मध्य प्रदेश

madhya pradesh

ETV Bharat / state

पितृपक्ष में पड़ रहे चंद्रग्रहण और सूर्यग्रहण, जानिए सूतक काल कब होगा मान्य - Eclipse In Pitru Paksha

17 सितंबर यानि मंगलवार से पितृपक्ष की शुरूआत हो गई है. इस बार पितृपक्ष में चंद्र और सूर्य ग्रहण दोनों का साया है. ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री से जानिए चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण में सूतक काल कब से है और किस तरह से तर्पण करें.

ECLIPSE IN PITRU PAKSHA
पितृपक्ष में पड़ रहे चंद्रग्रहण और सूर्यग्रहण (ETV Bharat)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Sep 18, 2024, 6:15 AM IST

ECLIPSE IN PITRU PAKSHA:पितृ पक्ष की शुरुआत 17 सितंबर से हो चुकी है, जो की 2 अक्टूबर तक चलेगा, लेकिन इस बार पितृ पक्ष में चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण दोनों का साया पड़ रहा है. जिससे लोग अब चिंतित हैं कि आखिर पितृ पक्ष में चंद्र ग्रहण और सूर्य ग्रहण के दिन कैसे तर्पण किया जाएगा. इसका क्या असर होगा.

पितृपक्ष में ग्रहण का साया

इस बार पितृपक्ष में चंद्र ग्रहण पड़ रहा है और सूर्य ग्रहण भी पड़ रहा है.ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री बताते हैं कि '18 सितंबर को पहला और 2 अक्टूबर को अंतिम श्राद्ध होगा और ये भी एक संयोग बन रहा है, कि दोनों ही तिथियों पर ग्रहण पड़ रहे हैं. 18 सितंबर को प्रतिपदा श्राद्ध है और 2 अक्टूबर को सर्व पितृ अमावस्या का श्राद्ध है. 18 सितंबर को चंद्र ग्रहण है, 2 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण पड़ रहा है.

ग्रहण का क्या होगा असर ?

ज्योतिष आचार्य पंडित सुशील शुक्ला शास्त्री कहते हैं कि 'ये चंद्र ग्रहण और जो सूर्य ग्रहण पड़ रहा है, यह दोनों ही भारत में दिखाई नहीं देंगे, इसलिए इसका सूतक काल भी मान्य नहीं होगा, और ना ही इसमें किसी तरह का कोई परहेज करना होगा, ना तो किसी तरह की पूजा पाठ पर कोई पाबंदी रहेगी ना ही श्राद्ध कर्म में किसी तरह की रुकावट आएगी. इसलिए बिना किसी चिंता के श्राद्ध और पिंडदान किया जा सकता है.

यहां पढ़ें...

पितृपक्ष में पितरों को खुश करने जरूर करें ये काम, तर्पण और भोजन में भूलकर भी न करें ये गलती

आपको बता दें पितृ पक्ष में तर्पण करने के लिए नदी-तालाब में जाकर स्नान करें. अगर नदी-तालाब की सुविधा न हो तो घर पर भी स्नान कर सकते हैं. फिर दक्षिण दिशा में बैठ जाएं और सामाग्री तिल-जौ,चवाल और सफेद फूल सामने रख लें. दक्षिण की ओर घूम कर तिल से तीन बार पितरों का तर्पण करें, फिर घूम कर चावल से देवताओं का तर्पण करें. उत्तर दिशा की ओर जौ लेकर ऋषियों का तर्पण करें.

ABOUT THE AUTHOR

...view details