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कंपटीशन और तनाव के दौर में युवा और छात्रों के लिए रामबाण इलाज है योग - Yoga Benefits - YOGA BENEFITS

Yoga for Stress managemnent, आज के दौर में बच्चों से लेकर बड़ों तक तनाव होना आम हो गया है. ऐसे में तनाव से मुक्ति पाने के लिए एक रामबाण इलाज है योग. ऐसे में लोग अब योगा सेंटर पहुंच रहे हैं ताकि न केवल शारिरिक बल्कि मानसिक शांति भी मिल सके. पढ़िए ये रिपोर्ट...

तनाव का रामबाण इलाज है योग!
तनाव का रामबाण इलाज है योग! (Etv Bharat GFX)

By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jun 19, 2024, 8:42 AM IST

स्ट्रेस मैनेजमेंट के लिए योगा सेंटर पहुंच रहे लोग (ETV Bharat Jaipur)

जयपुर.बदलते लाइफस्टाइल के चलते बच्चे भी कई गंभीर बीमारियों की चपेट में आने लगे हैं. जब दौर कंपटीशन का हो तो फिर बच्चों की फिजिकल हेल्थ के साथ मेंटल हेल्थ भी जरूरी हो जाती है. योग ही वो साधन है जो तन और मन को स्वस्थ रख सकता है. यही वजह है कि आज युवा और बच्चे भी स्ट्रेस मैनेजमेंट के लिए योगा सेंटर्स पहुंचने लगे हैं.

योग से स्ट्रेस का ग्राफ नीचे गिरता है : कंपटीशन के दौर में आज युवा और बच्चों में स्ट्रेस (तनाव) बढ़ता जा रहा है, जिसकी वजह से वो कई बार डिप्रेशन में चले जाते हैं, या फिर कोई गलत कदम उठा लेते हैं. हालांकि इस तनाव का उपचार योग में छुपा हुआ है. यही वजह है कि विशेषज्ञ युवाओं को योगा करने की नसीहत देते हैं. योगाचार्य डॉ. अंचल उप्पल ने बताया कि नीट-जेईई जैसी प्रतियोगिता परीक्षाओं में पार्टिसिपेट करने वाले छात्रों के असफल होने पर आए दिन सुसाइड अटेम्प्ट करने जैसी खबरें सामने आती हैं. दिन-प्रतिदिन इस तरह की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं. इस समस्या से पार पाने के लिए योग एक कारगर पद्धति है. प्राणायाम, ध्यान, योग निद्रा और कई तरह के आसन बाहरी ज्ञान के साथ-साथ अंदरूनी ज्ञान को भी बढ़ाते हैं. छात्र या युवा पढ़ाई या नौकरी करते समय जो दबाव महसूस करते हैं, तो योग से उस स्ट्रेस का ग्राफ खुद ब खुद गिरना शुरू हो जाता है. इसे ही स्ट्रेस मैनेजमेंट भी कहा जाता है.

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बॉडी के साथ माइंड रिलैक्स करना भी जरूरी : उन्होंने बताया कि योग निद्रा 25 मिनट की विधि होती है और 6 घंटे की नींद के बराबर होती है. बच्चों के सामने सबसे बड़ी समस्या टाइम मैनेजमेंट की होती है, जिसमें उन्हें अपनी बॉडी और माइंड को भी रिलैक्स रखना होता है और स्टडी के प्रेशर को भी रिलीज करना होता है. योग निद्रा के जरिए अंतर्मन को आराम कराया जा सकता है. इसी तरह श्वसन क्रिया, ओंकार का उच्चारण, प्राणायाम की विधियां मन को रिलैक्स करती हैं. डिसीजन मेकिंग और पढ़ने की क्षमता को बढ़ाती हैं. उन्होंने बताया कि आसनों की अगर बात करें तो पर्वतासन, भुजंगासन, सूर्य नमस्कार इस तरह के योगाभ्यास हैं, जिन्हें 15 मिनट करके तनाव के ग्राफ को गिराया जा सकता है. इसी तरह श्वसन क्रियाओं में भस्त्रिका प्राणायाम, भ्रामरी प्राणायाम के अभ्यास से ब्रेन में ऑक्सीजन की भरपूर मात्रा पहुंचती है. बच्चों में परिस्थितियों के कारण जो नेगेटिविटी डेवलप हो जाती है, ऐसी कंडीशन में माइंड सही दिशा देता है.

स्कूलों में योग शुरू किया जाना चाहिए: योगा सेंटर्स तक पहुंचने वाले युवाओं का कहना है कि योगा करने से तनाव से मुक्ति और मेंटल हेल्थ को बरकरार रखा जा सकता है. इसके अलावा ये फ्लेक्सिबिलिटी, प्रोडक्टिविटी में भी कारगर सिद्ध होता है. प्राइवेट कंपनी में जॉब करते हुए ज्यादातर समय कंप्यूटर के सामने बिताने वाली एक युवा ने बताया कि कम से कम 8 से 12 घंटे लगातार बैठना होता है. ऐसे में शारीरिक और मानसिक विकारों को दूर करने के लिए योग एक उचित माध्यम है. इसके साथ ही योग के दौरान कराया जाने वाला मेडिटेशन मन और मस्तिष्क को शांति भी देता है. योग ही एक जरिया है जो शरीर को फिट और दिमाग को शांत करता है. योगा सेंटर पहुंचने वाली एक स्कूल की शिक्षका ने बताया कि मानसिक शांति के बिना कुछ भी हासिल करना मुश्किल है. इसके लिए योग और मेडिटेशन सबसे उपयुक्त साधन है. यदि स्कूलों में योग रेगुलर बेस पर शुरू होता है तो इसका फायदा बच्चों को फिजिकल और मेंटल हेल्थ के रूप में मिलेगा. बहरहाल, युवाओं को अब योग को जीवन शैली का हिस्सा बनाना होगा, ताकि किसी भी दबाव की स्थिति में स्ट्रेस मैनेजमेंट करते हुए वो अपने जीवन को सुखद और सरल बना सकें.

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