शिमला: हिमाचल में पिछले करीब 19 दिनों से स्टेट कैडर में बदले जाने से सरकार के निर्णय से नाराज चल रहे पटवारी और कानूनगो अब आर-पार की लड़ाई लड़ने के मूड में हैं. पिछले दिनों राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी के साथ हुई महासंघ की वार्ता बेनतीजा रही थी, जिसके बाद सरकार ने फिर महासंघ को वार्ता के लिए नहीं बुलाया है. ऐसे में महासंघ स्टेट कैडर के निर्णय को वापस लेने की अपनी शर्त पर ही टिका है. जिससे लोगों को ऑनलाइन सेवाएं नहीं मिली रही है, जिस कारण प्रदेश भर में करीब 1.75 लाख आवेदन पेंडिंग पड़े हैं. ऐसे में लोगों के महत्वपूर्ण लटक गए हैं.
वहीं, अभी तक मांगें न माने जाने से गुस्साए संयुक्त ग्रामीण राजस्व अधिकारी एवं कानूनगो महासंघ ने सरकार के खिलाफ अपना रोष प्रकट करने के लिए 6 और 7 अगस्त को मास कैजुअल लीव पर जाने का निर्णय लिया है, जिससे आम लोगों की परेशानी और बढ़ सकती है.
ऑफलाइन सर्टिफिकेट बनाने का निर्णय
प्रदेश में इन दिनों युवाओं को एडमिशन और काउंसलिंग के लिए प्रमाण पत्र की जरूरत है. इसके लिए महासंघ ने युवाओं को परेशानियों को समझते हुए ऑफलाइन प्रमाण पत्र के लिए रिपोर्ट देने का निर्णय लिया है. ये प्रमाण पत्र ऐसे पटवारी भी बनाएंगे, जिन्होंने अपने अतिरिक्त कार्यभार की चाबियां उच्चाधिकारियों को सौंप रखी हैं, ताकि युवाओं के प्रमाण पत्र की वजह से जरूरी कार्य न लटक सकें. इसके लिए युवाओं को संबंधित तहसीलदार को लिखित आवेदन करना होगा, जिसके बाद निर्देश मिलने पर पटवारी ऑफलाइन प्रमाण के लिए अपनी रिपोर्ट देंगे. इसके साथ आपदा से संबंधित कार्यों को पहले की तरह जारी रखा जाएगा. महासंघ जनहित में आपदा संबंधी सभी कार्यों को नियमानुसार करता रहेगा.
संयुक्त संयुक्त ग्रामीण राजस्व अधिकारी एवं कानूनगो महासंघ के प्रदेशाध्यक्ष सतीश चौधरी का कहना है कि, 'सरकार ने अभी तक मांगें नहीं मानी हैं. इसको देखते हुए प्रदेशभर में 6 और 7 अगस्त को सभी पटवारी और कानूनगो मास कैजुअल लीव पर रहेंगे. ये निर्णय महासंघ की आयोजित हुई वर्जुअल बैठक में लिया गया है. उन्होंने कहा कि युवाओं के करियर की देखते हुए महासंघ ने ऑफलाइन सर्टिफिकेट बनाने के लिए रिपोर्ट देने का फैसला लिया है.
ये भी पढ़ें: जयराम ठाकुर ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का किया दौरा, पीड़ितों का जाना हालचाल, सरकार से की प्रभावितों के पुनर्वास की मांग