छत्तीसगढ़

chhattisgarh

ETV Bharat / state

धान खरीदी पर बढ़ा सियासी घमासान, टोकन और बारदाने को लेकर कांग्रेस का सियासी कोहराम

कांग्रेस का ''धान खरीदी केंद्र चलो अभियान'' शुरु हो चुका है. पूर्व सीएम भूपेश बघेल खुद धान किसानों से मिलने खरीदी केंद्र पहुंचे.

Politics on paddy procurement
धान खरीदी पर सियासी कोहराम (ETV Bharat)

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Dec 3, 2024, 8:19 PM IST

रायपुर: धान खरीदी में मिल रही शिकायतों को लेकर कांग्रेस ने धान खरीदी केंद्र चलो अभियान का आगाज कर दिया है. अभियान के तहत कांग्रेस के नेता धान खरीदी केंद्रों पर जाकर किसानों की समस्याओं को देखेंगे, उनकी आवाज सरकार तक पहुंचाएंगे. वरिष्ठ पत्रकार उचित शर्मा करते हैं कि जो भी पार्टी सत्ता में रहती है वो किसान विरोधी बन जाती है और जो विपक्ष में रहती है वो किसान हितैषी बन जाती है. सालों से यहीं परंपरा चली आ रही है. किसान इन दोनों के बीच पिसता रहता है.

कांग्रेस का ''धान खरीदी केंद्र चलो अभियान'': किसानों के मुद्दे को लेकर कांग्रेस ने आज प्रदेश के विभिन्न सोसाइटियों में प्रदर्शन किया, कांग्रेस का दावा है कि उसने किसानों के हित में उनकी आवाज को बुलंद किया है. किसान जिन समस्याओं से जूझ रहा है उन समस्याओं को हम सरकार के सामने रख रहे हैं. कांग्रेस के दावों पर बीजेपी ने कहा कि विपक्ष सिर्फ राजनीति कर रही है. जनता के हितों से कांग्रेस पार्टी को कुछ लेना देना नहीं है. जनता कांग्रेस को समझ चुकी है.

धान खरीदी पर सियासी कोहराम (ETV Bharat)

धान खरीदी पर सियासत तेज: धान खरीदी केंद्र चलो अभियान के दौरान कांग्रेस पार्टी के नेता आज कई धान खरीदी केंद्रों पर पहुंचे. कांग्रेस नेताओं ने किसानों से मिलकर धान खरीदी को लेकर बातचीत की. कांग्रेस ने किसानों से जानने की कोशिश कि की उनका धान कितना खरीदा जा रहा है और कितने पैसे खाते में आ रहे हैं.

पूर्व सीएम भूपेश बघेल ने संभाला मोर्चा: पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल खरोरा स्थित मांठ धान खरीदी केंद्र पहुंचे. भूपेश बघेल ने धान खरीदी को लेकर भाजपा सरकार पर जोरदार हमला बोला. बघेल ने कहा कि हमारे आंदोलन का ही नतीजा है कि ऑनलाइन टोकन प्रक्रिया को बंद कर ऑफलाइन किया जा रहा है. ऑनलाइन टोकन प्रक्रिया के दौरान किसान काफी परेशान थे. किसानों को टोकन लेने में दिक्कत हो रही थी. 1 मिनट के लिए साइट खुलती थी और फिर बंद हो जाती थी. टोकन के लिए किसानों को चक्कर काटने पड़ रहे थे.

भूपेश बघेल का सरकार पर वार: बघेल ने कहा कि धान खरीदी 14 नवंबर से शुरू की गई है. प्रतिदिन धान खरीदी की लीमिट फिक्स कर दी गई है उसके कारण धान खरीदी प्रभावित हो रही है.अब तक धान का उठाव नहीं हुआ है. यही स्थिति रही तो सोसाइटी में धान रखने जगह नहीं होगी. धान खरीदी बंद भी हो सकती है. 3100 रुपए एक मुश्त देने की बात सरकार ने कही थी. पंचायत में नगद देने की व्यवस्था का भी दावा किया था. किसानों को एक मुफ्त राशि नहीं मिल रही है. किसी पंचायत में नगद की व्यवस्था नहीं की गई है. इतना ही नहीं किसानों को संदेह है कि सरकार अंतर की राशि देगी भी या नहीं.

