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उत्तराखंड के तमाम हिस्सों में चुनाव बहिष्कार की आवाज बुलंद, पशोपेश में निर्वाचन आयोग, सियासत भी गरमाई

Lok Sabha Election 2024, Election Boycott in Uttarakhand लोकसभा चुनाव का बिगुल बज चुका है. तमाम दावों और वादों का लबादा ओढ़े नेता अब वोट मांगने के लिए जनता के पास पहुंच रहे हैं, लेकिन आज भी जनता मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. लिहाजा, चुनावी मौसम आते ही अपनी मांगों को मनवाने के लिए लोग भी चुनाव बहिष्कार की चेतावनी दे रहे हैं. आलम ये है कि तमाम हिस्सों से चुनाव बहिष्कार की आवाज बुलंद हो रही है. जिस पर सियासी दलों के बीचे आरोप-प्रत्यारोप भी जारी है.

Election Boycott in Uttarakhand
उत्तराखंड में चुनाव बहिष्कार

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Mar 18, 2024, 4:14 PM IST

Updated : Mar 18, 2024, 10:30 PM IST

चुनाव बहिष्कार की आवाज बुलंद

देहरादून:भारत निर्वाचन आयोग ने लोकसभा चुनाव 2024 के लिए चुनावी तिथियों का ऐलान कर दिया है. जिसके तहत उत्तराखंड की पांचों सीटों पर पहले चरण में यानी 19 अप्रैल को मतदान होगा. जिसको देखते हुए जहां एक तरफ राजनीतिक पार्टियां चुनावी तैयारियों में जुटी हुई है तो वहीं दूसरी तरफ प्रदेश के तमाम हिस्सों से चुनाव बहिष्कार भी देखा जा रहा है. खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में रह रहे लोग अपनी मांगों को लेकर चुनाव बहिष्कार की चेतावनी दे रहे हैं. अगर ग्रामीण चुनाव बहिष्कार करते हैं तो इसका फर्क न सिर्फ राजनीतिक दलों पर पड़ेगा, बल्कि मतदान फीसदी भी घट सकती है.

'सड़क नहीं तो वोट नहीं' का नारा

किसी भी चुनाव के दौरान लोगों को अपनी मांगों को पूरा करवाने यानी मनवाने के लिए एक बड़ा मौका होता है. यही वजह है कि हर चुनाव के दौरान लोग चुनाव बहिष्कार का सहारा लेते हैं और अपनी क्षेत्रों की समस्याओं को दूर करवाते हैं. मौजूदा स्थिति ये है कि एक जगह नहीं, बल्कि तमाम ग्रामीण क्षेत्रों में चुनाव बहिष्कार का बोलबाला देखा जा रहा है. इतना ही नहीं देहरादून जिले के ग्रामीण क्षेत्रों से लेकर पहाड़ के तमाम क्षेत्रों में चुनाव बहिष्कार करने की चेतावनी दी जा रही है. सबसे ज्यादा मामले सड़कों से जुड़ा हुआ है. जिसके चलते ग्रामीण 'रोड नहीं तो वोट नहीं' की बात कह रहे हैं.

चमोली जिले में महिलाओं का प्रदर्शन

कांग्रेस बोली- बीजेपी सरकार के विकास की पोल खोल रहा चुनाव बहिष्कार:जहां एक ओर ग्रामीण चुनाव का बहिष्कार कर रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर इस मामले पर सियासत भी गरमा गई है. कांग्रेस प्रदेश उपाध्यक्ष मथुरा दत्त जोशी का कहना है कि पिछले 10 साल से केंद्र और 7 साल से राज्य में बीजेपी की सरकार है. ये सरकार बड़ी-बड़ी बातें तो करती है, लेकिन आज भी प्रदेश के तमाम ग्रामीण क्षेत्रों में सुविधाओं का अभाव बना हुआ है, जिसके चलते लोग चुनाव बहिष्कार पर उतर आए हैं. जो बीजेपी सरकार के विकास की पोल खोल रही है. साथ ही कहा कि ग्रामीणों के चुनाव बहिष्कार से चुनाव पर फर्क पड़ेगा.

ग्रामीणों ने तानी मुठ्ठी

चुनाव बहिष्कार के सवाल पर क्या बोली बीजेपी?ग्रामीणों के चुनाव बहिष्कार के सवाल पर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट का कहना है कि हर समस्या का समाधान बीजेपी के जरिए ही होती है. जिन स्थानों से चुनाव बहिष्कार के मामले सामने आ रहे हैं, उनके समस्याओं का समाधान किया जा रहा है. साथ ही कहा कि कुछ जगहों पर फॉरेस्ट ट्रांसफर या कुछ अन्य टेक्निकल दिक्कतें होंगी तो चुनाव के बाद उनकी समस्याओं का समाधान कर दिया जाएगा. ऐसे में लोकतंत्र में मतदान का सभी को अधिकार है. लिहाजा, सबको अपने मत का इस्तेमाल करना चाहिए.

अपनी मांगों को मनवाने के लिए सड़कों पर उतरी महिलाएं

कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल बोले- बीजेपी सरकार गंभीर, समस्याओं को किया जाएगा दूर:सुविधाओं के अभाव में चुनाव का बहिष्कार कर रहे ग्रामीणों के सवाल पर कैबिनेट मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि बीजेपी सरकार विकास के लिए काम करती है. जहां भी इस तरह की अपवाद स्वरूप कुछ चीजें छूट गई होंगी, उसके लिए बीजेपी सरकार गंभीर है. ऐसे में इन समस्याओं को भी दूर किया जाएगा. साथ ही चुनाव बहिष्कार कर रहे ग्रामीणों से अनुरोध किया कि ये लोकतंत्र का महापर्व है, इसमें मतदान का जो अमूल्य अधिकार मिला उसका जरूर इस्तेमाल करें.

ढोल दमाऊं के साथ सड़कों पर उतरे लोग

क्या बोले उत्तराखंड के सीईओ बीवीआरसी पुरुषोत्तम?किसी भी चुनाव के दौरान लोगों के चुनाव बहिष्कार करने से चुनाव पर बड़ा फर्क पड़ता है. साथ ही इससे मतदान फीसदी भी कम हो जाती है. जबकि, निर्वाचन आयोग मतदान फीसदी को बढ़ाए जाने को लेकर लगातार जनता को जागरूक कर रही है. ग्रामीणों के चुनाव बहिष्कार के सवाल पर उत्तराखंड के मुख्य निर्वाचन अधिकारी बीवीआरसी पुरुषोत्तम ने कहा कि करीब एक महीने पहले ही सभी जिलाधिकारियों को इस बाबत निर्देश दिए थे कि जिन-जिन क्षेत्रों में ऐसे मामले सामने आ रहे हैं, वहां जाकर लोगों से बातचीत करें.

सड़क और पुल की मांग

उनको ये बताएं कि काम क्यों नहीं हो रहे हैं. साथ ही उन्होंने आगे कहा कि इसमें ग्रामीणों की कोई गलती नहीं है. क्योंकि, जब उन्हें लगता है कि कोई उनकी समस्याओं को नहीं सुन रहा है तो उनके पास ये एक बड़ा मौका अपनी बात को सुनाने का होता है, लेकिन उम्मीद है कि 2022 की तरह इस बार भी कहीं भी चुनाव बहिष्कार नहीं होगा.

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Last Updated : Mar 18, 2024, 10:30 PM IST

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