देहरादून: उत्तराखंड में बारिश के दौर के बीच धामी सरकार 21 अगस्त से ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में मानसून सत्र करने जा रही है. गैरसैंण में तीन दिनों तक विधानसभा का मानसून सत्र चलेगा. इस सत्र के दौरान महत्वपूर्ण विधायक पटल पर रखे जाएंगे. पूरा सरकारी अमला इन तीन दिनों में राजधानी देहरादून से कई सौ किलोमीटर दूर होगा. राज्य सरकार मानसून के समय पर सत्र को देहरादून में ना कर कर दो तरह के संदेश देना चाहती है. यह संदेश न केवल राज्य की जनता के लिए बल्कि बाहर से आने वाले पर्यटकों के लिए भी है.
तीन दिनों का होगा मानसून सत्र:उत्तराखंड आंदोलनों से बना प्रदेश है. आंदोलनकारियों ने पहाड़ी प्रदेश की राजधानी पहाड़ पर बनाने की मांग की. राज्य गठन के 25 साल बाद भी उत्तराखंड को स्थाई राजधानी नहीं मिल पाई है. पूर्व की सरकार में हुए प्रयासों के बाद गैरसैंण को ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाया गया. जिसके बाद यहां विधानसभा का इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया गया. पूर्व में जब गैरसैंण में ग्रीष्मकालीन राजधानी में सत्र आहूत होना था तब कुछ विधायकों ने विधानसभा अध्यक्ष और मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर देहरादून में सत्र आयोजित करने की मांग की थी. तब इस खबर ने खूब सुर्खियां बटोरी थी. अब 21 अगस्त से गैरसैंण में मानसून सत्र शुरू होने जा रही है.
फरवरी महीने में राज्य सरकार ने वित्तीय वर्ष 2024 और 2025 के लिए 89,230.07 करोड रुपए का बजट पेश किया. अब राज्य सरकार को अन्य विभागों के लिए और बजट की जरूरत पड़ रही है. जिसके लिए वित्त विभाग ने अनुपूरक बजट पूरी तरह से तैयार कर लिया है. 21 अगस्त होने जा रहे विधानसभा सत्र को लेकर कई दिनों से असमंजस की स्थिति बनी रही. चर्चा थी कि यह सत्र भी देहरादून विधानसभा में आयोजित किया जाएगा. तमाम चर्चाओं के बीच यह फैसला लिया गया कि गैरसैंण में ही तीन दिनों का सत्र किया जाएगा.
बेहद जरुरी है पहाड़ के लिए ये सत्र: यह बात किसी से छुपी नहीं है कि उत्तराखंड इस वक्त मानसून के समय पर बड़ी समस्या से जूझ रहा है. गढ़वाल और कुमाऊं दोनों ही रीजन में बारिश अपना कहर बार पा रही है. अभी यह सिलसिला कई हफ्तों तक इसी तरह जारी रहेगा. गैरसैंण के आसपास के इलाके हो फिर चाहे वह चमोली हो या अल्मोड़ा सभी जगह बारिश ने कहर बरपाया है. चारधाम यात्रा पर भी इसका गहरा असर पड़ रहा है. हर साल मानसून के दौरान यात्रियों की संख्या कम हो जाती है. यह सत्र मानसून के हल्के पड़ने के बाद आने वाली यात्रियों की संख्या में भी इजाफा कर सकता है. यही सोचकर सरकार भी इस सत्र को गैरसैंण में करवा रही है.