भारतीय किसान यूनियन ने उठाए सवाल: किसान संगठनों का भी दावा है कि प्रदेश में सुचारू रूप से धान खरीदी नहीं हो रही. भारतीय किसान यूनियन छत्तीसगढ़ के महासचिव तेजराम विद्रोही का कहना है कि छत्तीसगढ़ में न्यूनतम समर्थन में धान किसानों से खरीदा जा रहा है. टोकन काटने की समस्या लगातार बनी हुई है. बारदाने की कमी अभी तक दूर नहीं हुई है.

घोषणा की गई थी कि किसानों को हम एक मुफ्त ₹3100 देंगे. किसानों को खाते में धान बेचने के बाद जो राशि आ रही है वह मोटा धान का 2300 रुपये और और पतला धान का 2320 रुपए खाते में आ रहा है. किसानों को ₹3100 नहीं मिल रहा है. केंद्र के द्वारा समर्थन मूल्य के बढ़ाए गए 170 रुपए की राशि भी किसानों को नहीं दी जा रही है.:तेजराम विद्रोही, महासचिव, भारतीय किसान यूनियन

संयुक्त किसान मोर्चा का आरोप: छत्तीसगढ़ संयुक्त किसान मोर्चा के प्रदेश प्रवक्ता वेगेंद्र सोनबेर का कहना है कि छत्तीसगढ़ के किसान धान की खरीदी नीति से निराश हैं. छत्तीसगढ़ में धान 1 नवंबर को पक कर तैयार हो गया था. उस वक्त ही सरकार ने खरीद नीति नहीं बनाई. उनकी प्रशासनिक अक्षमता की वजह से आज किसान बहुत पीड़ित और परेशान है. आज अगर बेमौसम बारिश होती है तो किसानों को हर्जाना या छतिपूर्ति कहां से मिलेगी.

हमारा छत्तीसगढ़ सरकार को सुझाव है कि समिति में खरीदी लिमिट को बढ़ाई जाए. लिमिट बढ़ने से किसानों को राहत मिलेगी. जिस प्रकार से 15 दिन का धान खरीदी का डाटा आ रहा है वह मात्र 9 लाख मीट्रिक टन की खरीदी दिखा रहा है. यदि इसी गति से धान खरीदी होती रहेगी तो सरकार को धान खरीदी के निर्धारित लक्ष्य 160 लाख मीट्रिक टन के लिए 6 महीने का समय लग जाएगा. :वेगेंद्र सोनबेर, प्रवक्ता, संयुक्त किसान मोर्चा

बीजेपी ने कांग्रेस को कोसा: धान खरीदी के मुद्दे को लेकर भाजपा प्रदेश प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव का कहना है कि मुद्दों के अभाव में संघर्ष करती कांग्रेस का ट्रैक और सोच दोनों बदल गई है. कांग्रेस अपने को जीवित रखने के लिए एक कृत्रिम समस्या बनाकर इस तरह का आंदोलन कर रही है. जितने भी आंदोलन करने का कांग्रेस ने प्रयास किया वह सभी असफल रहा है. जनता उनके साथ नहीं है. धान खरीदी के नाम पर कांग्रेस किसानों को भ्रमित करने का काम कर रही है.

राजीव गांधी किसान न्याय योजना के तहत किसानों को किस्तों में अंतर की राशि दी जाती थी. जिसकी वजह से किसान नाराज थे. दूसरी तरफ हमारी सरकार 21 क्विंटल प्रति एकड़ और 3100 रुपए प्रति क्विंटल की दर से धान खरीदी कर रही है. किसानों को अंतर की राशि एक मुश्त दे रही है. :संजय श्रीवास्तव, प्रदेश प्रवक्ता, भाजपा

मोदी की गारंटी याद दिलाई: कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि बीजेपी नेताओं को किसानों की परेशानी नजर नहीं आती है. धान खरीदी में आ रही दिक्कतों पर उनकी नजर नहीं पड़ती है. किसानों को धान खरीदी का सही भुगतान नहीं किया जा रहा है ये भी नजर नहीं आता है. कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि हम किसानों के हित में लगातार आवाज उठाते रहेंगे. किसानों की आवाज बनकर सरकार से सवाल पूछते रहेंगे.

