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केजीएमयू में अव्यवस्थाओं का अंबार; मरीज बोले- पर्चा बनवाने के लिए रात से ही लग रही लाइन, रुकने की व्यवस्था नहीं - MEDICAL NEWS

MEDICAL NEWS : केजीएमयू प्रवक्ता ने कहा, जल्द शुरू होगा ट्राॅमा सेंटर 2, मरीजों के लिए बनाई गई हेल्पडेस्क.

लारी विभाग परिसर में मौजूद परिजन
लारी विभाग परिसर में मौजूद परिजन (Video credit: ETV Bharat)

By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Nov 28, 2024, 4:56 PM IST

लखनऊ : केजीएमयू संस्थान एशिया के बड़े संस्थानों में से एक है. प्रदेश भर से ही नहीं बल्कि अन्य राज्यों से भी मरीज यहां पर इलाज कराने के लिए आते हैं. अव्यवस्थाओं और जानकारी के अभाव में मरीजों को दर-दर भटकना पड़ता है. पैथोलॉजी में खून का सैंपल जमा करने के लिए मरीजों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. कई बार ऐसे मामले सामने आए हैं, जिसमें इलाज न मिल पाने के कारण मरीजों ने दम तोड़ दिया.

एंबुलेंस में मौजूद मरीज व परिजन (Photo credit: ETV Bharat)

प्रदेश भर से लारी में आते हैं मरीज :मरीजों का कहना है कि यहां पर इलाज अच्छा होता है, इसलिए लोग इलाज कराने आते हैं. विशेषज्ञ मिलते हैं, लेकिन यहां की व्यवस्थाएं ऐसी हैं कि जिसमें उलझकर मरीज परेशान हो जाते हैं. ट्रॉमा सेंटर की इमरजेंसी में रोजाना हजार मरीज आते हैं. ज्यादातर मरीज स्ट्रेचर पर पड़े रहते हैं, यहां तक कि उन्हें कोई डॉक्टर या कंपाउंड देखने तक नहीं पहुंचता है. हृदय की बीमारी से पीड़ित मरीजों के लिए प्रदेश का एक मात्र केंद्र केजीएमयू का लारी कार्डियोलॉजी विभाग है.

प्रदेश भर से यहां पर मरीज इलाज कराने के लिए आते हैं. जानकारी के मुताबिक, लारी में रोजाना करीब 100 मरीजों का इलाज किया जाता है. इसमें 50 नए मरीज होते हैं और 50 पुराने मरीज होते हैं. हाल ही में दो केस ऐसे हुए हैं, जिसमें इलाज के अभाव में मरीज की मौत हो गई. डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने केजीएमयू कुलपति सोनिया नित्यानंद को ही जांच की जिम्मेदारी सौंपी है.

केजीएमयू में स्ट्रेचर पर मरीज (Photo credit: ETV Bharat)

हेल्प डेस्क पर कोई नहीं दिखा :न्यूरोलॉजी विभाग की ओपीडी में दिखाने के लिए पहुंचे संजय सेठ ने कहा कि मैं रायबरेली से इलाज करने के लिए आया हूं. यहां पर एक्सपर्ट हैं. इससे पहले मेरे पिता का इलाज यहां से हो चुका है, इसलिए मुझे अनुभव है. बड़ी उम्मीद से यहां पर आया हूं, लेकिन थोड़ी खामियां भी झेलनी पड़ रही हैं. उन्होंने कहा कि पहली बात तो यहां पर भीड़ बहुत ज्यादा है. हर कोई इलाज के लिए पहुंचा है.

विशेषज्ञ बिल्कुल शांति से मरीज को देख रहे हैं. बस ओपीडी ढूंढने में समस्याएं होती हैं. हेल्पडेस्क बनी है, लेकिन वहां पर कोई नहीं है. पर्चा बनवाने के करीब एक घंटे बाद मुझे न्यूरोलॉजी विभाग मिला. मुझे पिछले दो साल से न्यूरो की दिक्कत हो रही है. रायबरेली से काफी इलाज कराया, लेकिन ठीक नहीं हुआ. यहां की पैथोलॉजी का तो हाल पूछिए ही मत.

