पटनाःफूड सेक्टर के कारोबार में पूरे देश में पुरुषों का दबदबा है, इसमें बिहार के पुरुष भी पीछे नहीं हैं. राष्ट्रीय औसत से भी अधिक बिहार के पुरुष इस भोजन के कारोबार में जुड़े हुए हैं. राष्ट्रीय औसत 60 फीसदी पुरुष तो 40 फीसदी महिलाओं का है. ई-श्रम पोर्टल के निबंधन के आंकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश के सबसे अधिक इस सेक्टर से जुड़े हुए हैं. दूसरे नंबर पर पश्चिम बंगाल और तीसरे स्थान पर बिहार शामिल है.
सबसे ज्यादा अप्रशिक्षित कूकः कई ऐसे कूक हैं जो अनप्रोफेशनल तरीके से बिना प्रशिक्षण लिए काम कर रहे हैं तो कई डिग्री हासिल कर प्रोफेशनल शेफ हैं. उत्तर बिहार के लोग बिना किसी संस्थान से प्रशिक्षण लिए ट्रेंड हैं. अपने पिता और दोस्तों से काम सीखकर खाना बना रहे हैं. खाना बनाने में बिहार के पुरुषों की संख्या तो 10 लाख से अधिक है लेकिन जानकारी के अभाव में ई-श्रम पोर्टल निबंधन नहीं होने के कारण आंकड़ा स्पष्ट नहीं है.
होटल प्रबंधन संस्थान की कमी:बिहार के लोग खाना बनाने में तो आगे हैं लेकिन राज्य में संस्थान नहीं होने के कारण बिना प्रशिक्षण काम कर रहे हैं. जितने भी मशहूर संस्थान हैं सभी राज्य से बाहर है, जहां से पढ़ाई के लिए मोटी फीस की जरूरत पड़ती है. यही कारण है कि बिहार के युवा बिना प्रशिक्षण लिए किसी तरह काम सीखते हैं और फिर छोटे-मोटे होटलों और शादी-विवाह में खाना बनाने का काम करते हैं. बिहार के युवा कई राज्यों में भी खाना बनाते हैं.
इस उम्र के लोग ज्यादाः देश के असंगठित क्षेत्र में लाखों की संख्या में बिहार के लोग भोजन बनाने का काम करते हैं. होटल, फास्ट फूड की दुकान इन्हीं की बदौलत फल फूल रही है. रिपोर्ट के अनुसार इस काम में 18 वर्ष से 40 वर्ष तक के लोग सबसे अधिक हैं. ई-श्रम पोर्टल के अनुसार बिहार में भोजन बनाने के कारोबार में 48000 पुरुष तो 25756 महिलाएं हैं. 18 वर्ष से 40 वर्ष के 47853 लोग हैं. 40 से 50 वर्ष के 16201 तो 50 वर्ष से अधिक उम्र के 9546 लोग हैं.
श्रम विभाग को करना चाहिए पहलः अर्थशास्त्र विशेषज्ञ एनके चौधरी का कहना है भोजन बनाने का व्यवसाय बहुत बड़ा है. रोजगार का बहुत बड़ा क्षेत्र है लेकिन असंगठित क्षेत्र है. बिहार तीसरे स्थान पर है लेकिन बिहार के लोग जागरूकता के अभाव में बड़ी संख्या में अपना निबंधन नहीं करा पाते हैं. बिहार के श्रम विभाग को इस दिशा में पहल करनी चाहिए.
"उत्तर बिहार के लोग शुरू से भोजन बनाने के कारोबार में काफी कुशल हैं. बंगाल दिल्ली सहित कई स्थानों पर जाकर वर्षों से यह काम करते रहे हैं. कई परिवार में वर्षों से भोजन बनाने का काम चला आ रहा है. असंगठित क्षेत्र में कई ऐसे क्षेत्र हैं जिसमें कुशल कारीगर हैं उनको ट्रेनिंग नहीं दी गई है. भोजन बनाने का कौशल भी शामिल है. यह रोजगार का बहुत-बड़ा क्षेत्र है."-एनके चौधरी, अर्थशास्त्री