पटना: बिहार में एनडीए सरकार को 12 फरवरी को विधानसभा में बहुमत साबित करना है. इसे लेकर सियासत गरमा गई है. लोकसभा चुनाव से ठीक पहले नीतीश कुमार ने पाला बदलकर न केवल इंडिया गठबंधन को झटका दिया है बल्कि बिहार में राजद को भी बड़ा झटका दिया है. वहीं खेल बिहार विधानसभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी ने भी कर दिया है. उन्होंने अविश्वास प्रस्ताव सामना करने की बात कही है. इसीलिए महागठबंधन खेमा अपनी रणनीति बना रहा है तो सत्ता पक्ष के दल भी सेंधमारी न हो जाए.
सेंधमारी का डर: जदयू के 45 विधायक हैं. राजद के तरफ से लगातार कहा जा रहा है खेला होगा. जदयू के मंत्री श्रवण कुमार ने कहा कि विधायकों को प्रलोभन दिया जा रहा है. इसी को देखते हुए जदयू के तरफ से विधायकों को पटना बुला लिया गया है. सभी 45 विधायक 10 फरवरी से निगरानी में आ जाएंगे और 11 फरवरी देर शाम तक निगरानी में रहेंगे. उसके बाद 12 फरवरी को विधानसभा में जाएंगे और इसके लिए नीतीश कुमार के खास श्रवण कुमार और संजय गांधी को विशेष जिम्मेवारी दी गई है.
"जदयू की ओर से 48 घंटे का रणनीति तैयार की गई है, लेकिन जदयू के विधायक किसी तरह की निगरानी होने की बात से इनकार कर रहे हैं. हम लोगों को इस तरह का कोई इंस्ट्रक्शन नहीं है. हम लोग तो खुलेआम घूम रहे हैं."-अजय चौधरी, विधायक और प्रवक्ता जदयू
श्रवण कुमार के आवास पर भोज :श्रवण कुमार के आवास पर 10 फरवरी यानी शनिवार को भोज का आयोजन किया गया है. वहीं 11 फरवरी को विधानमंडल दल की बैठक विजय चौधरी के आवास पर बुलाई गई है. दोनों बैठकों में नीतीश कुमार मौजूद रहेंगे और जरूरत हुआ तो एक-एक कर सभी विधायकों से बात करेंगे. यदि कोई विधायक नहीं आए तो उन्हें मनाने की कोशिश भी होगी.
ये है दलों की स्थिति: बिहार विधानसभा में 12 फरवरी को फ्लोर टेस्ट होना है. एनडीए के पास 128 विधायक हैं. जिसमें भाजपा के 78 जदयू के 45 और जितना मांझी की पार्टी हम के चार और एक निर्दलीय विधायक का भी समर्थन है. वहीं दूसरी तरफ महागठबंधन के पास केवल 114 विधायक हैं. जिसमें राजद के 79 कांग्रेस के 19 और वामपंथी दलों के 16 विधायक हैं. एआइएमआइएम के भी एक विधायक हैं लेकिन इन दोनों गठबंधन से अलग है.