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क्या चिराग की राह पर चलेंगे पशुपति पारस..! 2025 में पहुंचाएंगे NDA को नुकसान या BJP मनाने में होगी कामयाब ? - PASHUPATI KUMAR PARAS

PASHUPATI PARAS PRESSURE POLITICS: 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान अपमान का घूंट पीकर भी पारस ने NDA का साथ नहीं छोड़ा, लेकिन पारस के ताजा तेवर बता रहे हैं कि वो 2025 में अपने सम्मान के साथ समझौता नहीं करेंगे. बात नहीं बनी तो वे सभी 243 सीट पर चुनाव लड़ेंगे, तो क्या 2020 में जो राह भतीजे ने तैयार की थी , 2025 में चाचा भी उसी राह पर चलेंगे, पढ़िये खास रिपोर्ट,

NDA का 'पारस' संकट
NDA का 'पारस' संकट (ETV BHARAT)

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Aug 2, 2024, 7:59 PM IST

क्या NDA पर दबाव बना रहे हैं पशुपति पारस ? (ETV BHARAT)

पटनाः क्या 2025 के विधानसभा चुनाव में NDA के खिलाफ 'चिराग मॉडल' तैयार हो रहा है ? 30 जुलाई को राजधानी पटना में पशुपति कुमार पारसके नेतृत्व वाली आरएलजेपी की प्रदेश कार्यकारिणी की बैठक से निकले लब्बोलुआब के बाद ये सवाल बिल्कुल लाजिमी हो गया है. दरअसल इस बैठक में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस ने पार्टी नेताओं से बिहार की सभी 243 सीट पर चुनाव लड़ने की तैयारी करने को कहा है.

'लोकसभा चुनाव में हुई नाइंसाफी':आरएलजेपी के अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस का कहना है कि 2024 लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी के साथ नाइंसाफी हुई. 5 सांसद रहने के बाद भी उनके दल को एक भी सीट नहीं दी गयी, फिर भी वे चुप रहे.लेकिन वे राजनीति करने वाले लोग हैं. 2025 के विधानसभा चुनाव में यदि उनकी बात नहीं सुनी गयी तो वे आगे की राजनीति के लिए स्वतंत्र हैं.

"2014 से NDA का सबसे भरोसेमंद सहयोगी रहा हूं. 2025 विधानसभा चुनाव को लेकर बीजेपी अध्यक्ष जे पी नड्डा और बिहार के बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल से बातचीत करेंगे.यदि बात नहीं बनी तो बिहार की सभी 243 सीट पर चुनाव लड़ने के लिए स्वतंत्र हूं."-पशुपति कुमार पारस, अध्यक्ष, आरएलजेपी

2020 में चिराग ने पहुंचाया था नुकसानःपशुपति पारस का ये अंदाज 2020 के चिराग मॉडल की याद दिला रहा है जब चिराग ने नीतीश विरोध के नाम पर NDA से अलग होकर चुनाव लड़ा और इसका बड़ा खामियाजा NDA को भुगतना पड़ा. 2020 के विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान के नेतृत्व वाली एलजेपी ने 143 सीट पर चुनाव लड़ा. इनमें एलजेपी ने जेडीयू के खिलाफ सभी 122 सीट पर अपने उम्मीदवार खड़े किये तो कई जगहों पर बीजेपी के खिलाफ भी उम्मीदवार उतारे. चिराग के इस दांव ने NDA, खास जेडीयू का जबरदस्त नुकसान किया और जेडीयू 45 सीट पर सिमटकर रह गया.

2020 में चिराग ने पहुंचाया था NDA को नुकसान (ETV BHARAT)

2025 में पारस पहुंचा सकते हैं नुकसानः2020 में जहां भतीजे ने NDA का नुकसान किया तो 2025 में चाचा ने NDA के नुकसान की तैयारी शुरू कर दी है. हालांकि पारस ये उम्मीद जता रहे हैं कि बीजेपी उनकी बात सुनेगी, लेकिन साथ में अलग चुनाव लड़ने का बयान देकर प्रेशर पॉलिटिक्स भी कर रहे हैं. 2025 में पारस ने वाकई अलग राह पकड़ी तो इसका नुकसान NDA को उठाना पड़ सकता है, क्योंकि बिहार के कई जिलों में पशुपति कुमार पारस की पासवान मतदाताओं पर अच्छी पकड़ है.

वरिष्ठ नेताओं में शुमारः पशुपति कुमार पारस की गिनती बिहार के वरिष्ठ नेताओं में की जाती है. भले ही उनकी सियासत रामविलास पासवान की छत्रछाया में फूली-फली लेकिन वे आठ बार बिहार विधानसभा के सदस्य रहे हैं और एक बार लोकसभा सांसद. बिहार सरकार में चार बार मंत्री पद सुशोभित किया है तो मोदी कैबिनेट में केंद्रीय मंत्री भी रह चुके हैं. यही नहीं एलजेपी के गठन के बाद पार्टी के संगठन का पूरा जिम्मा पशुपति कुमार पारस के कंधे पर ही था. यही कारण है कि पार्टी के संगठन पर उनका पूरा प्रभाव था. पूर्व सांसद सूरजभान सिंह, पूर्व विधायक सुनील कुमार पांडेय और पारस के भतीजे पूर्व सांसद प्रिंस राज आज भी उनके साथ हैं.

पारस के मन में क्या है ? (ETV BHARAT)

खगड़िया में मजबूत पकड़ःपशुपति कुमार पारस का गृह जिला खगड़िया है और अगर पारस अकेले चुनाव लड़े तो खगड़िया में NDA को नुकसान पहुंचा सकते हैं. पशुपति कुमार पारस खगड़िया के अलौली विधानसभा क्षेत्र से 8 बार विधायक रह चुके हैं.गृह जिला होने के कारण खगड़िया में पशुपति कुमार पारस का व्यापक जनाधार है.

