सिरमौर:डॉक्टर को धरती पर भगवान का दर्जा दिया जाता है और जब डॉक्टर किसी मरीज को अपनी जांच करने के बाद ये कह दे "अब मरीज को घर ले जाओ और इसकी सेवा-पानी करो" तो हर कोई परिजन ये मान लेता है कि अब मरीज के पास ज्यादा दिन नहीं बचे हैं. कुछ ऐसा ही मामला हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले से सामने आया है.
यहां एक बुजुर्ग महिला ब्रेन स्ट्रोक के बाद कोमा में चली गई थी जिसे परिजन बड़ा अस्पताल जानकर इलाज के लिए नाहन मेडिकल कॉलेज से पीजीआई चंडीगढ़ ले गए थे. बुजुर्ग महिला के बेटे ने बताया "वहां डॉक्टरों ने जांच के बाद सलाह दी कि हम आपको भरोसा नहीं दे सकते कि मरीज ठीक हो सकता है. ऐसे में ये आपकी मर्जी है कि आप मरीज को यहां रख सकते हैं या घर ले जाकर इनकी सेवा कर सकते हैं" ऐसे में परिजन बुजुर्ग महिला को दोबारा नाहन मेडिकल कॉलेज ले आए जहां करीब 10 दिनों का इलाज मिलने के बाद बुजुर्ग महिला कोमा से बाहर आ गईं.
बुजुर्ग के बेटे ने जताया आभार
महिला के बेटे ने बताया "नाहन मेडिकल कॉलेज से अपनी मां को जिद्द कर चंडीगढ़ पीजीआई ले जाने के बावजूद भी डॉ. अनिकेता शर्मा ने नाहन मेडिकल कॉलेज में उनकी मां का उपचार शुरू किया. कुछ दिनों के बाद उनकी मां को होश आया और शारीरिक तौर पर काफी सुधार हुआ. बीते साल 25 दिसंबर को उन्हें नाहन मेडिकल कॉलेज से छुट्टी देकर घर भेज दिया गया था."अब उनकी मां की हालत में निरंतर सुधार आ रहा है. वह पुनः रूटीन चेकअप के लिए बीते बुधवार को अपनी मां को लेकर नाहन अस्पताल पहुंचे थे. उन्होंने इसके लिए डॉ. अनिकेता शर्मा व उनकी टीम का आभार व्यक्त किया.
बीपी बढ़ने के कारण हुआ ब्रेन स्ट्रोक
मेडिकल कॉलेज नाहन के मेडिसिन विभाग में तैनात असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. अनिकेता शर्मा ने बताया मरीज का नाम नाजरो देवी है जो 75 साल की हैं. "बुजुर्ग महिला बीपी की दवाइयां लेती थी, जिसे वह बीच-बीच में छोड़ भी देती थी. इसी बीच एकाएक बीपी काफी अधिक बढ़ जाने के कारण मरीज को ब्रेन स्ट्रोक हो गया. मल्टीपल ब्लॉकेट्स होने के कारण महिला मरीज कोमा में चली गईं. गर्दन से नीचे शरीर का पूरा हिस्सा टोटली पैरालिसिस हो चुका था. परिजनों को समझाया गया था कि जो ट्रीटमेंट पीजीआई में दिया जाएगा, वहीं उन्हें यहां भी दिया जाएगा, लेकिन अपनी संतुष्टि के लिए परिजन महिला को चंडीगढ़ पीजीआई ले गए. इसके अगले दिन परिजन दोबारा महिला को चंडीगढ़ से यहां ले आए."