पटनाःबिहार विधानसभा चुनाव में अब करीब-करीब एक साल बचे हैं. जाहिर है सभी दलों ने अपनी चुनावी तैयारियां तेज कर दी हैं.5 अक्टूबर को जेडीयू कार्यकारिणी की बैठक में जहां नीतीश कुमार के चेहरे पर 2025 का चुनाव लड़ने का संकल्प लिया गया वहीं 225 सीट जीतने का भी लक्ष्य तय किया गया. इससे पहले बीजेपी ने भी अपनी बैठक में NDA के लिए 225 सीट जीतने का नारा दिया था.
225 का नारा और गुटबाजीः बीजेपी और जेडीयू भले ही 225 से ज्यादा सीट जीतने का लक्ष्य तय कर रहे हैं लेकिन ये इतना आसान नहीं होनेवाला है,क्योंकि जहां NDA एक तरफ गुटबाजी से जूझ रहा है तो उसके सामने मजबूत विपक्ष की भी कड़ी चुनौती है. बात जेडीयू की करें तो पार्टी का एक खेमा अशोक चौधरी के प्रमोशन से नाराज है. खासकर भूमिहार को लेकर दिए गये अशोक चौधरी के बयान से भूमिहार नेता खासे नाराज हैं.
NDA के लिए मुश्किलों भरी डगर (ETV BHARAT) कार्यकारिणी की बैठक में नहीं आए ललन सिंहः जेडीयू की कार्यकारिणी की बैठक में केंद्रीय मंत्री और पार्टी के वरिष्ठ नेता ललन सिंह का शामिल नहीं होना भूमिहार नेताओं की नाराजगी का संकेत भी दे रहा है. हालांकि जेडीयू नेताओं का कहना है कि इसको लेकर ललन सिंह ने अपनी विभागीय व्यस्तता की बात से पार्टी नेतृत्व को अवगत करा दिया था.
नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री, बिहार (ETV BHARAT) जेडीयू का गुटबाजी से इंकारः हालांकि जेडीयू नेता पार्टी में किसी भी प्रकार की गुटबाजी की बात को पूरी तरह खारिज कर रहे हैं. जेडीयू के एमएलसी और नीतीश कुमार के नजदीकी संजय गांधी का कहना है कि पार्टी में कोई गुटबाजी नहीं है. गुटबाजी की बात तो सिर्फ दूसरे लोग कर रहे हैं.
"नीतीश कुमार ने प्रदेश की राज्य कार्यकारिणी की बैठक मेंं घोषणा कर दी है कि 225 के पार तो हमलोगों को पूरा विश्वास है कि हम लोग उसे हासिल करेंगे."-संजय गांधी, एमएलसी, जेडीयू
दिलीप जायसवाल, प्रदेश अध्यक्ष, बीजेपी (ETV BHARAT) NDA में भी ऑल इल नॉट वेल !: ये तो हो गयी जेडीयू की बात. NDA में भी कमोबेश ऐसे ही हालात हैं. नीतीश कुमार बैठकों में डिप्टी सम्राट चौधरी को जरूर बुला रहे हैं लेकिन डिप्टी सीएम विजय सिन्हा नजर नहीं आ रहे हैं. मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर भी स्थिति स्पष्ट नहीं है. कुछ दिन पहले बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने कहा था कि सब कुछ तैयार है. जल्द ही हो जाएगा लेकिन मामला कहीं ना कहीं फंसा हुआ है. इसके अलावा आयोग और बोर्ड का भी पेच फंसा हुआ है.
नीतीश के नेतृत्व पर चुप्पीः जेडीयू के नेता लगातार नीतीश कुमार को 2025 में फिर से मुख्यमंत्री बनाने की बात कर रहे हैं, लेकिन इस मामले में चिराग पासवान और जीतन राम मांझी की राय अभी तक सामने नहीं आई है. हालांकि नीतीश कुमार को भारतरत्न देने की मांग का समर्थन कर चिराग पासवान ने सकारात्मक संकेत जरूर दिए हैं.
चिराग पासवान, अध्यक्ष, एलजेपी (आर) (ETV BHARAT) सीट बंटवारे के दौरान असली परीक्षाः ये सब मुद्दे तो हैं ही NDA की एकता की अग्निपरीक्षा तो सीट बंटवारे के समय होगी. जेडीयू नेता इसको लेकर लगातार बयान तो दे ही रहे हैं, दूसरे घटक दलों के भी अपने-अपने दावे हैं. 2020 विधानसभा चुनाव में ना उपेंद्र कुशवाहा NDA में थे और न ही चिराग पासवान.