कई इलाकों में सूरजभान का प्रभावःखगड़िया में जहां पारस का प्रभाव है तो पूर्व सांसद सूरजभान की भी कई इलाकों में अच्छी पकड़ मानी जाती है. खासकर भूमिहार बहुल मुंगेर, लखीसराय और नवादा से लेकर मोकामा तक सूरजभान की अच्छी खासी सियासी पकड़ मानी जाती है. ऐसे में इन इलाकों में अगर सुरजभान के समर्थकों को पारस की पार्टी से टिकट मिलते हैं तो NDA की संभावनाओं पर विपरीत असर पड़ सकता है.

परपंरागत इलाका रहा है समस्तीपुरः इसके अलावा समस्तीपुर में भी पासवान परिवार का बड़ा प्रभाव रहा है.समस्तीपुर लोकसभा सीट रामविलास पासवान के परिवार की परंपरागत सीट रही है. रामविलास के भाई रामचंद्र पासवान पहले रोसड़ा फिर समस्तीपुर से सांसद हुआ करते थे. उनके निधन के बाद उनके पुत्र प्रिंस राज भी यहां से सांसद बने. पारस के अकेले चुनाव लड़ने का असर समस्तीपुर जिले में भी देखने को मिल सकता है.

शाहाबाद में सुनील पांडेय का साथःवहीं शाहाबाद के इलाके में अच्छी-खासी रसूख रखनेवाले बाहुबली और पूर्व विधायक सुनील पांडेय भी पशुपति कुमार पारस के साथ हैं. सुनील पांडेय कई बार पीरो और तरारी से चुनाव जीत चुके हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में भी वे बहुत ही कम वोट के अंतर से हारे थे. फिलहाल तरारी में उपचुनाव होना है और पारस ने सुनील पांडेय को NDA प्रत्याशी के तौर पर उतारने की मांग भी कर डाली है. हालांकि सुनील पांडेय के भाई बाहुबली हुलास पांडेय फिलहाल चिराग के साथ मजबूती से खड़े हैं.

क्या भतीजे की राह पर चलेंगे चाचा ? (ETV BHARAT)

बीजेपी को पारस पर भरोसा हैःपशुपति कुमार पारस के नए रुख पर बीजेपी प्रवक्ता राकेश कुमार सिंह का कहना है कि पशुपति कुमार पारस एनडीए के पुराने पार्टनर हैं. 2024 के लोकसभा चुनाव में भी वह पूरी तरीके से एनडीए के साथ खड़े रहे.केंद्र में मंत्री भी थे. 2025 के विधानसभा चुनाव में कद के हिसाब से उन्हें सम्मान दिया जाएगा.

"NDA मे अपने सभी सहयोगी दलों को समान रूप से सम्मान दिया जाता है. केंद्रीय नेतृत्व इन सभी बातों को गौर से देख रहा है. जो भी सहयोगी दल हैं उन्हें उचित भागीदारी दी जाएगी. पशुपति कुमार पारस पहले से ही बीजेपी के साथ है और आगे भी बीजेपी के सहयोगी दल के रूप में साथ रहेंगे."-राकेश कुमार सिंह, प्रवक्ता, बीजेपी

एलजेपीआर की पारस को नसीहतः वहीं पारस के नये रुख पर एलजेपीआरके प्रदेश प्रवक्ता विनीत कुमार सिंह का कहना है कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में कोई भी राजनीतिक दल कितनी भी सीट पर चुनाव लड़ सकता है, लेकिन जब आप गठबंधन में हैं और घटक दलों के राय मशवरे के बगैर कुछ ऐसा बयान देते हैं तो इसे प्रेशर पॉलिटिक्स के रूप में देखा जाता है.

"2024 लोकसभा चुनाव में NDA ने दिखा दिया था कि वो कितना मजबूत है. एक तरफ तो पारस जी बोल रहे हैं वो NDA के घटक दल हैं और दूसरी तरफ ऐसे बयान दे रहे हैं. इस प्रकार के आचरण से उन्हें बचने की जरूरत है."-विनीत कुमार सिंह, प्रवक्ता, एलजेपीआर

क्या कहते हैं राजनीतिक विश्लेषक ?: इस विषय परवरिष्ठ पत्रकार रवि उपाध्याय का कहना है कि पशुपति कुमार पारस संगठन के माहिर खिलाड़ी हैं. स्वर्गीय रामविलास पासवान ने एलजेपी का गठन किया था लेकिन पूरे संगठन की जिम्मेदारी पशुपति कुमार पारस के ऊपर थी.पशुपति कुमार पारस का सबसे मजबूत पक्ष उनकी दलित सेना है. जिसका बिहार के अनेक लोकसभा क्षेत्र में व्यापक प्रभाव है. पासवान जाति पर भी उनका पकड़ है जिसका राजनीतिक लाभ उनको मिल सकता है.

"पशुपति कुमार पारस ने 243 लोकसभा क्षेत्र पर चुनाव लड़ने की तैयारी की बात कही है. वे खगड़िया, समस्तीपुर,आरा और मोकामा से मुंगेर तक के इलाके में NDA को एनडीए को नुकसान पहुंचा सकते हैं.अभी बिहार विधानसभा का उपचुनाव होना है जिसमें तरारी सीट पर पशुपति कुमार पारस ने अपने दावेदारी पेश की है. इसके अलावा और भी कुछ सीटों को लेकर वो बीजेपी के नेतृत्व से बात भी करने जा रहे हैं."-रवि उपाध्याय, वरिष्ठ पत्रकार

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