पटना:बिहार में दस हजार अस्पताल हैं. जबकि निबंधित फरमासिस्टों की संख्या 600 से कुछ अधिक है. ऐसे में दवाई दुकानों में निबंधित फरमासिस्टों की जगह नर्स, एएनएम, क्लर्क ही फार्मासिस्ट का कार्य करते है. जो कि कानून का उल्लंघन है. इसी बात को लेकर पटना हाईकोर्ट में चल रही सुनवाई टल गई.
फार्मासिस्ट की संख्या में कमी:मिली जानकारी के अनुसार, पटना हाईकोर्ट ने राज्य में निबंधित फार्मासिस्ट की पर्याप्त संख्या नहीं होने के कारण लोगों के स्वास्थ्य पर असर पड़ने के मामले में होने वाली सुनवाई आगे बढ़ा दी है. चीफ जस्टिस के वी चंद्रन की खंडपीठ ने इस जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए राज्य सरकार को जवाब देने के लिए मोहलत दी है.
मुकेश कुमार ने दायर की याचिका: बताया जा रहा कि ये जनहित याचिका मुकेश कुमार ने दायर की है. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता प्रशान्त सिन्हा ने कोर्ट को बताया है कि राज्य में लगभग दस हजार अस्पताल है, जबकि निबंधित फरमासिस्टों की संख्या 6 सौ से कुछ अधिक है.
फार्मासिस्टों द्वारा दवा नहीं दी जाती :उन्होंने कोर्ट को बताया कि डॉक्टरों द्वारा लिखें गए पर्ची पर निबंधित फार्मासिस्टों द्वारा दवा नहीं दी जाती है. कई सारे सरकारी अस्पतालों में अनिबंधित नर्स, एएनएम, क्लर्क ही फार्मासिस्ट का कार्य करते है. बिना जानकारी और योग्यता के ही ये लोग मरीजों को दवा देते है. जबकि ये फार्मासिस्टों द्वारा किया जाना है.
यह कानून का उल्लंघन :उन्होंने कहा कि इस तरह से अधिकारियों द्वारा अनिबंधित नर्स, एएनएम, क्लर्क से काम लेना न केवल सम्बंधित कानून का उल्लंघन है, बल्कि आम आदमी के स्वास्थ्य के साथ खिलबाड़ है.