"पर्याप्त सीट नहीं मिलने के कारण 2020 में चिराग पासवान ने NDA से अलग होकर चुनाव लड़ा था. इस बार भी चिराग पासवान की तरफ से अधिक सीटों की मांग होगी, ये तय है. वहीं उपेंद्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी भी अधिक से अधिक सीट चाहेंगे.ऐसे में सबको संतुष्ट करना सबसे बड़ी चुनौती है."-प्रियरंजन भारती, राजनीतिक विशेषज्ञ
मजबूत विपक्ष की कड़ी चुनौतीःगुटबाजी के अलावा NDA के सामने एक मजबूत विपक्ष भी है. आरजेडी नेता तेजस्वी यादव की अगुआई में महागठबंधन उत्साहित है. 2020 के विधानसभा चुनाव में तो सत्ता की लड़ाई में महज कुछ सीटों से महागठबंधन चूक गया था लेकिन इस बार आरजेडी नेताओं का दावा है कि तेजस्वी के पक्ष में पूरे बिहार में लहर चल रही है.
"नीतीश कुमार भ्रम की स्थिति पैदा कर रहे हैं. बिहार की जनता इस बार तेजस्वी को सीएम बनाने का मन बना चुकी है. क्योंकि तेजस्वी यादव ने जिस प्रकार से नौकरी और रोजगार दिया है, बिहार की जनता उन्हें उम्मीद की नजर से देख रही है. नीतीश कुमार और बीजेपी के लोग कितना भी भ्रम फैला लें, जुमलेबाजी कर लें, अब जनता उन्हें मौका देने वाली नहीं है."-एजाज अहमद, प्रवक्ता, आरजेडी
PK फैक्टर का भी पड़ेगा प्रभावः महागठबंधन के अलावा 2025 के चुनाव में एक और पार्टी की चुनौती NDA के सामने आ चुकी है और वो है प्रशांत किशोर की जन सुराज. दो सालों तक बिहार के अलग-अलग हिस्सों की यात्रा के बाद राजनीतिक रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने 2 अक्टूबर को पार्टी गठन का एलान किया, साथ ही बिहार की सभी 243 विधानसभा सीटों पर चुनाव लड़ने का एलान भी कर दिया. ऐसे में NDA को चुनाव में PK फैक्टर से भी निपटना होगा.
"NDA के लिए 225 का आंकड़ा पार करना आसान नहीं है. लोकसभा चुनाव के दौरान भी NDA ने सभी 40 सीट जीतने का दावा किया था लेकिन उसे 2019 के मुकाबले 9 सीट का नुकसान हुआ. 2020 के विधानसभा चुनाव में भी चिराग पासवान के विरोधी तेवर के कारण NDA को काफी नुकसान हुआ था. इस बार NDA में सात दल हैं तो सीट बंटवारे का पेच तो है ही विपक्ष भी कमजोर नहीं है."-सुनील पांडेय, राजनीतिक विशेषज्ञ
लोकसभा चुनाव में जीत को आधार मान रहे NDA नेताः 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान बिहार में कांटे की टक्कर के आसार थे लेकिन NDA ने फिर अच्छा प्रदर्शन किया और 30 सीट पर जीत हासिल करने में सफलता हासिल की. NDA नेता इस जीत को भी विधानसभा चुनाव में जीत का संकेत बता रहे हैं,क्योंकि NDA को 177 सीट पर बढ़त मिली थी. हालांकि एक बात ये भी है कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव में मुद्दे अलग-अलग होते हैं.
4 सीटों पर होने हैं उपचुनावः बिहार विधानसभा चुनाव में तो अभी करीब-करीब एक साल बचे हैं लेकिन उससे पहले 4 विधानसभा सीट पर उपचुनाव भी होने हैं. इस उपचुनाव में NDA और महागठबंधन के अलावा प्रशांत किशोर की पार्टी जन सुराज भी सभी 4 सीट पर कैंडिडेट उतारने का एलान कर चुकी है. ऐसे में इस उपचुनाव के नतीजे भी NDA के दावों को लेकर कुछ न कुछ संकेत तो जरूर दे जाएंगे.
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