पटना:बिहार का पटना जू आज अपना स्थापना दिवस मना रहा है. पटना जू के बारे में सभी लोग जानते हैं और प्रतिदिन हजारों लोग यहां अपने सगे संबंधी परिवार के संग घूमते हैं. लेकिन कई लोगों को यह मालूम नहीं होगा कि जब चिड़ियाघर आम लोगों के लिए खोला गया था तो उस समय टिकट दर क्या था? चिड़ियाघर के स्थापना से लेकर अब तक तीन बार नाम बदला गया नाम बदलने के पीछे भी अलग-अलग तथ्य है. स्थापना दिवस के मौके पर इन सब बातों की जानकारी मिलेगी.
1969 में जू की स्थापनाः उद्यान (पटना जू) 1969 में 34 सेक्टर में वनस्पति उद्यान के रूप में बनाया गया. 1973 में आम लोगों के लिए शुरू किया गया. लगभग 153 एकड़ में फैला यह चिड़ियाघर है जिसमें कई सुविधा पर्यटकों के लिए शुरू किया गया. जानवरों को देखने के साथ-साथ मनोरंजन के भी साधन हैं. वोटिंग और रेस्टोरेंट की भी व्यवस्था की गई है.
एक रुपए में 10 टिकटः पटना जू जब 1973 में आम लोगों के लिए खोला गया था तो उस समय 10 पैसे की टिकट में दिन भर चिड़ियाघर में घूमते थे. यानि एक रुपए में 10 लोग घूम सकते थे. आज चिड़ियाघर में ₹40 टिकट का दाम हो गया है. पहले जब शुरुआत हुई तो उस समय लोग सिर्फ पैदल ही भ्रमण करते थे लेकिन बदलते जमाने के अनुसार चिड़िया घर में कई बदलाव किए गए.
इलेक्ट्रिक टॉय ट्रेन की होगी शुरुआतः टॉय ट्रेन से लोग चिड़ियाघर में पशु पक्षी जानवरों को देखा करते थे, लेकिन पिछले कई सालों से टॉय ट्रेन बंद है. अब फिर एक बार विभाग पहल कर रही है और फिर से इलेक्ट्रिक टॉय ट्रेन शुरू होने जा रही है. इसके अलावे इलेक्ट्रिक वाहन की भी सुविधा है जिस पर बैठकर लोग आसानी से जीव जंतुओं का दीदार करते हैं.
पटना जू का तीन बार नाम बदल गयाः1969 में वनस्पति उद्यान के रूप में चिड़ियाघर को बनाया गया था उस समय इसका नाम गार्डन रखा गया था. 1972 में वन विभाग ने चिड़ियाघर का नाम बदलकर जैविक उद्यान कर दिया. इसके बाद पार्क को 1973 में चिड़ियाघर के रूप में आम लोगों के लिए खोल दिया गया. कई लोग पटना जू, चिड़ियाखाना, चिड़ियाघर के नाम से जानते हैं. लेकिन 1980 में चिड़ियाघर का नाम एक बार फिर बदल गया 1980 में संजय गांधी की मृत्यु के बाद नाम बदलकर संजय गांधी जैविक उद्यान कर दिया गया.