27 लाख से अधिक किसान धान बेचने के लिए पंजीकृत हैं. 160 लाख मैट्रिक टन खरीदने का लक्ष्य रखा गया है. जो व्यवस्था है उससे समझ में आ रहा है कि सरकार धान खरीदी से बचना चाह रही है इसलिए इस तरह का षड्यंत्र कर रही है. जब विपक्ष आवाज उठा रहा है तो कह रहे हैं दिखावा है. क्या किसान जो सड़कों पर प्रदर्शन ओर आंदोलन कर रहे हैं वो भी झूठ है. :धनंजय सिंह ठाकुर, प्रदेश प्रवक्ता, कांग्रेस

''जो सत्ता में वो किसान विरोधी, जो विपक्ष में वो किसान हितैषी'':राजनीति के जानकार और वरिष्ठ पत्रकार उचित शर्मा कहना है कि यह दुर्भाग्य है कि जो सत्ता में होते हैं वह किसान विरोधी हो जाते हैं. जो विपक्ष में बैठता है वो किसान हितैषी बन जाता है. यही परंपरा चली आ रही है. उचित शर्मा ने कहा कि 160 लाख मिट्रिक टन धान खरीदी की जानी है. अभी 20 से 21 लाख मीट्रिक टन खरीदी की गई है. धान खरीदी में दिक्कतें आ रही हैं.

धान खरीदी के लिए 31 जनवरी लास्ट डेट है. सरकार को जो मूलतः व्यवस्था करनी होती है वह बारदान और फंड की है. यदि यह व्यवस्था सरकार कर ले, कुछ कोऑर्डिनेशन किसान और सोसाइटियों के बीच हो जाए तो काम आसान हो जाता है. फिर अच्छे परिणाम देखने को मिल सकते हैं. पर अब धान खरीदी को लेकर राजनीति की जा रही है. किसानों की समस्या जस की तस बनी हुई है. यही स्थिति हम पिछले 25 सालों से देखते आ रहे हैं.:उचित शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार

14 नवंबर से चल रही धान खरीदी:छत्तीसगढ़ में 14 नवम्बर सें धान खरीदी शुरू हुए है. अब तक 20.54 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी हो चुकी है. 4.36 लाख किसानों ने अपना धान बेचा है. धान खरीदी के एवज में इन किसानों को बैंक लिकिंग व्यवस्था के तहत 4285 करोड़ 74 लाख रूपए का भुगतान किया जा चुका है. अभियान 31 जनवरी 2025 तक चलेगी. खरीफ वर्ष के लिए 27.68 लाख किसानों द्वारा पंजीयन कराया गया है. 1.45 लाख नए किसान इस बार इसमें शामिल हैं. इस वर्ष 2739 उपार्जन केन्द्रों के माध्यम से 160 लाख मीट्रिक टन धान खरीदी अनुमानित है.

पिछले साल का रिकार्ड:पिछले साल किसानों ने 144.92 लाख टन धान बेचा था. इसमें कुल 24 लाख 72 हजार से अधिक किसान शामिल हुए थे. किसानों को कुल 30 हजार 68 करोड़ 81 लाख रुपये का पेमेंट किया गया था. साल 2022-23 के धान खरीदी के मुकाबले यह आंकड़ा 37.39 लाख टन अधिक रहा. बीते साल साय सरकार ने धान खरीदी की तारीख में तीन दिन का इजाफा किया था.

भाजपा सरकार अपने वादों पर खरी नहीं उतरी, किसानों के साथ जबरदस्त धोखाधड़ी : ताम्रध्वज साहू
दुर्ग में मिलर्स ने शुरू किया धान उठाव का काम
साय सरकार धान खरीदी से लेकर शिक्षा विभाग तक में फेल: पूर्व मुख्यमंत्री
छत्तीसगढ़ में फेंगल से धान खरीदी पर खतरा, सीएम साय ने अधिकारियों को दिए निर्देश
धान खरीदी पर सियासी घमासान, दीपक बैज का आरोप, ''खजाना है खाली नहीं हो रही तय खरीदी''

ABOUT THE AUTHOR

...view details