हरिद्वार: उत्तराखंड के हरिद्वार जिले में करोड़ों की संपत्ति के लिए संत की हत्या करने का मामला सामने आया है. पुलिस ने इस मामले में चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है. संत बीते चार महीने से लापता हैं. पुलिस को अभीतक संत की लाश नहीं मिली है. पुलिस के मुताबिक, आरोपियों ने पूछताछ में हत्या कर लाश को गंगा में फेंकने की बात कबूल की है. बता दें कि, पुलिस ने शिकायत मिलने के 24 घंटे के अंदर ही इस ब्लाइंड मर्डर केस का खुलासा कर दिया.
शिष्य ने दर्ज कराई थी गुमशुदगी: हरिद्वार एसएसपी प्रमेंद्र डोबाल ने प्रेस वार्ता कर इस पूरे मामले का खुलासा किया. उन्होंने बताया कि एक कपड़ा बेचने वाले ने अपने साथियों के साथ मिलकर इस पूरा साजिश को रचा था. एसएसपी के मुताबिक, दरअसल, बीते 4 महीने से महंत का फोन स्विच ऑफ आ रहा था और उनकी कोई खबर नहीं होने पर महंत के एक शिष्य रुद्रानंद (निवासी रायवाला गौरी गीता आश्रम बिरला मंदिर देहरादून) ने 17 अक्टूबर को हरिद्वार पुलिस को महंत की गुमशुदगी दर्ज करवाई थी, जिसके बाद इस मामले का खुलासा हुआ.
चार महीने से लापता थे गोविंद दास: रुद्रानंद ने अपनी शिकायत में पुलिस को बताया था कि उनके गुरू महंत गोविंद दास (शिष्य बिशम्बर दास महाराज निवासी श्रद्धा भक्ति आश्रम ज्ञानलोक कॉलोनी कनकख हरिद्वार) बीती 15 जून से लापता हैं. रुद्रानंद की शिकायत के अनुसार, महंत गोविंद दास इसी साल जून महीने में धर्म प्रचार के लिए हरिद्वार आश्रम से राजस्थान गए थे, लेकिन फिर कभी वापस नहीं लौटे.
नए बाबा पर गया शक: कनखल थाना पुलिस ने महंत गोविंद दास की गुमशुदगी दर्ज कर मामले की जांच शुरू की. पुलिस ने आश्रम के कार्यकर्ता मनीषानंद, शोभित व गुमशुदा महंत के परिचितों से पूछताछ की तो पता चला कि इसी साल जून महीने से आश्रम में एक नया बाबा आया है, जिसको पहले कभी देखा नहीं गया. पुलिस को भी बाबा पर शक हुआ. शक के आधार पर पुलिस ने नए बाबा राम गोपाल से पूछताछ शुरू की.
पुलिस के मुताबिक, पहले तो राम गोपाल ने पुलिस को गुमराह करने का प्रयास किया लेकिन बाद में वो टूट गया और उसने सारा सच पुलिस के सामने उगल दिया. पुलिस के मुताबिक, राम गोपाल ने कबूल किया है कि उसके साथियों ने ही महंत गोविंद दास की हत्या की है.
कपड़े बचने वाला निकाला मास्टरमाइंड: पुलिस की जांच में सामने आया कि इस पूरे खेल का मास्टरमाइंड अशोक है, जो फरवरी 2024 में आश्रम आया था. अशोक आश्रम और आसपास के इलाकों में कपड़ा बेचने आता था. इस दौरान वो कभी-कभी आश्रम में रूक जाया करता था. तभी उसकी मुलाकात बाबा गोविंद दास से हुई थी. अशोक बाबा को साल 2021 से जनता था. इसी कारण वह लगभग करीब 3 माह आश्रम में रुक कर भी गया था.
मुख्य आरोपी अशोक समय-समय पर अपने दोस्त ललित, सौरभ व प्रदीप को आश्रम में बुलाता रहता था. इस दौरान इन्होंने आश्रम के महंत के उत्तराधिकारी न होने व शहर के बीचोंबीच स्थित आश्रम की बेशकीमती संपत्ति के बारे में काफी जानकारी जुटाई. जानकारी जुटाने के बाद आशोक वापस गया और अपने साथी ललित, सौरभ व प्रदीप के साथ महंत गोविंद दास का मारने की पूरी साजिश रची. चारों की नजर महंत गोविंद दास के आश्रम और संपत्ति पर थी.