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सांसद आदर्श गांव में रोड नहीं! ग्रामीणों ने कहा- चुनाव में सड़क बनेगा मुद्दा - Lok Sabha election 2024

चतरा लोकसभा क्षेत्र में पड़ने वाले केकरगढ़ पंचायत को आदर्श गांव के रूप में पूर्व राज्यसभा सांसद धीरज साहू ने गोद लिया था. विडंबना यह है कि यहां आज भी एक पक्की सड़क नहीं है. इस वजह से यहां के लोग काफी परेशान हैं, उन्होंने इसी को अब मुद्दा बनाने का मन बना लिया है.

People of MP Adarsh village Kekargarh made lack of road issue of Lok Sabha election
प्रदर्शन करते सांसद आदर्श गांव के लोग (ETV BHARAT)

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : May 16, 2024, 12:14 PM IST

पलामूः एक पंचायत जो कभी पोस्ते की खेती के लिए चर्चित रहा था. उस पंचायत को सांसद आदर्श ग्राम बनाया गया था. ताकि इलाके के माहौल को बदला जा सके. वक्त के साथ पोस्ता की खेती तो कम हो गई लेकिन ग्रामीणों को मूलभूत सुविधा नहीं मिली. हम बात कर रहे हैं पलामू के पांकी के केकरगढ़ पंचायत की. यह इलाका चतरा लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आता है. इस पंचायत के कई गांव रोड की सुविधा से जूझ रहे हैं. बरसात में दिनों में कई गांव कट जाते हैं.

अब इस इलाके के ग्रामीण एकजुट हो रहे हैं और लोकसभा चुनाव में रोड को मुद्दा बनाना चाहते हैं. हालांकि ग्रामीण रोड नहीं तो वोट नहीं के नारे के साथ आगे बढ़ना चाहते हैं. केकरगढ़ पंचायत को कांग्रेस कोटा से राज्यसभा सदस्य धीरज साहू ने आदर्श ग्राम चयन किया था.

चुनाव के वक्त प्रत्याशी कुछ ही इलाकों तक जाते है, ग्रामीणों में नाराजगी

चुनाव के दौरान पंचायत की कुछ ही गांव में प्रत्याशी जाते हैं. चुनाव जीतने के बाद कोई भी जनप्रतिनिधि इलाके में नहीं आते हैं. केकरगढ़ पंचायत के मतदाता गड़िहारा, हेडुम व जशपुर गांव को जोड़ने के लिए रोड तक नहीं है. हाल में ही ग्रामीणों की एक बड़ी बैठक हुई थी, जिसमें रोड को बड़ा चुनावी मुद्दा बनाया गया था. ग्रामीणों ने वोट बहिष्कार की भी धमकी दी है.

देववंश यादव ने कहा कि आजादी के 77 वर्ष और आदर्श ग्राम होने के बावजूद गांव में रोड नही है. कई दशक पहले बने रोड टूट गए हैं. सांसद और विधायक आश्वासन देते हैं लेकिन रोड नहीं बनता है. ग्रामीण नारायण यादव ने कहा कि रोड नहीं रहने से ग्रामीणों को परेशानी हो रही है. बीमार व्यक्ति को डोली में इलाज के लिए अस्पताल लेकर जाना पड़ता है. इलाके में 600 से अधिक मतदाता हैं, लेकिन किसी का ध्यान इस तरफ नहीं है. उनकी बातें नहीं सुनी जाती हैं तो वे मजबूर होकर बड़ा आंदोलन करने पर उतर जाएंगे.

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