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खूबसूरत वादियों से भरपूर है बोकारो, सैलानियों को खूब लुभाते हैं यहां के पिकनिक स्पॉट - TOURIST PLACES OF BOKARO

दिसंबर और जनवरी के महीनों में बोकारो के विभिन्न पिकनिक स्पॉट पर लोगों का तांता लगा रहता है. प्राचीन धार्मिक स्थल भी आकर्षण का केंद्र.

TOURIST PLACES OF BOKARO
बोकारो में ये पिकनिक स्पॉट लोगों को लुभा रहे हैं (Etv Bharat)

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Dec 30, 2024, 3:38 PM IST

बोकारो: पिकनिक मनाने का सिलसिला शुरू हो गया है. हर वर्ष दिसंबर के पहले-दूसरे सप्ताह से लोग पिकनिक मनाना शुरू कर देते हैं और जनवरी के आखिरी सप्ताह तक यह सिलसिला चलता रहता है.

बोकारो में कई स्थल पिकनिन मनाने वालों की पहली पसंद हैं. लोग अपनी-अपनी सुविधानुसार इन स्थलों पर मित्रों व परिवार के संग पिकनिक मनाने आते हैं. विभिन्न संस्थानों का पिकनिक सह वार्षिक मिलन समोराह भी जोर शोर से मनाया जाता है. कुछ स्थल जंगल और पहाड़ के लिए तो कोई नदी-नाला, झरना और खूबसूरत वादियों के साथ-साथ अन्य कारणों से भी लोगों को अपनी ओर लुभाता है. अनेक स्थल धार्मिक और ऐतिहासिक कारणों से भी लोगों की पसंदीदा जगह बनी हुई है.

बोकारो के कुछ चर्चित पिकनिक स्पॉटः

सिटी पार्क

बोकारो शहर का सिटी पार्क शहर वासियों के लिए पिकनिक का मुख्य केंद्र है. सिटी पार्क मुख्यतः दो भागों में बंटा हुआ है. एक भाग लोगों के घूमने-फिरने के लिए उत्तम है. वहां बोटिंग की सुविधा भी है. यहां पर गुलाब की बागवानी भी पर्यटकों को लुभाती है. सिटी पार्क का यह हिस्सा पिकनिक के लिए वर्जित क्षेत्र है.

इसके दूसरे हिस्से को पिकनिक मनाने के लिए उपलब्ध कराया गया है. यहां दिसंबर महीना प्रारंभ होते ही पिकनिक मनाने वालों की भीड़ उमड़ने लगती है और जनवरी के अंत तक लगभग यही स्थिति रहती है. विभिन्न संगठनों का वार्षिक मिलन समारोह सह पिकनिक का आयोजन भी यहां होता है.

बरवाघाट

बोकारो के उत्तरी विस्थापित क्षेत्र स्थित बरवाघाट, सैलानियों को खूब आनंदित करता है. दूर-दूर से भी लोग यहां खिंचे चले आते हैं. सेक्टर 9 से करीब 7 किमी दूर यह जगह पचौरा गांव के निकट मौजूद है. दामोदर की लहरों और मनोरम प्राकृतिक छटा में लोग झूम उठते हैं.

करीब एक दशक पहले यहां चैक डैम बनाने के बाद इस जगह का आकर्षण अधिक बढ़ गया है. चैक डैम से झरना की तरह गिरता पानी अलग ही छटा बिखेरती है. बोकारो के सेक्टर 9 में इनायत चौक के पास बाईं ओर का रास्ता पकड़ कर यहां तक पहुंचा जा सकता है.

गरगा डैम

बोकारो शहर से सटे पिकनिक स्थलों में गरगा डैम भी सबसे खास है. शहर तथा आसपास के क्षेत्रों के लिए यह जगह पिकनिक के लिए पहली पसंद बन चुकी है. दूर-दराज से भी बड़ी संख्या में लोग पिकनिक मनाने यहां आते हैं.

करीब पांच दशक पहले प्लांट की स्थापना एवं बोकारो शहर बसने के दौरान एनएच किनारे श्यामपुर बस्ती के पास इसका निर्माण हुआ. उसी समय से यह जगह आकर्षण का केंद्र बना है. इसके किनारे पिकनिक मनाने का प्रचलन शुरू हुआ. डैम की ऊपरी सतह के किनारे तथा निचली सतह में फाटक के पास पिकनिक मनाने के लिए शेष भीड़ जुटती है.

गवई बराज

चास-पुरुलिया मुख्य पथ में चास प्रखंड मुख्यालय से करीब 15 किमी दूर पिंड्राजोरा स्थित गवई बराज भी बोकारो का प्रमुख पिकनिक स्पॉट है. प्राकृतिक खूबसूरती के अलावा इस स्थल की एक और विशेषता यह है कि इसके अगल-बगल में ब्रिटिश काल के अनेक स्मारक मौजूद हैं. पिकनिक मनाने वाले इन स्मारकों-स्थलों का अवलोकन करना नहीं भूलते.

पिंड्राजोरा थाना से करीब आधा किमी दूर गवई पुल से थोड़ा पहले दाईं ओर का रास्ता सीधे बराज तक ले जाता है. यहां की खूबसूरत वादियां सैलानियों को खूब लुभाती है. चार दशक पहले बराज के निर्माण के साथ ही यहां पिकनिक मनाने की शुरुआत हुई.

मर्ग खोह

कसमार प्रखंड की हिसीम-केदला पहाड़ी श्रृंखला में डुमरकूदर गांव के निकट स्थित मृगखोह क्षेत्र का मुख्य पिकनिक स्पॉट है. पहाड़, जंगल, झरना के बीच यहां लोगों को शांति और सुकून की अनुभूति होती है. साथ ही भगवान श्रीराम के कथित पदचिह्न होने के कारण भी यह स्थल लोगों का ध्यान खींचता है.

शहरी क्षेत्र के लोग भी पिकनिक मनाने यहां बड़ी संख्या में पहुंचते हैं. मकर सक्रांति पर यहां विशाल टुसू मेला भी लगता है. उस दिन यह स्थल झारखंडी संस्कृति से सराबोर हो उठता है. प्रखंड मुख्यालय से इसकी दूरी 18 किमी है. हिसीम के रास्ते भी यहां तक पहुंचा जा सकता है.

भैरव स्थल

चंदनकियारी प्रखंड के पोलकिरी स्थित भैरव स्थल प्राचीन धार्मिक मान्यताओं के कारण बोकारो के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से एक है. इजरी नदी के निकट दिसंबर के अंतिम सप्ताह से जनवरी के दूसरे-तीसरे सप्ताह तक पिकनिक मनाने का सिलसिला चलता रहता है.

14 जनवरी को मकर संक्रांति के अवसर पर यहां मेला भी लगता है. चंदनकियारी से इसकी दूरी करीब 14 किमी है. चंदनकियारी से 7 किमी दूर मानपुर मोड़ के पास बायीं ओर का रास्ता पकड़ कर यहां पहुंचा जा सकता है. ऐसी मान्यता है कि अज्ञातवास के दौरान माता कुंती अपने पुत्रों के साथ यहां आई थीं.

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