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भोटा अस्पताल में सेवाएं जारी होने से लोगों में खुशी, CM का जताया आभार

भोटा अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाएं जारी होने से लोगों में खुशी है. इसको लेकर लोगों ने सीएम सुक्खू का धन्यावाद किया. डिटेल में पढ़ें खबर...

राधा स्वामी चैरिटेबल भोटा अस्पताल
राधा स्वामी चैरिटेबल भोटा अस्पताल (फाइल फोटो)

By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : 5 hours ago

हमीरपुर:भोटा में राधा स्वामी चैरिटेबल अस्पताल ने सोमवार से अपनी सेवाएं देना शुरू कर दिया है. अस्पताल प्रशासन को ब्यास प्रबंधन ने हॉस्पिटल को खोलने के आदेश जारी किए थे जिसके बाद अस्पताल प्रशासन ने गेट पर अस्पताल को बंद करने का नोटिस हटा दिया है. नोटिस हटने के बाद सोमवार सुबह मरीज अस्पताल में अपना इलाज करवाने पहुंचे.

अस्पताल के खुलने के बाद स्थानीय लोगों ने खुशी जाहिर की. स्थानीय निवासी अश्वनी शर्मा ने कहा "हम मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का धन्यवाद करते हैं क्योंकि उनके प्रयासों से राधा स्वामी चैरिटेबल अस्पताल की सेवाओं को बहाल कर दिया गया है. अस्पताल प्रशासन ने गेट से नोटिस को भी हटा दिया है."

वहीं विजय वर्मा ने कहा"भोटा अस्पताल के शुरू होने से स्थानीय 40 से 45 पंचायतों को लाभ मिलेगा. सीएम सुक्खू ने बैठक कर इस मुद्दे को सुलझा लिया है और लोगों को एक बार फिर चैरिटेबल अस्पताल में स्वास्थ्य सुविधाएं मिलना शुरू हो गई हैं."

शिमला में मुख्यमंत्री ने की थी बैठक

सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने रविवार को ओक ओवर शिमला में राधा स्वामी सत्संग ब्यास चैरिटेबल अस्पताल भोटा से संबंधित भूमि हस्तांतरण के मामले पर चर्चा के लिए बैठक बुलाई थी जिसमें मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार राधा स्वामी सत्संग ब्यास चैरिटेबल अस्पताल भोटा को कार्यशील रखने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है. राज्य सरकार अस्पताल को कार्यशील रखना चाहती है ताकि आसपास के लोगों को स्वास्थ्य सेवाएं मिलती रहें. सीएम ने कहा कि राज्य सरकार धर्मशाला में 18 दिसंबर से शुरू होने वाले विधानसभा के शीतकालीन सत्र के पहले दिन लैंड सीलिंग एक्ट में संशोधन के लिए विधेयक पेश करेगी.

ये है मामला

डेरा ब्यास प्रबंधन चाहता है कि वर्तमान में राधा स्वामी सत्संग ब्यास के तहत चल रहे चैरिटेबल ट्रस्ट के भोटा अस्पताल को ब्यास डेरा की ही सिस्टर कंसर्न अथवा ऑर्गेनाइजेशन महाराज जगत सिंह मेडिकल रिलीफ सोसायटी को ट्रांसफर किया जाए. इसके लिए सरकार से अनुमति लेनी होती है साथ ही लैंड सीलिंग एक्ट में बदलाव करना पड़ेगा.

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