पटनाः लोकसभा चुनाव 2024 में परिवारवाद मुद्दा बनता हुआ दिख रहा है. भारतीय जनता पार्टी परिवारवाद के मसले पर इंडिया गठबंधन को घेर रही है. दूसरी ओर महागठबंधन की ओर से भी इसको लेकर एनडीए पर हमला किया जा रहा है. इसी बीच प्रशांत किशोर ने परिवारवाद को लेकर सच्चाई बतायी. प्रशांत किशोर ने साफ कर दिया है कि परिवारवाद की असली परिभाषा क्या होती है?
1250 परिवार के लोग ही विधायक-सांसद बनेः जन सुराज अभियान के संयोजक प्रशांत किशोर ने राजनीति में परिवारवाद पर तंज करते हुए कहा कि देश भर में हमने देखा कि अगर आपके पिता जी विधायक-मंत्री नहीं हैं तो आपके लिए चुनावी राजनीति में आना बहुत कठिन है. बीते 30 वर्षों में पता चला कि 1250 परिवार के लोग ही विधायक-सांसद बने हैं.
पार्टी बदलती है लेकिन नेता वही रहता हैः एक लालू जी, राम विलास पासवान जी का परिवार है ऐसी बात नहीं है. हर प्रखंड में दो-चार परिवार ऐसे हैं जिनका राजनीति पर कब्जा है. उन्होंने कई चुनाव का उदाहरण देते हुए बताया कि दल कोई रहे लेकिन नेता एक ही आदमी बनता है. कहा कि जनता सोचती है कि कांग्रेस को उखाड़ दिए, लालू जी को ले आए, लालू जी को उखाड़ दिए नीतीश जी को ले आए, नीतीश जी को उखाड़ दिए भाजपा को ले आए. पार्टी बदलती है लेकिन नेता वही रहते हैं.
कई पार्टी में परिवारवादः उन्होंने लोगों को उदाहरण देते हुए कहा कि आप किसी दल को ले आइए नेता वही रहेगा और उसी परिवार का रहेगा. आगे प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार की आबादी है 13.5 करोड़. यहां 3.5 करोड़ परिवार के लोग रहते हैं लेकिन विधायक-सांसद 1250 परिवार के लोग ही बनते हैं. आरजेडी और क्षेत्रीय दलों के बारे में सब जानते हैं कि वो परिवारवाद की पार्टी है लेकिन भाजपा को लेकर लोगों को लगता है कि ये परिवारवाद की पार्टी नहीं है.
सम्राट चौधरी का दिया उदाहरणः उन्होंने सम्राट चौधरी का उदाहरण देते हुए कहा कि भाजपा से उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी शकुनी चौधरी के बेटे हैं. जब बिहार में कांग्रेस का दौर था उसमें शकुनी चौधरी विधायक-मंत्री थे, लालू जी के दौर में विधायक मंत्री रहे. नीतीश जी के दौर में भी विधायक मंत्री रहे. मांझी जी जब मुख्यमंत्री बने तो उसमें भी विधायक-मंत्री रहे. अब जब भाजपा मजबूत है तो उनके बेटे सम्राट चौधरी आ गए.