गया : विश्व प्रसिद्ध पितृपक्ष मेला आज से शुरू हो गया है. पितृ पक्ष मेले के पहले दिन पुनपुन में पिंडदान का विधान है, लेकिन जो तीर्थयात्री पुनपुन नहीं जा सकते, उनके लिए गोदावरी सरोवर पर पिंडदान की परंपरा है. ऐसे में जो तीर्थ यात्री पुनपुन नहीं गए, उन्होंने गोदावरी सरोवर पर पिंडदान किया और अपने 21 कुलों के उद्धार की कामना की. अपने पितरों के मोक्ष की कामना की.
त्रैपाक्षिक श्राद्ध में पुनपुन या फिर गोदावरी में श्राद्ध जरूरी :पितृपक्ष मेले में जो पिंडदानी त्रैपाक्षिक श्राद्ध यानी 17 दिनों के श्राद्ध के लिए गया जी आते हैं. उनके लिए पहले दिन पुनपुन या फिर गया के गोदावरी सरोवर में पिंडदान का विधान है. हालांकि, ज्यादातर तीर्थयात्री पुनपुन को ही जाते हैं, लेकिन जो तीर्थयात्री किसी कारणवश वहां नहीं जा पाते हैं, वे गोदावरी में पिंडदान करते हैं. गया के गोदावरी में राजस्थान, हरियाणा के कई काफी संख्या में तीर्थ यात्रियों ने पितरों के मोक्ष की कामना के निमित्त पिंडदान किया. इस दौरान पितरों के मोक्ष की कामना की.
''आज पहला दिन है. पुनपुन में श्राद्ध का विधान है, लेकिन जो पुनपुन को नहीं जा पाते हैं, वह गया के गोदावरी सरोवर पर पिंडदान करते हैं और अपने पितरों के मोक्ष की कामना करते हैं. यहां पिंडदान करने वाले तीर्थ यात्री अपने 21 कुलों के उद्धार की कामना करते हैं.''-रोहित पांडे, पिंडदान कराने वाले
गोदावरी सरोवर से जुड़ी हैं कई कथाएं :गोदावरी सरोवर में प्राचीन काल से पिंडदान का विधान है. यहां कई कथाएं जुड़ी है. बताया जाता है, कि यहां स्वयं ब्रह्मा जी आए थे. ऐसी कई धार्मिक मान्यताओं को लेकर यहां पुनपुन में नहीं जाने वाले तीर्थ यात्रियों के लिए गोदावरी सरोवर पर पिंडदान का विधान है.