 के तहत दर्ज किया गया. पुलिस ने अगस्त 2024 में याची को गिरफ्तार किया.

हाईकोर्ट में आरोपी ने जमानत याचिका में कहा गया कि वैवाहिक विवाद के कारण उसे इस मामले में झूठा फंसाया गया है. यह भी कहा गया कि शिकायतकर्ता और उसके पति पुलिस की मदद से अपनी बेटी (पीड़िता) को उसके ससुराल से दूर ले गए. दूसरी ओर सरकारी वकील और शिकायतकर्ता के वकील ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए तर्क दिया कि वास्तव में याची ने पीड़िता के साथ विवाह इस गुप्त उद्देश्य से किया था कि वह उसे वेश्यावृत्ति के लिए मजबूर करेगा.

हाईकोर्ट ने घटना के पृष्ठभूमि में तथा यह देखते हुए कि सीआरपीसी की धारा 164 के तहत बयान में पीड़िता ने विशेष रूप से आरोप लगाया है कि उसके पति ने उसे एक तरल पदार्थ दिया. जिससे उसके हाथ-पैर कांपने लगे तथा वह बेहोश हो गई. फिर उसने अपने दोस्तों के साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए मजबूर किया. सुनवाई के बाद कोर्ट ने जमानत याचिका खारिज कर दी.

इसे भी पढ़ें-एविएशन कंपनी पवन हंस को हाइकोर्ट से राहत, 8 लाख जमा करने पर निरस्त होगा पट्टा रद्द करने का आदेश

प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पत्नी को दोस्तों और अन्य व्यक्तियों के साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए मजबूर करके वेश्यावृत्ति में धकेलने का आरोपी की जमानत याचिका खारिज कर दी है. न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने अलीगढ़ के क्वार्सी थाने के इस मामले में आरोपी पति सलमान पर लगे आरोपों को देखते हुए कहा कि ऐसा आरोप दुर्लभ है.

अभियोजन पक्ष का यह मामला पति और पत्नी के बीच वैवाहिक विवाद का साधारण मामला नहीं है. हाईकोर्ट ने कहा कि आरोप पीड़िता के सर्वोच्च सम्मान पर गंभीर आघात है और उसके आत्मसम्मान और गरिमा को ठेस पहुंचाता है. यह पीड़िता को अपमानित करता है. एक दर्दनाक अनुभव छोड़ता है. एक बलात्कारी न केवल शारीरिक चोट पहुंचाता है, बल्कि महिलाओं की सबसे प्रिय संपत्ति यानी गरिमा, सम्मान और प्रतिष्ठा पर अमिट दाग छोड़ जाता है.

मामले के तथ्यों के अनुसार पीड़िता की मां ने 17 जून 2024 को अपने दामाद के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराते हुए आरोप लगाया गया कि दोनों की शादी फरवरी 2024 में हुई थी. शादी के बाद उसे पता चला कि दामाद अवैध गतिविधियों में लिप्त है और उसने उसकी बेटी को उससे संपर्क नहीं करने दिया. काफी खोजबीन के बाद शिकायतकर्ता को उसकी बेटी मिल गई, जो रोने लगी और उसे पूरी कहानी बताई. बेटी ने बताया कि उसका पति उसे जबरन अन्य पुरुषों के साथ शारीरिक संबंध बनाने को मजबूर किया. आरोपी पति के खिलाफ आईपीसी की धारा 498-ए, 323, 328, 376-डी, 504, 506, 120-बी और दहेज निषेध अधिनियम की धारा 3/4 के तहत दर्ज किया गया. पुलिस ने अगस्त 2024 में याची को गिरफ्तार किया.

हाईकोर्ट में आरोपी ने जमानत याचिका में कहा गया कि वैवाहिक विवाद के कारण उसे इस मामले में झूठा फंसाया गया है. यह भी कहा गया कि शिकायतकर्ता और उसके पति पुलिस की मदद से अपनी बेटी (पीड़िता) को उसके ससुराल से दूर ले गए. दूसरी ओर सरकारी वकील और शिकायतकर्ता के वकील ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए तर्क दिया कि वास्तव में याची ने पीड़िता के साथ विवाह इस गुप्त उद्देश्य से किया था कि वह उसे वेश्यावृत्ति के लिए मजबूर करेगा.

हाईकोर्ट ने घटना के पृष्ठभूमि में तथा यह देखते हुए कि सीआरपीसी की धारा 164 के तहत बयान में पीड़िता ने विशेष रूप से आरोप लगाया है कि उसके पति ने उसे एक तरल पदार्थ दिया. जिससे उसके हाथ-पैर कांपने लगे तथा वह बेहोश हो गई. फिर उसने अपने दोस्तों के साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए मजबूर किया. सुनवाई के बाद कोर्ट ने जमानत याचिका खारिज कर दी.

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