सहरसा: बिहार के सहरसा से 16 किलोमीटर दूर महिषी गांव में उग्रतारा मंदिर स्थित है, जो प्रसिद्ध शक्तिपीठ स्थलों में से एक है. यह मंदिर 700 साल पुराना बताया जाता है. इस मंदिर में हर मंगलवार के दिन श्रद्धालुओं की काफी भीड़ उमड़ती है. वहीं, नवरात्रि के समय देश-विदेश से श्रद्धालु यहां माता के दर्शन करने आते हैं.
मां तारा पूरी करती हैं सभी मनोकामना: ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर में जो भी श्रद्धालु सच्चे मन से कुछ मांगता हैं, मां तारा उसकी मनोकामना अवश्य पूरी करती हैं. मंदिर से पहले भगवती यहां पीपल के वृक्ष के नीचे मौजूद थीं. मंदिर के पुजारी प्रमोद कुमार खां बताते हैं कि वशिष्ठता अराधिता उग्र तारा ये तारा पीठ में तारा हैं. वशिष्ठ ने उग्र तपस्या करके भगवती को चीन से बुलाया था. ये कहानी शास्त्रों में मिलती है, साथ ही यहां नील सरस्वती नदी अभी भी बह रही है.
कैसे विलीन हुई भगवती?: भगवती यहां आईं तो वशिष्ठ से उन्होंने तीन प्रतिज्ञा करवाई. आप में जब लोभ, अहम और ईर्ष्या आ जाएगी तो मैं विलीन हो जाऊंगी. ऐसा वचन देकर भगवती यहां आईं थीं. वशिष्ठ यहां दिनभर पूजा पाठ करके विश्राम करते थे. ऐसा हुआ कि कुछ ऋषि मुनियों की बाते सुनकर वशिष्ठ में ईर्ष्या आ गई. ईर्ष्या आने के बाद वशिष्ठ ऋषि मुनियों को कुछ कह दिया, जिसके बाद भगवती रात में ही विलीन हो गई.