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पन्ना में खुदाई में मिला सबसे प्राचीन शिवलिंग, चौमुखी रूप में विराजमान हैं भगवान शिव - PANNA FOUND OLDEST SHIVLING

पन्ना के पार्वती नचना कुठारा मंदिर में पुरातत्व विभाग द्वारा खुदाई की जा रही है. इस दौरान कई प्राचीन मंदिर निकले हैं.

PANNA FOUND OLDEST SHIVLING
खुदाई में मिला प्राचीन शिवलिंग (ETV Bharat)

By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Dec 9, 2024, 10:25 PM IST

पन्ना: मध्य प्रदेश का पन्ना जिला देश दुनिया में मंदिरों के लिए विश्व विख्यात है. यहां पर ऐसे कई मंदिर स्थापित हैं जो प्राचीनतम है. पन्ना की गुनौर तहसील अंतर्गत पार्वती नचना कुठारा मंदिर की खुदाई में कुछ दिन पूर्व मंदिर के अवशेष और शिवलिंग मिला था. ईटीवी की टीम में जाकर पड़ताल की, जिसमें पता चला की शिवलिंग अभी जमीन के अंदर दबा हुआ है, जिसको बाहर नहीं निकला गया है. वहीं कई चीजें निकली हैं, जिनके सैंपल जांच के लिए भेजे गए हैं. फिलहाल, वहां अभी खुदाई का कार्य बंद है.

खुदाई में पुराना शिवलिंग

पार्वती नचना कुठारा मंदिर और चौमूखनाथ मंदिर प्रांगण में पुरातत्व विभाग जबलपुर द्वारा 8 टीलों को चिन्हित करके खुदाई की गई थी. जिसमें पहली शताब्दी से लेकर पांचवीं शताब्दी तक के मंदिर के अवशेष मिले हैं. खुदाई के दौरान एक पुराना शिवलिंग भी मिला था, जिसको अभी तक बाहर नहीं निकाला गया है, इसकी जानकारी पुरातत्व विभाग से संबंधित अधिकारी ने दी है. उन्होंने बताया कि शिवलिंग के चारों ओर छप्पर बनाया गया है. उसी के नीचे शिवलिंग रखा है.

प्राचीन मंदिर के मिले अवशेष

भारत सरकार के पुरातत्वविद अधीक्षण यंत्री डॉ. शिवकांत बाजपेईने बताया, "पार्वती नाचने कुठार मंदिर में खुदाई में सबसे प्राचीन मंदिर के अवशेष मिले थे. जिनमें कुछ चीजों के सैंपल जांच के लिए भेजे गये हैं. जांच रिपोर्ट आने के बाद फिर से खुदाई जारी की जाएगी. अभी उसके बारे में आधिकारिक कुछ नहीं कह सकते हैं क्योंकि खुदाई अभी रुकी हुई है."

मंदिर में नहीं है माता की प्रतिमा

नचना कुठारा में मां पार्वती का मंदिर बना हुआ है, जो पांचवी शताब्दी का है. इस मंदिर की विशेषता है कि यहां माता की कोई मूर्ति स्थापित नहीं है. चौमूखनाथ मंदिर प्रांगण में भगवान शिव की दुर्लभ और प्राचीन प्रतिमा विराजमान है. इस मूर्ति के चार मुख हैं, एक में भगवान भोलेनाथ का दूल्हा स्वरूप है, दूसरे में अर्धनारीश्वर बने हुए हैं. तीसरे में समाधि में लीन प्रतीत होते हैं और चौथे मुख में विषपान करते हुए प्रतिमा बनी हुई है. इसी मंदिर के प्रांगण में 8 टीले मिट्टी के उभरे हुए हैं, जिसमें पुरातत्व विभाग द्वारा खुदाई की जा रही है.

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