लारी कार्डियोलॉजी विभाग के बाहर रात गुजारते मरीज (Photo credit: ETV Bharat)

एक दिन बाद आया नंबर, रात में सोए थे लाइन में :लारी कार्डियोलॉजी विभाग के बाहर बैठे मरीज के तीमारदारों ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कहा कि 'बिहार से इलाज करने के लिए लारी आए हैं, रात में करीब 2 बजे पहुंचे. 3 बजे जब लारी विभाग आए तो देखा कि यहां पर रात से ही लाइन लगी हुई है. लाइन में ही लगकर लोग सो गए हैं, मैं 141 नंबर पर रात में लाइन में सोया था. सुबह 7 बजे पता चला कि यहां एक दिन में सिर्फ 100 नए पर्चे बनते हैं. बहुत बुरा हाल है. शुक्रवार को पर्चा बनवाकर ओपीडी में विशेषज्ञ से मिल पाएंगे.'

केजीएमयू का ट्रामा सेंटर (Photo credit: ETV Bharat)

रात में हम कहां जाएं :लारी में पिता का इलाज करने के लिए पहुंची सुमन वर्मा ने ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान कहा कि पिता का इलाज करने के लिए गोंडा से आई हैं. पिता की इससे पहले एक बार बाईपास सर्जरी हो चुकी है. उन्हें सांस लेने में तकलीफ होती है. अभी फिलहाल ठंड का मौसम शुरू हो रहा है तो ऐसे में उन्हें दिक्कत शुरू हो रही है. उनकी सर्जरी यहीं पर हुई थी.

इलाज के मामले में यह बहुत अच्छा है, लेकिन व्यवस्थाओं के मामले में बिल्कुल अच्छा नहीं है. सुमन ने बताया कि मैं अकेले अपने पिता को लारी दिखाने के लिए आई हूं. ऐसे में न कहीं रुकने की व्यवस्था है और न ही कोई जान पहचान का है. गुरुवार को वह लारी पहुंचीं, लेकिन पर्चा नहीं बन पाया. उन्होंने कहा कि अब रात भर यहां पर रुकना है. ठंड का मौसम है, यहां पर रात गुजारना बहुत भारी पड़ता है. ऊपर से सर्दी के दिनों में और भी दिक्कत होती है.

मरीजों के लिए बनाई गई हेल्पडेस्क :केजीएमयू प्रवक्ता डॉ. सुधीर सिंह ने कहा कि लारी कार्डियोलॉजी विभाग में अभी जो मामला हुआ है, उसको लेकर जांच चल रही है. जल्द ही रिपोर्ट डिप्टी सीएम को सौंप दी जाएगी. इसके अलावा रही बात ओपीडी, पैथोलॉजी एवं ट्राॅमा सेंटर की तो यहां पर व्यवस्थाएं हैं. ऐसा नहीं है की व्यवस्था नहीं हैं या हेल्पडेस्क नहीं है. सारी सुविधाएं यहां पर हैं, लेकिन कई बार मरीज की स्थिति काफी नाजुक होती है.

ऐसी खराब स्थिति में विशेषज्ञ भी उन्हें बचा पाने में असमर्थ हो जाते हैं. एक डॉक्टर होने के नाते हमारी पहली प्राथमिकता यही होती है कि हम मरीज की जान बचाएं. केजीएमयू सेंटर काफी बड़ा है. ऐसे में बाहर के जो लोग आते हैं वह थोड़ा कंफ्यूज होते हैं, उनके लिए हेल्पडेस्क बनाई गई है, लेकिन उन्हें इस बात की जानकारी नहीं रहती है.

जल्द शुरू होगा केजीएमयू का ट्राॅमा सेंटर 2 :उन्होंने कहा कि एशिया का सबसे बड़ा मेडिकल कॉलेज केजीएमयू है. क्योंकि यह उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में स्थित है, इसलिए यहां पर मरीज का लोड बहुत ज्यादा है. जल्द ही केजीएमयू का ट्राॅमा सेंटर 2 शुरू होगा, उसमें करीब 500 बेड की क्षमता होगी. इसके अलावा लारी विभाग की एक और लारी इमरजेंसी शुरू हो रही है, यहां भी 500 बेड की क्षमता होगी. इन दोनों ही बिल्डिंग का काम चल रहा है, जल्द ही बिल्डिंग पूरी होगी और यहां पर मरीज को शिफ्ट किया जाएगा.

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